ग्राउंड रिपोर्ट: कड़ी सुरक्षा के बीच नहीं खुलीं शाहीन बाग़ में दूध-ब्रेड की दुकानें
दिल्ली पुलिस और पैरामिलिट्री के जवानों की भारी मौजूदगी के बीच शाहीन बाग़ धरना स्थल से जुड़े सभी निशान मिटा दिए गए हैं. इस कार्रवाई के बाद दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाली सड़क खुल गई है जो तक़रीबन तीन महीने से बंद थी. दिल्ली पुलिस ने जसोला विहार सिग्नल और कालिंदी कुंज मेट्रो स्टेशन के पास लगे बैरिकेड भी हटा दिए हैं. इक्का-दुक्का लोग अब इस सड़क से गुज़रने लगे हैं.
दिल्ली पुलिस ने यह कार्रवाई सुबह चार बजे शुरू की. इस दौरान दक्षिण पूर्वी दिल्ली के पुलिस अफ़सरान, सीआरपीएफ के जवान और एमसीडी के कर्मचारी मौजूद थे. यहां जेसीबी की मदद से धरना स्थल पर मौजूद एक-एक सामान ट्रकों में भरकर ले जाया गया.
शाहीन बाग़ धरना स्थल पर एक बस स्टॉप को पब्लिक लाइब्रेरी में तब्दील कर दिया गया था जिसका नाम सावित्रीबाई फुले-फ़ातिमा शेख़ लाइब्रेरी रखा गया था, उसे हटा दिया गया है. इसके अलावा बड़े आकार का भारत का एक नक्शा और इंडिया गेट का एक कटआउट भी यहां लगाया गया था. ये सभी चिन्ह शाहीन बाग़ में नागरिकता संशोधन क़ानून विरोधी आंदोलन के प्रतीक थे लेकिन अब यहां सबकुछ साफ़ कर दिया गया है. एमसीडी के कर्मचारियों के साथ पेंटर भी आए थे जिन्होंने बस स्टॉप, फुट ओवर ब्रिज और दीवारों पर नागरिकता संशोधन क़ानून विरोधी नारों को मिटा दिया है. इससे पहले दिल्ली पुलिस ने कई बार धरना ख़त्म करवाने की कोशिश की लेकिन उसे तीखा विरोध झेलना पड़ा. सोमवार को दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों और आस-पास की रेज़िडेंट वेलफेयर एसोसिएशंस के साथ बैठक की थी जो बेनतीजा रही. हालांकि मंगलवार की सुबह जब धरना स्थल पर मौजूद सभी सामान हटाने का काम शुरू हुआ तो कोई विरोध नहीं हुआ. धरना स्थल और आसापास मौजूद रहने वाले प्रदर्शनकारी भी मंगलवार की सुबह नज़र नहीं आए. कोरोनावायरस के चलते दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस ने तमाम पाबंदियां लागू कर रखी हैं जिसकी वजह से शाहीन बाग़ धरना स्थल पर मौजूद सभी दुकानें अभी भी बंद हैं. दिल्ली पुलिस जब धरना स्थल को हटाने की कार्रवाई कर रही थी, तब पुलिस और पैरामिलिट्री के जवान रिहाइशी इलाक़ों में भी तैनात थे. कार्रवाई पूरी होने तक सभी गलियों और नुक्कड़ पर खड़े जवानों ने किसी को भी घर से बाहर नहीं निकलने दिया. आमतौर पर शाहीन बाग़ के रिहाइशी इलाक़े में खाने-पीने और ज़रूरी सामानों की दुकानें खुली होती थीं लेकिन मंगलवार की सुबह सबकुछ बंद मिला. इक्का-दुक्का ग्रॉसरी शॉप ज़रूर खुली दिखीं लेकिन दूध, ब्रेड जैसे रोज़मर्रा के सामान ख़त्म हो चुके थे. दिल्ली पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर ने कहा कि वे सुबह से धरना स्थल को हटाने में लगे हुए हैं और खुली हुई दुकानों से सामान ख़रीदकर खा रहे हैं. ऐसे में सामान ख़त्म हो जाना स्वभाविक है. कार्रवाई ख़त्म होने के बाद भी दिल्ली पुलिस और पैरामिलिट्री के जवान बड़ी तादाद में मौक़े पर बने हुए हैं. यहां पुलिसबल की संख्या में कमी कब आएगी, यह अभी साफ़ नहीं है. इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि पिछले 24 घंटे में दिल्ली में कोरोनावायरस से संक्रमित कई नया मरीज़ नहीं मिला है. पांच लोगों को अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया है. फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हमें किसी भी परिस्थिति में हालात को बेक़ाबू नहीं होने देना है. इस चुनौती को हासिल करने में सभी की मदद की ज़रूरत है.
शाहीन बाग़ धरना स्थल पर एक बस स्टॉप को पब्लिक लाइब्रेरी में तब्दील कर दिया गया था जिसका नाम सावित्रीबाई फुले-फ़ातिमा शेख़ लाइब्रेरी रखा गया था, उसे हटा दिया गया है. इसके अलावा बड़े आकार का भारत का एक नक्शा और इंडिया गेट का एक कटआउट भी यहां लगाया गया था. ये सभी चिन्ह शाहीन बाग़ में नागरिकता संशोधन क़ानून विरोधी आंदोलन के प्रतीक थे लेकिन अब यहां सबकुछ साफ़ कर दिया गया है. एमसीडी के कर्मचारियों के साथ पेंटर भी आए थे जिन्होंने बस स्टॉप, फुट ओवर ब्रिज और दीवारों पर नागरिकता संशोधन क़ानून विरोधी नारों को मिटा दिया है. इससे पहले दिल्ली पुलिस ने कई बार धरना ख़त्म करवाने की कोशिश की लेकिन उसे तीखा विरोध झेलना पड़ा. सोमवार को दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों और आस-पास की रेज़िडेंट वेलफेयर एसोसिएशंस के साथ बैठक की थी जो बेनतीजा रही. हालांकि मंगलवार की सुबह जब धरना स्थल पर मौजूद सभी सामान हटाने का काम शुरू हुआ तो कोई विरोध नहीं हुआ. धरना स्थल और आसापास मौजूद रहने वाले प्रदर्शनकारी भी मंगलवार की सुबह नज़र नहीं आए. कोरोनावायरस के चलते दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस ने तमाम पाबंदियां लागू कर रखी हैं जिसकी वजह से शाहीन बाग़ धरना स्थल पर मौजूद सभी दुकानें अभी भी बंद हैं. दिल्ली पुलिस जब धरना स्थल को हटाने की कार्रवाई कर रही थी, तब पुलिस और पैरामिलिट्री के जवान रिहाइशी इलाक़ों में भी तैनात थे. कार्रवाई पूरी होने तक सभी गलियों और नुक्कड़ पर खड़े जवानों ने किसी को भी घर से बाहर नहीं निकलने दिया. आमतौर पर शाहीन बाग़ के रिहाइशी इलाक़े में खाने-पीने और ज़रूरी सामानों की दुकानें खुली होती थीं लेकिन मंगलवार की सुबह सबकुछ बंद मिला. इक्का-दुक्का ग्रॉसरी शॉप ज़रूर खुली दिखीं लेकिन दूध, ब्रेड जैसे रोज़मर्रा के सामान ख़त्म हो चुके थे. दिल्ली पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर ने कहा कि वे सुबह से धरना स्थल को हटाने में लगे हुए हैं और खुली हुई दुकानों से सामान ख़रीदकर खा रहे हैं. ऐसे में सामान ख़त्म हो जाना स्वभाविक है. कार्रवाई ख़त्म होने के बाद भी दिल्ली पुलिस और पैरामिलिट्री के जवान बड़ी तादाद में मौक़े पर बने हुए हैं. यहां पुलिसबल की संख्या में कमी कब आएगी, यह अभी साफ़ नहीं है. इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि पिछले 24 घंटे में दिल्ली में कोरोनावायरस से संक्रमित कई नया मरीज़ नहीं मिला है. पांच लोगों को अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया है. फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हमें किसी भी परिस्थिति में हालात को बेक़ाबू नहीं होने देना है. इस चुनौती को हासिल करने में सभी की मदद की ज़रूरत है.
In last 24 hours, no new case of #COVID19 reported in Delhi. 5 ppl have been discharged after treatment. Biggest challenge right now is that we don't have to let the situation turn uncontrollable, under any circumstance. Contribution of all is needed in achieving this: Delhi CM pic.twitter.com/xhvQRV9rlF
— ANI (@ANI) March 24, 2020
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