करुणा अभियान चलाकर पतंग से घायल पक्षियों को नई ज़िन्दगी देती है गुजरात सरकार
गुजरात में काइट फेस्टिवल में पतंग से घायल होने वाले पक्षियों के लिए राज्य सरकार ने करुणा अभियान की शुरुआत की थी। जिसमें इस अभियान के तहत घायल पक्षियों का इलाज कर उन्हें वापस छोड़ा जाएगा।
घायल परिंदों को बचाने की कवायद में जुटे ये डॉक्टर्स वडोदरा के हैं, जो इनको नई जिंदगी देने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं ताकि ये पक्षी खुले आसमान में एक बार फिर आजादी से उड़ सके। पूरे गुजरात में राज्य सरकार की तरफ से हर साल 10 से 20 जनवरी के बीच करुणा अभियान चलाया जाता हैं। इस अभियान में पतंग के धागे से घायल हुए पक्षियों का इलाज डॉक्टर्स करते हैं। इस बार परिंदों को बचाने के लिए सिर्फ वडोदरा में ही 38 सेंटर बनाएं गए हैं।
इसके अलावा 5 एंबुलेंस और 2 मोबाइल वैन भी पक्षियों की सुरक्षा के लिए लगाई गई हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि हर सेंटर पर सीनियर डॉक्टर्स के साथ जूनियर डॉक्टरों की टीम को भी तैनात किया गया, ताकि जैसे ही कोई घायल पक्षी आए उसे बचा लिया जाए। वहीं फॉरेस्ट ऑफिसर का कहना है कि लोगों से हमारी अपील हैं कि पतंगबाजी करते वक्त पक्षियों की सुरक्षा का भी ध्यान रखे। साथ ही चाइनीज धागे का इस्तमाल ना करे, क्योंकि इसी से सबसे ज्यादा पक्षी घायल होते हैं। वीडियो देखिये मकर संक्रांति से पहले वडोदरा ही नहीं बल्कि इसके आसपास के शहरों में भी पतंगबाजी का दौर शुरु हो जाता हैं। पतंगबाजी से आसमान तो रंगीन हो जाता हैं, लेकिन पक्षियों को उड़ने के लिए जगह नहीं मिल पाती हैं और वो तेज मांजे से कटकर घायल हो जाते हैं। सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी लोगों पर कोई फर्क पड़ता दिखाई नहीं देता और बेज़बान परिंदे या तो घायल हो जाते हैं या उनकी जान चली जाती हैं।
इसके अलावा 5 एंबुलेंस और 2 मोबाइल वैन भी पक्षियों की सुरक्षा के लिए लगाई गई हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि हर सेंटर पर सीनियर डॉक्टर्स के साथ जूनियर डॉक्टरों की टीम को भी तैनात किया गया, ताकि जैसे ही कोई घायल पक्षी आए उसे बचा लिया जाए। वहीं फॉरेस्ट ऑफिसर का कहना है कि लोगों से हमारी अपील हैं कि पतंगबाजी करते वक्त पक्षियों की सुरक्षा का भी ध्यान रखे। साथ ही चाइनीज धागे का इस्तमाल ना करे, क्योंकि इसी से सबसे ज्यादा पक्षी घायल होते हैं। वीडियो देखिये मकर संक्रांति से पहले वडोदरा ही नहीं बल्कि इसके आसपास के शहरों में भी पतंगबाजी का दौर शुरु हो जाता हैं। पतंगबाजी से आसमान तो रंगीन हो जाता हैं, लेकिन पक्षियों को उड़ने के लिए जगह नहीं मिल पाती हैं और वो तेज मांजे से कटकर घायल हो जाते हैं। सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी लोगों पर कोई फर्क पड़ता दिखाई नहीं देता और बेज़बान परिंदे या तो घायल हो जाते हैं या उनकी जान चली जाती हैं।
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