नीति आयोग ने पेश की जल प्रबंधन पर रिपोर्ट, गुजरात में चल रहा है सबसे बेहतर काम
नीति आयोग ने जल प्रबंधन सूचकांक यानि कंपोज़िट वॉटर मैनेजमेंट इंडेक्स 2019 की रिपोर्ट जारी कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक जल प्रबंधन का सबसे अच्छा काम गुजरात में चल रहा है। दूसरे पायदान पर आंध्र प्रदेश है वहीं तीसरे पर मध्य प्रदेश, चौथे पर गोवा, पांचवे पर कर्नाटक और छठवें पायदान पर तमिलनाडु है।
पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों की बात करें तो हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, त्रिपुरा और असम में भी जल प्रबंधन के लिए बेहतर काम हो रहा है। जिन राज्यों में जल प्रबंधन को लेकर गंभीरता नहीं दिख रही है, उनमें दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, राजस्थान, नागालैंड, मेघालय जैसे राज्य शामिल हैं।
चिंता की बात ये है कि इन राज्यों में देश की लगभग 48 फीसदी आबादी रहती है और कुल अनाज उत्पादन का 40 फीसदी उत्पादन इन्हीं राज्यों में होता है। देश की अर्थव्यवस्था में इन राज्यों की हिस्सेदारी 35 फीसदी है लेकिन बढ़ते जल संकट को लेकर गंभीरता नहीं दिख रही। हालांकि नीति आयोग की रिपोर्ट कितनी सच है, इस पर सवाल उठ रहे हैं। गोन्यूज़ की ही एक रिपोर्ट के मुताबिक कुप्रबंधन के चलते गुजरात में पानी का जबर्दस्त संकट पैदा हो गया है। सरदार सरोवर डैम में पानी का स्तर पिछले 15 साल में सबसे नीचे पहुंच गया है। राज्य सरकार ने किसानों से अगली फ़सल की बुआई ना करने और उद्योगों से अपने लिए पानी का इंतेज़ाम ख़ुद करने को कहा है। सरकार ने कहा है कि वो सिर्फ़ पीने का पानी ही सप्लाई कर सकते हैं, ऐसे में जल प्रबंधन के मामले में गुजरात को पहले पायदान पर रखना संदेह पैदा करता है।
चिंता की बात ये है कि इन राज्यों में देश की लगभग 48 फीसदी आबादी रहती है और कुल अनाज उत्पादन का 40 फीसदी उत्पादन इन्हीं राज्यों में होता है। देश की अर्थव्यवस्था में इन राज्यों की हिस्सेदारी 35 फीसदी है लेकिन बढ़ते जल संकट को लेकर गंभीरता नहीं दिख रही। हालांकि नीति आयोग की रिपोर्ट कितनी सच है, इस पर सवाल उठ रहे हैं। गोन्यूज़ की ही एक रिपोर्ट के मुताबिक कुप्रबंधन के चलते गुजरात में पानी का जबर्दस्त संकट पैदा हो गया है। सरदार सरोवर डैम में पानी का स्तर पिछले 15 साल में सबसे नीचे पहुंच गया है। राज्य सरकार ने किसानों से अगली फ़सल की बुआई ना करने और उद्योगों से अपने लिए पानी का इंतेज़ाम ख़ुद करने को कहा है। सरकार ने कहा है कि वो सिर्फ़ पीने का पानी ही सप्लाई कर सकते हैं, ऐसे में जल प्रबंधन के मामले में गुजरात को पहले पायदान पर रखना संदेह पैदा करता है।
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