हर्बल पौधों को बढ़ावा देने के लिये घर में बनाया बागीचा
पर्यावरण को बचाने के लिए कर्नाटक शिवमोगा के रहने वाले 73 साल के बी वेंकटगिरी ने अपने घर में एक ऐसा अनोखा बागीचा तैयार किया है. जिसमें विलुप्त माने जाने वाले 500 से ज्यादा पौधे और 1500 से ज्यादा अलग-अलग किस्मों के बीचों को इकट्ठा करके रखा है. उनका मकसद इन पौधों के प्रति युवाओं को जागरुक करना है और हर्बल की तरफ लाना है.
वेंकटगिरी खुद एक पर्यापरणविद् है और मेडिसिनल प्लांट में रुचि होने की वजह से उन्होंने अपने घर में हर्बल पौधों का सरंक्षण कने के लिए बगीचा तैयार किया है.
जिसके लिए उन्होंने पहले कर्नाटक और उसके आस पास के जिलों का दौरा किया और विलुप्त होते पौधों की प्रजातियों को बचाने में जुट गये. उन्होंने नवग्रहवन, नंदनवन, पवित्र वाना,अश्विनी वाना जैसे हर्बल पौधों को उगाने का काम शुरु किया. उनका मकसद लोगों को हर्बल पौधों के प्रति जागरुक करना है और हर्बल को बढावा देना है. भारत औषधीय पौधों का सबसे बड़ा उत्पादक है यहां करीब 6 से 7 हजार औषधीय पौधों की प्रजातियां पाई जाती है. वीडियो देखिये विदेशों में औषधिय पौधों का निर्यात 120 बिलियन डॉलर है तो वहीं भारत हर साल औषधिय पौधों में दस अरब रुपए का निर्यात करता है जो विदेशों के मुकाबले कम है. पिछले दिनों वैकल्पिक स्वास्थ्य दुनिया भर में मजबूत हो रहा है जिसको देखते हुए औषधिएं पौधों का बाजार बहुत तेजी से बढ़ रहा है.
जिसके लिए उन्होंने पहले कर्नाटक और उसके आस पास के जिलों का दौरा किया और विलुप्त होते पौधों की प्रजातियों को बचाने में जुट गये. उन्होंने नवग्रहवन, नंदनवन, पवित्र वाना,अश्विनी वाना जैसे हर्बल पौधों को उगाने का काम शुरु किया. उनका मकसद लोगों को हर्बल पौधों के प्रति जागरुक करना है और हर्बल को बढावा देना है. भारत औषधीय पौधों का सबसे बड़ा उत्पादक है यहां करीब 6 से 7 हजार औषधीय पौधों की प्रजातियां पाई जाती है. वीडियो देखिये विदेशों में औषधिय पौधों का निर्यात 120 बिलियन डॉलर है तो वहीं भारत हर साल औषधिय पौधों में दस अरब रुपए का निर्यात करता है जो विदेशों के मुकाबले कम है. पिछले दिनों वैकल्पिक स्वास्थ्य दुनिया भर में मजबूत हो रहा है जिसको देखते हुए औषधिएं पौधों का बाजार बहुत तेजी से बढ़ रहा है.
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