कोरोना के खिलाफ लड़ाई में राजस्थान का भीलवाड़ा कैसे बना एक मॉडल ?
सिर्फ 14 दिन पहले, राजस्थान का भीलवाड़ा जिला देश में कोरोनावायरस के सबसे बड़े हॉटस्पॉट में शामिल था। लेकिन कड़े लॉकडाउन, सटीक प्लानिंग और गजब के हेल्थ सिस्टम के चलते पिछले 8 दिनों में कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया है। जब देश में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, तब भीलवाड़ा मॉडल की चर्चा लाजमी है कि वहां किस तरह कोरोना को क़ाबू कर लिया गया।
भीलवाड़ा में सबसे पहले एक प्राइवेट हॉस्पिटल के डॉक्टर कोरोना से संक्रमित हुए। बाद में उसी हॉस्पिटल का स्टाफ और उनके आस-पास काम करने वालों को इस वायरस ने पकड़ा। ज़ाहिर है एक अस्पताल जहां हज़ारों मरीज आते-जाते हों, इन समस्या का अंतिम छोर ढूंढ़ना मुश्किल था। लेकिन प्रशासन की मुस्तैदी के चलते अस्पताल से रिकॉर्ड निकलवा कर ट्रेसिंग शरू हुई और पता लगाया गया कि कौन-कौन लोग संक्रमित लोगों के संपर्क में आये।
उसके साथ भीलवाड़ा की सीमाएं सील कर दी गई और लोगों की आवाजाही बंद हो गयी। 5000 लोग जो इस अस्पताल के संपर्क में आये थे, उनकी जांच शुरू की गयी। करीब 22 लाख गांव में रहने वाले परिवारों की जांच की गयी। जिन भी लोगों में लक्षण दिखे, उन्हें तुरंत आइसोलेशन में भेजा गया। हालत की गंभीरता देखते हुए तुरंत कर्फ्यू लगा दिया गया, लेकिन बिना ज़रूरी सामान की सप्लाई छेड़े। धर्मगुरुओं की मदद से लोगों को घरो में रहने के लिए प्रेरित किया गया। इसके बाद सोशल मीडिया पर अफवाह उड़ाने वालों पर कार्रवाई की गयी। दूध, सब्जी और दवाई की हर घर के लिए होम डिलीवरी शुरू की गयी। 5 कण्ट्रोल रूम बनाये गए। 1551 बेड की क्वारंटाइन फैसिलिटी बनाई गयी। 42 बेड का कोरोना पेशेंट्स की लिए ICU बनाया गया। 15 हज़ार तक बेड को रिज़र्व मोड में रखा गया। आंगनवाड़ी वर्कर्स के साथ मिलकर लोगों की घर-घर जाकर स्क्रीनिंग हुई और रोज़ रिपोर्ट तैयार करके ऊपर भेजे जाने लगी। ये मॉडल इतना कारगर था कि अबतक भीलवाड़ा के लोगों की 3 बार स्क्रीनिंग की जा चुकी है। नतीजा ये है कि जो जिला शुरू में सबसे ज्यादा ग्रस्त था, अब वह पिछले 8 दिनों में एक भी मामला सामने नहीं आया है।
उसके साथ भीलवाड़ा की सीमाएं सील कर दी गई और लोगों की आवाजाही बंद हो गयी। 5000 लोग जो इस अस्पताल के संपर्क में आये थे, उनकी जांच शुरू की गयी। करीब 22 लाख गांव में रहने वाले परिवारों की जांच की गयी। जिन भी लोगों में लक्षण दिखे, उन्हें तुरंत आइसोलेशन में भेजा गया। हालत की गंभीरता देखते हुए तुरंत कर्फ्यू लगा दिया गया, लेकिन बिना ज़रूरी सामान की सप्लाई छेड़े। धर्मगुरुओं की मदद से लोगों को घरो में रहने के लिए प्रेरित किया गया। इसके बाद सोशल मीडिया पर अफवाह उड़ाने वालों पर कार्रवाई की गयी। दूध, सब्जी और दवाई की हर घर के लिए होम डिलीवरी शुरू की गयी। 5 कण्ट्रोल रूम बनाये गए। 1551 बेड की क्वारंटाइन फैसिलिटी बनाई गयी। 42 बेड का कोरोना पेशेंट्स की लिए ICU बनाया गया। 15 हज़ार तक बेड को रिज़र्व मोड में रखा गया। आंगनवाड़ी वर्कर्स के साथ मिलकर लोगों की घर-घर जाकर स्क्रीनिंग हुई और रोज़ रिपोर्ट तैयार करके ऊपर भेजे जाने लगी। ये मॉडल इतना कारगर था कि अबतक भीलवाड़ा के लोगों की 3 बार स्क्रीनिंग की जा चुकी है। नतीजा ये है कि जो जिला शुरू में सबसे ज्यादा ग्रस्त था, अब वह पिछले 8 दिनों में एक भी मामला सामने नहीं आया है।
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