CAA से कितनो को फायदा, क्या सरकार छुपा रही है आंकड़ा?

by Rahul Gautam 4 years ago Views 2362

How many people benefit from CAA, is the governmen
विवादित नागरिकता क़ानून के तहत केंद्र सरकार पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान के कितनों लोगों को भारत की नागरिकता देगी, इसका आंकड़ा अभी तक साफ नहीं हो पाया है. इस बीच योगी सरकार ने यूपी में रह रहे इन देशो से आये प्रवासियों की लिस्ट केंद्र सरकार को भेज दी है जिनकी संख्या लगभग 40 हज़ार है लेकिन केंद्र सरकार के आंकड़े कुछ और कहानी पेश कर रहे है।    

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार योगी सरकार की तैयार रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के 19 ज़िलों रायबरेली, गोरखपुर, सहारनपुर, रामपुर, मुज़फ़्फनगर, हापुड़, मथुरा, कानपुर, प्रतापगढ़, वाराणसी, अमेठी, झांसी, बहराइच, लखीमपुरखीरी, लखनऊ, मेरठ और पीलीभीत और आगरा में लगभग 40 हज़ार प्रवासि फैले हुए हैं. यूपी सरकार की रिपोर्ट का नाम ' उत्तर प्रदेश में आये पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान एवम बांग्लादेश के शरणार्थीओ की आपबीती कहानी' है.


सवाल यह है कि अगर सिर्फ यूपी में तीनों देशों के 40 हज़ार अल्पसंख्यक पीड़ित हैं तो फिर पूरे देश में इनकी संख्या क्या होगी. केंद्र सरकार ने अभी तक इसका आंकड़ा जारी नहीं किया है. नागरिकता कानून पर बनी संसद की जॉइंट पार्लियामेंट्री समिति रिपोर्ट जनवरी 2019 में संसद में पेश की गई थी. इसके मुताबिक इस क़ानून से 31,313 लोग फौरन लाभार्थी बनेंगे। इनमें से 25447 हिन्दू, 5807 सिख, 55 ईसाई और 2 बुद्धिस्ट और 2 पारसी हैं जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से भागकर आये हैं और जिन्हें सरकार ने लॉन्ग टर्म वीज़ा दिया हुआ है। इन सभी लोगों का दावा है कि इन्हें इनके देशों में धार्मिक भेदभाव का सामना करना पड़ा था और ये भारत की नागरिकता चाहते हैं। जॉइंट पार्लियामेंट्री समिति ने जब इंटेलिजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर से इसके बारे में पूछा, तब उनका जवाब था ' प्राप्त जानकारी के मुताबिक, मुझे लगता है, कि ये नंबर कम ही रहेगा। 

वहीं संयुक्त राष्ट्र के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक भारत में 2018 तक 2 लाख 7 हज़ार 891 रिफ्यूजी थे और लगभग 12 हज़ार लोग शरण की मांग कर रहे थे। हालांकि इनमें सभी धर्मों के और सभी देशों के शरणार्थी शामिल हैं. दूसरी ओर पाकिस्तान में शरणार्थियों की तादाद 15 लाख और अफ़ग़ानिस्तान में 26 लाख से ज्यादा है। 

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ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि देश में पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों का वास्तविक आंकड़ा क्या है? कहा जा रहा है कि यह संख्या बेहद कम है कि मोदी सरकार जान बूझकर इसे सार्वजनिक नहीं कर रही. विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि इस क़ानून के ज़रिए मोदी सरकार पर समाज को बांटने की कोशिश कर रही है। कुछ हज़ार लोगो को नागरिकता देने के लिए एक अरब से ज्यादा आबादी के कानून का बदलना और उसे साम्प्रदायिक रंग देना इस बात का सबूत बताये जा रहे है।

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