हैदराबाद एनकाउंटर सवालों के घेरे में, पुलिस कमिश्नर वीसी सज्जनार पर फिर सवाल उठे
तेलंगाना के वारंगल ज़िले में इंजिनियरिंग की दो स्टूडेंट्स पर साल 2008 में तीन लड़कों ने एसिड फेंक दिया था. इस एसिड कांड पर ख़ूब हंगामा हुआ जिसके बाद तीनों लड़कों का एनकाउंटर हो गया. तब वारंगल के एसपी 1996 बैच के आईपीएस अफ़सर वीसी सज्जनार थे.
यही वीसी सज्जनार अब साइबराबाद के पुलिस कमिश्नर हैं जहां पिछले 27 नवंबर को महिला वेटरनेटरी डॉक्टर के साथ गैंगरेप और हत्या के बाद से हंगामा मचा है. कहा जा रहा है कि इस केस में लापरवाही उजागर होने के बाद से साइबराबाद पुलिस पर काफी दबाव था और अब सभी चार आरोपियों का एनकाउंटर कर दिया गया है.
दोनों एनकाउंटर में पुलिस की थ्योरी कमोबेश एक जैसी है. और वारंगल के बाद साइबराबाद एनकाउंटर की सच्चाई पर भी सवाल उठ रहे हैं. हालांकि सोशल मीडिया पर एनकाउंटर स्पेशलिस्ट और एनकाउंटर मैन कहकर पुलिस कमिश्नर वीसी सज्जनार को बधाई दी जा रही है. पुलिस एनकाउंटर पर सवाल बार-बार उठते रहते हैं लेकिन इन मामलों में निष्पक्ष जांच बमुश्किल हो पाती है. एनकाउंटर से यह भी साबित नहीं होता कि अपराध घट जाएंगे. योगी सरकार की अगुवाई वाली यूपी पुलिस बीते दो साल में 5178 एनकाउंटर में आपराधिक पृष्ठभूमिक वाले 108 आरोपी मार चुकी है लेकिन एनसीआरबी के ताज़ा आंकड़ों में यूपी बलात्कार समेत तमाम गंभीर अपराध में पहले नंबर पर है. यूपी पुलिस के एनकाउंटर्स पर भी फर्ज़ी होने के आरोप बार-बार लगते हैं.
दोनों एनकाउंटर में पुलिस की थ्योरी कमोबेश एक जैसी है. और वारंगल के बाद साइबराबाद एनकाउंटर की सच्चाई पर भी सवाल उठ रहे हैं. हालांकि सोशल मीडिया पर एनकाउंटर स्पेशलिस्ट और एनकाउंटर मैन कहकर पुलिस कमिश्नर वीसी सज्जनार को बधाई दी जा रही है. पुलिस एनकाउंटर पर सवाल बार-बार उठते रहते हैं लेकिन इन मामलों में निष्पक्ष जांच बमुश्किल हो पाती है. एनकाउंटर से यह भी साबित नहीं होता कि अपराध घट जाएंगे. योगी सरकार की अगुवाई वाली यूपी पुलिस बीते दो साल में 5178 एनकाउंटर में आपराधिक पृष्ठभूमिक वाले 108 आरोपी मार चुकी है लेकिन एनसीआरबी के ताज़ा आंकड़ों में यूपी बलात्कार समेत तमाम गंभीर अपराध में पहले नंबर पर है. यूपी पुलिस के एनकाउंटर्स पर भी फर्ज़ी होने के आरोप बार-बार लगते हैं.
गुजरात में इशरत जहां, सोहराबुद्दीन, तुलसी प्रजापति समेत कई एनकाउंटर के फर्ज़ी होने के आरोप लग चुके हैं. रिटायर्ड आईपीएस अफ़सर डीजी वंज़ारा समेत कई पुलिस अधिकारियों को फर्ज़ी एनकाउंटर के आरोप में सालों जेल में गुज़ारना पड़ा है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित जस्टिस एचएस बेदी ने गुजरात में 2002 से 2006 के बीच हुए 17 एनकाउंटर्स की जांच करके पिछले साल रिपोर्ट सौंपी है जिसमें तीन एनकाउंटर फर्ज़ी मिले और 9 पुलिस अफ़सर दोषी पाए गए. वीडियो देखिये 2012 में छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सुरक्षाबलों ने छह नाबालिगों समेत 17 लोगों को नक्सली बताकर एनकाउंटर कर दिया था. इस मामले में हंगामा हुआ तो रिटायर्ड जस्टिस वीके अग्रवाल की अध्यक्षता वाले न्यायिक आयोग ने जांच की. पिछले महीने आई रिपोर्ट में एनकाउंटर को फर्ज़ी और मारे गए लोगों को बेगुनाह आदिवासी बताया गया. छत्तीसगढ़ सरकार अब दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की तैयारी कर रही है.The figures speak for themselves. Jungle Raj is a thing of the past. No longer now.
— UP POLICE (@Uppolice) December 6, 2019
103 criminals killed and 1859 injured in 5178 police engagements in the last more than 2 years.
17745 criminals surrendered or cancelled their own bails to go to jail.
Hardly state guests. https://t.co/8ed1bqltRd
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