ब्रिक्स देशों में हालात विस्फोटक, आग की तरह फैल रहा संक्रमण

by Rahul Gautam 3 years ago Views 1431

In BRICS countries, corona is spreading like fire
कोरोनावायरस की महामारी ब्रिटेन, अमेरिका समेत तमाम यूरोपीय देशों में थमती दिख रही है. इन देशों में संक्रमण के मामलों में कमी आई है और मौतें भी घटी हैं. कई यूरोपीय देशों ने तो अपने आप को कोरोना मुक्त भी घोषित कर दिया है. दूसरी ओर विकासशील देशों में यह महामारी तेज़ी से पांव पसार रही है. विकासशील देशों के सबसे बड़े संगठन ब्रिक्स के सदस्यों ने उन देशों को पीछे छोड़ दिया है, जहां कोरोना का संक्रमण आग की तरह फैला था.

ब्रिक्स के सदस्य रूस में सबसे ज़्यादा कोरोना के मामले दर्ज हुए हैं. मरीज़ों की तादाद 3 लाख 8 हज़ार के ऊपर पहुंच चुकी है. रूस में बीते 24 घंटे में साढ़े आठ हज़ार मामले आए. इसी महीने में रुस में लगातार एक हफ्ते तक 10 हज़ार से ज़्यादा मरीज़ मिलते रहे. ब्रिक्स के दूसरे सदस्य देश ब्राजील में एक दिन में 21 हज़ार से ज़्यादा मामले मिले. यहां 2 लाख 94 हजार लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं.


भारत का भी यही हाल है जहां संक्रमण 1 लाख 10 हज़ार के करीब पहुंच गया है. भारत में शुरुआत में काफी कम केस सामने आए थे लेकिन अब यहां पर तेजी से संक्रमण फैल रहा है पिछले 24 घंटे के भीतर 5600 से ज्यादा मामले सामने आए हैं.

कोरोना के मामले चीन में सबसे पहले आए थे लेकिन यहां सिर्फ 82 हजार के आसपास लोग संक्रमित हुए. यहां एक्टिव मरीज़ों की संख्या सिर्फ 84 रह गई है. हालांकि चीन में रह-रहकर नए मामले सामने आ रहे हैं. संक्रमण के 18 हज़ार से ज्यादा मामले वाले देश साउथ अफ्रीका में भी संक्रमण तेजी से पैर पसार रहा है.

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डब्ल्यूएचओ ने आशंका जताई है कि दक्षिण अफ्रीका और कैमरून में महामारी भयंकर रूप ले सकती है. इन सभी देशों में संक्रमण का प्रतिशत निकाला जाए तो वह 16 फ़ीसदी बैठता है. विकासशील देशों में स्वास्थ्य का ढांचा बेहद कमज़ोर है. इन 4 देशों में ज्यादातर मामले अप्रैल के महीने में सामने आए हैं.

माना जा रहा है कि लॉकडाउन खोलने और आर्थिक गतिविधियां शुरू करने से संक्रमण के मामले में विस्फोट हो सकता है. वहीं विकसित देशों में संक्रमण के नए मामलों में अप्रैल में 40 फ़ीसदी तक गिर चुकी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आशंका ज़ाहिर की है कि अगर हालात नहीं सुधरे तो संक्रमण चार करोड़ से ज़्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है और 12 महीने में लगभग 2 लाख मौतें हो सकती हैं.

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