वित्तीय घाटे से बचने के लिए सरकार ने जनवरी-मार्च तिमाही में कम की मंत्रालयों की खर्च सीमा

by Rahul Gautam 4 years ago Views 995

In order to avoid financial losses, the government
संसाधनों की कमी के कारण केंद्र सरकार ने कई मंत्रालयों और विभागों को साल 2019-20 के आखिरी तिमाही में अपने पूरे साल के अनुमानित बजट का अधिकतम 25 फीसदी खर्च करने का निर्देश दिया है। इसका मतलब ये है कि जिन मंत्रालयों और विभागों के बजट का काफी पैसा बचा हुआ है, वे अब उसका पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। ये वित्तीय घाटे से बचने की सरकारो कोशिश है।

देश में गहराते आर्थिक संकट को देखते हुए केंद्र सरकार ने कई मंत्रालयों और विभागों के लिए खर्च की सीमा तय कर दी है. केंद्र सरकार ने साल 2019-20 के आखिरी तिमाही में पूरे साल के अनुमानित बजट का अधिकतम 25 फीसदी खर्च करने का निर्देश दिया है और सख्ती से इसका पालन करने के लिए कहा है। यहां यह जानना ज़रूरी है कि पिछले साल की आखिरी तिमाही में 33 फीसदी खर्च करने की छूट थी। इसका सीधा मतलब है कि सरकार खर्चा कमकर वित्तीय संकट से बचना चाहती है।


इस साल फरवरी में पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया था. मोदी सरकार सत्ता में दोबारा आई तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूरा बजट पेश किया. अंतरिम बजट के मुकाबले पूरे बजट में बहुत सारी योजनाओं की राशि में कटौती की जा चुकी है. पूर्वोत्तर के राज्यों के बजट में 500 करोड़, पुलिस के बजट में 360 करोड़, कौशल विकास और रोज़गार सृजन के बजट में 251 करोड़, ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के बजट में 200 करोड़ और स्मार्ट सिटी मिशन में 150 करोड़ की कटौती की गयी है.

अप्रैल के महीने में प्रधानमंत्री कार्यालय ने नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया को सलाह दी थी कि उसको सड़क के प्रोजेक्ट्स बंद कर देने चाहिए और निजी कंपनीओ को अपनी सम्पति बेच देनी चाहिए। इन दोनों सुझाव के पीछे प्रधानमंत्री कार्यालय का तर्क था कि रोड प्रोजेक्ट्स आर्थिक रूप से टिकाऊ नहीं है। कुल मिलाकर देश की अर्थव्यस्था के लिहाज से यह साल किसी बुरे सपने जैसा रहा और आर्थिक मोर्चे पर भारत बांग्लादेश और नेपाल से भी पिछड़ गया।

आमतौर पर सरकारी खर्चे अंतिम तिमाही में बढ़ जाते है क्यूंकि वित्तीय वर्ष ख़त्म  होने से पहले सरकरी योजनाओ में आवंटन ज़रूरी हो जाता है।  इस साल ये तमाम योजनाए नए खर्च सीमा के कारण लटकी रह जाएगी। सरकार साल के छ महीने में ही वित्तीय घाटे की सीमा को पार कर चुकी है और टैक्स कम मिलने के कारण खज़ाना खली है।    

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