नया नक्शा पास करने से नेपाल एक क़दम पीछे, दोनों देशों में तल्ख़ी बढ़ी
महामारी और गिरती अर्थव्यवस्था से जूझ रहे देश के सामने डिप्लोमेसी के मोर्चे पर भी चुनौती बढ़ती जा रही है. लद्दाख में भारत-चीन सीमा विवाद के बीच नेपाल के साथ रिश्ते में कड़वाहट बढ़ती जा रही है. नेपाल सरकार ने अपने नए नक्शे से जुड़ा संविधान संशोधन विधेयक संसद में पेश कर दिया जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने देश का हिस्सा बताया है. फिलहाल यह तीनों क्षेत्र भारतीय सीमा में पड़ते हैं. नेपाल के इस क़दम को विशेषज्ञ दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ाने वाला बताते हैं.
माना जा रहा है कि नेपाली संसद में यह विधेयक आसानी से पास हो जाएगा क्योंकि नेपाल के प्रमुख विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने भी इसका समर्थन कर दिया है. नेपाल ने अपने देश का नया नक्शा 20 मई को जारी किया था जिसपर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. तब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था कि नेपाल के पास अपने दावे को सही साबित करने के लिए ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं हैं.
वीडियो देखिए भारत के आर्मी चीफ जनरल मुकुंद नवराणे के एक बयान से नेपाल और भड़क गया और यह रिश्ते लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. इस विवाद की शुरुआत 8 मई को हुई जब उत्तराखंड के धारचूला और लिपुलेख के बीच एक नई सड़क का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उद्घाटन किया. उसी वक़्त नेपाल ने इस हिस्से को अपना बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज़ कराया था. नेपाल का नया नक्शा इसी विवाद के बाद आया है जिसे नेपाली संसद से पास होना बाक़ी है. विदेश नीति के जानकारों का कहना है कि अगर ये बिल संसद में पास हो गया तो फिर वो क़ानूनी शक़्ल ले लेगा और उसके बाद इस विवाद को सुलझाना और मुश्किल हो जायेगा। जिस नेपाल से भारत का रोटी बेटी का रिश्ता सैकड़ों साल से रहा है, उसके साथ इस स्तर पर कड़वाहट पैदा होना कूटनीतिक मोर्चे पर केंद्र सरकार की बड़ी नाकामी है.
वीडियो देखिए भारत के आर्मी चीफ जनरल मुकुंद नवराणे के एक बयान से नेपाल और भड़क गया और यह रिश्ते लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. इस विवाद की शुरुआत 8 मई को हुई जब उत्तराखंड के धारचूला और लिपुलेख के बीच एक नई सड़क का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उद्घाटन किया. उसी वक़्त नेपाल ने इस हिस्से को अपना बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज़ कराया था. नेपाल का नया नक्शा इसी विवाद के बाद आया है जिसे नेपाली संसद से पास होना बाक़ी है. विदेश नीति के जानकारों का कहना है कि अगर ये बिल संसद में पास हो गया तो फिर वो क़ानूनी शक़्ल ले लेगा और उसके बाद इस विवाद को सुलझाना और मुश्किल हो जायेगा। जिस नेपाल से भारत का रोटी बेटी का रिश्ता सैकड़ों साल से रहा है, उसके साथ इस स्तर पर कड़वाहट पैदा होना कूटनीतिक मोर्चे पर केंद्र सरकार की बड़ी नाकामी है.
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