देश के पहले कैशलेस विलेज में इंटरनेट ठप्प, बकाया बिल पहुंचा एक लाख के क़रीब
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा का पालनार गांव देश नोटबंदी के बाद देश का पहला कैशलेस विलेज घोषित किया गया था लेकिन अब यहां इंटरनेट सेवा ठप पड़ गई है. इंटरनेट के बिल का भुगतान नहीं होने से अब पालनार कैशलेस विलेज नहीं रह गया है.
यह है छत्तीसगढ़ का पालनार गांव, एक आदिवासी बहुल ज़िला. 8 नवंबर 2016 को नोटेबंदी का ऐलान होने के कुछ ही दिन बाद इस गांव को देश का पहला कैशलेस विलेज घोषित किया गया था. तबसे यह गांव नॉन डिजिटल से डिजिटल होने तक का शानदार सफर तय कर चुका है लेकिन अब यहां इंटरनेट सेवा ठप पड़ गई है.
यहां कैशलेस लेनदेन के लिए दुकानों में प्वाइंट टू सेल मशीनें लगाई गई थीं. ये मशीनें वाई-फाई के सहारे इंटरनेट से काम करती थी और भुगतान हो जाता था। तकरीबन तीन साल तक चली इस व्यवस्था के बाद बिल नहीं जमा करने के चलते यहां इंटरनेट सेवा बंद हो गई है. वाई-फाई का 94 हजार 7 सौ रुपए का बिल अटका पड़ा है लेकिन ग्राम पंचायत ने लंबे समय से भुगतान नहीं किया है। वीडियो देखिए इस गाँव में लगभग 432 घर हैं जहां की कुल आबादी 2000 के आसपास है. जनवरी 2017 से अप्रैल 2017 तक गांव ने साढ़े पांच लाख रूपए के डिजिटल ट्रांज़ैक्शन किये. कुल डिजिटल ट्रांज़ैक्शन का 60 फ़ीसदी डिजिटल ट्रांज़ैक्शन हुआ जिसने मुंबई और दिल्ली जैसे मेट्रो शह्ररों को भी पीछे छोड़ दिया जहां सिर्फ 40-45 फ़ीसदी डिजिटल ट्रांज़ैक्शन हुआ. इस गांव में लोगों के पास इ-वॉलेट्स और एप्लीकेशंस हैं जिनके ज़रिए ये डिजिटल लेनदेन करते हैं. मगर इंटरनेट बंद होने से यहां दुकानों में नकद लेन देन दोबारा शुरू हो गया है. खंभों पर लगे राउटर खराब पड़े हैं और दुकानों में लगी पीओएस मशीनों पर धूल जम रही है। इंटरनेट का बिल जमा कराने में ना ग्राम पंचायत दिलचस्पी दिखा रही है और न ही दंतेवाड़ा ज़िले के अफ़सर कोई रूचि ले रहे हैं।
यह है छत्तीसगढ़ का पालनार गांव, एक आदिवासी बहुल ज़िला. 8 नवंबर 2016 को नोटेबंदी का ऐलान होने के कुछ ही दिन बाद इस गांव को देश का पहला कैशलेस विलेज घोषित किया गया था. तबसे यह गांव नॉन डिजिटल से डिजिटल होने तक का शानदार सफर तय कर चुका है लेकिन अब यहां इंटरनेट सेवा ठप पड़ गई है.
यहां कैशलेस लेनदेन के लिए दुकानों में प्वाइंट टू सेल मशीनें लगाई गई थीं. ये मशीनें वाई-फाई के सहारे इंटरनेट से काम करती थी और भुगतान हो जाता था। तकरीबन तीन साल तक चली इस व्यवस्था के बाद बिल नहीं जमा करने के चलते यहां इंटरनेट सेवा बंद हो गई है. वाई-फाई का 94 हजार 7 सौ रुपए का बिल अटका पड़ा है लेकिन ग्राम पंचायत ने लंबे समय से भुगतान नहीं किया है। वीडियो देखिए इस गाँव में लगभग 432 घर हैं जहां की कुल आबादी 2000 के आसपास है. जनवरी 2017 से अप्रैल 2017 तक गांव ने साढ़े पांच लाख रूपए के डिजिटल ट्रांज़ैक्शन किये. कुल डिजिटल ट्रांज़ैक्शन का 60 फ़ीसदी डिजिटल ट्रांज़ैक्शन हुआ जिसने मुंबई और दिल्ली जैसे मेट्रो शह्ररों को भी पीछे छोड़ दिया जहां सिर्फ 40-45 फ़ीसदी डिजिटल ट्रांज़ैक्शन हुआ. इस गांव में लोगों के पास इ-वॉलेट्स और एप्लीकेशंस हैं जिनके ज़रिए ये डिजिटल लेनदेन करते हैं. मगर इंटरनेट बंद होने से यहां दुकानों में नकद लेन देन दोबारा शुरू हो गया है. खंभों पर लगे राउटर खराब पड़े हैं और दुकानों में लगी पीओएस मशीनों पर धूल जम रही है। इंटरनेट का बिल जमा कराने में ना ग्राम पंचायत दिलचस्पी दिखा रही है और न ही दंतेवाड़ा ज़िले के अफ़सर कोई रूचि ले रहे हैं।
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