पाकिस्तान, चीन के बाद क्या नेपाल भी भारत के लिए सिरदर्द बनने वाला है ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में देश को कूटनीतिक मोर्चे पर एक के बाद एक झटके लग रहे हैं. महज़ दो रोज़ पहले चीन के साथ हुई हिंसक झड़प में 20 जवान खोए और चीन गलवान वैली पर कब्ज़े का दावा करने लगा. अब गुरुवार की शाम नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने नेपाल के नए नक़्शे वाले विधेयक पर दस्तख़त करके आखिरी मुहर लगा दी. नेपाल में इस क़ानून को बनने से ना रोक पाना कूटनीतिक मोर्चे पर भारत की नाकामी के तौर पर देखा जा रहा है.
नए नक़्शे में नेपाल ने क़ानून बनाकर लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपना हिस्सा घोषित कर दिया है जो फिलहाल भारतीय क्षेत्र में है. नेपाल के मशहूर अख़बार काठमांडू पोस्ट ने इस खबर को प्रमुखता से छापा है.
साथ में नेपाली प्रधानमंत्री के पी ओली के उस बयान को भी जगह दी जहां उन्होंने कहा है कि नया नक़्शा नेपाल की अपनी ज़मीन वापिस पाने में मील का पत्थर साबित होगा. नक्शा पास करने के अलावा नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सैनिक चौकियां बना रहा है जो और परेशान करने वाला है. एक और नेपाली अख़बार हिमालयन टाइम्स ने राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी की विधेयक पर दस्तख़त करती हुई तस्वीर छापी है. साथ ही लिखा है कि नए नक़्शे को अपनाने की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है.
साथ में नेपाली प्रधानमंत्री के पी ओली के उस बयान को भी जगह दी जहां उन्होंने कहा है कि नया नक़्शा नेपाल की अपनी ज़मीन वापिस पाने में मील का पत्थर साबित होगा. नक्शा पास करने के अलावा नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सैनिक चौकियां बना रहा है जो और परेशान करने वाला है. एक और नेपाली अख़बार हिमालयन टाइम्स ने राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी की विधेयक पर दस्तख़त करती हुई तस्वीर छापी है. साथ ही लिखा है कि नए नक़्शे को अपनाने की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है.
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