ISRO का मिशन चंद्रयान-3 इसी साल 2020 में होगा लॉन्च
साल 2020 की शुरुआत के मौके पर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन यानि इसरो ने अपने बड़े मिशन का ऐलान किया है।इसरो इस साल चंद्रयान- 3 को लॉन्च करेगा जिसका मिशन का मकसद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का निरिक्षण करना है जहां पहले कोई चंद्रयान नहीं गया है।
मिशन 2020 के तहत भारत ने चंद्रयान -3 के साथ अंतरिक्ष में अपनी ऊंची उड़ान भरने का फैसला लेते हुए। इसका ऐलान साल के पहले ही दिन कर दिया हैं। इसरों चीफ के. सिवन ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि सरकार की तरफ से चंद्रयान -3 के लिए अनुमति मिल गई हैं। उन्होंने कहा कि ये चंद्रयान-2 की तरह ही होगा। लेकिन इसमें सिर्फ रोवर और लैंडर होंगे ऑर्बिटर नहीं जिसकी वजह से इसकी लागत पिछले मिशन से कम होगी।
चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर से इस मिशन में मदद ली जाएगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका ऑर्बिटर आने वाले 7 सालों तक काम करेंगा। इस मिशन पर काम करने के लिए चार लोगों को सिलेक्ट कर लिया गया हैं। जिनको ट्रेनिंग के लिए रुस भेजा जाएगा। इस मिशन का मकसद चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव हैं। जहां पहले कोई चंद्रयान नहीं गया। ऐसा माना जाता है कि यहां क्रेटर्स के तौर पर पानी हैं। इसरों इससे पहले चंद्रयान और चंद्रयान -2 पर काम कर चुका हैं।चंद्रयान में सिर्फ एक ऑर्बिटर जहां चांद तर भेजा गया था। वहीं चंद्रयान -2 में ऑर्बिटर के साथ लैंडर और रोवर भी भेजे गए थे। चंद्रयान- 2 का व्रिकम लैंडर चंद्रमा की सतह पर लैंड नहीं कर सका था। क्रैश लैंडिग की वजह से मिशन पूरी तरह कामयाब नहीं हो सका था। जिसकों देखते हुए वैज्ञानिक इस का खासतौंर पर ध्यान दे रहे हैं। कि लैंडर को लैंडिंग करते वक्त किसी तरह का कोई नुकसान ना हो।
चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर से इस मिशन में मदद ली जाएगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका ऑर्बिटर आने वाले 7 सालों तक काम करेंगा। इस मिशन पर काम करने के लिए चार लोगों को सिलेक्ट कर लिया गया हैं। जिनको ट्रेनिंग के लिए रुस भेजा जाएगा। इस मिशन का मकसद चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव हैं। जहां पहले कोई चंद्रयान नहीं गया। ऐसा माना जाता है कि यहां क्रेटर्स के तौर पर पानी हैं। इसरों इससे पहले चंद्रयान और चंद्रयान -2 पर काम कर चुका हैं।चंद्रयान में सिर्फ एक ऑर्बिटर जहां चांद तर भेजा गया था। वहीं चंद्रयान -2 में ऑर्बिटर के साथ लैंडर और रोवर भी भेजे गए थे। चंद्रयान- 2 का व्रिकम लैंडर चंद्रमा की सतह पर लैंड नहीं कर सका था। क्रैश लैंडिग की वजह से मिशन पूरी तरह कामयाब नहीं हो सका था। जिसकों देखते हुए वैज्ञानिक इस का खासतौंर पर ध्यान दे रहे हैं। कि लैंडर को लैंडिंग करते वक्त किसी तरह का कोई नुकसान ना हो।
Latest Videos