जम्मू कश्मीर: जैविक खेती से बदली राजौरी के किसानों की जिंदगी
जम्मू-कश्मीर के राजौरी में इन दिनों किसान जैविक खेती करके अपनी जिंदगी बदल रहे हैं। जैविक खेती से ना सिर्फ उत्पादन बढ़ा हैं बल्कि उनकी आमदनी भी बढ़ रही हैं और सबसे खास ऑर्गेनिक खेती से किसानों की सेहत भी बेहतर हुई हैं।
चारों तरफ पहाड़ों से घिरा और बीच में हरे-भरे खेतों का ये नजारा जम्मू-कश्मीर के राजौरी के सुंदरबनी का हैं, जहां बीते कुछ सालों से किसान जैविक खेती कर रहे हैं। जैविक खेती से किसानों को अच्छा खासा मुनाफा हो रहा हैं। मौसम के अनुसार सब्जी और फल उगाने पर अच्छी तदाद में मौसमी फसल होती हैं, जिससे आमदनी भी अच्छी होती है।
पहले ना तो सिंचाई के लिए कोई सुविधा थी और बाजार से खाद और बीज खरीदने पर अच्छी खासी रकम खर्च करनी पड़ती थी। कई बार तो किसानों के लिए लागत तक निकालना मुश्किल था, लेकिन अब जैविक खेती करने वाले किसानों का कहना है कि यहां करीब 250 लोग जैविक खेती करते हैं। सब्जी और फल बाजार में जाते ही बिक जाते हैं, लेकिन कभी -कभी थोड़ी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है। हमारी मांग है राज्य सरकार से की हमे वक्त पर बीज और बाकी जरुरत के साधन मुहैय्या कराएं ताकि हम और बेहतर तरीके से खेती कर पाएं और आमदनी के ज्यादा जरिए हमारे लिए खुले। वहीं कृषि प्रसार अधिकारी का कहना है कि हमारी कोशिश है डोर स्टेप पर जो सुविधाएं है वो किसानों को दी जाए। इसके लिए हमने हर पंचायत के हिसाब से सर्वे किया हैं और उसके बाद हमारी कोशिश किसानों को उनकी जरुरत के हिसाब से खेती के उपकरण, बीज और सिंचाई से संबंधित चीजें मुहैय्या करना है ताकि इस गांव के अलावा बाकी के 3 पंचायत के लोग भी जैविक खेती करें। वीडियो देखिये भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का हिस्सा सिर्फ़ 15 फ़ीसदी लेकिन यहां की करीब 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। रसायनिक युक्त खाद के इस्तमाल से खेती की लागत में कमी आ रही थी। वहीं जैविक खेती से जमीन की उपजाऊ क्षमता बढ़ रही हैं और सुंदरबनी के किसान जैविक खेती करके ये साबित कर रहे हैं कि अगर फसलों के उत्पादन को बढ़ाना है और जमीनों को बर्बाद होने से बचाना है तो उसके लिए कोशिशें खुद करनी होगी।
चारों तरफ पहाड़ों से घिरा और बीच में हरे-भरे खेतों का ये नजारा जम्मू-कश्मीर के राजौरी के सुंदरबनी का हैं, जहां बीते कुछ सालों से किसान जैविक खेती कर रहे हैं। जैविक खेती से किसानों को अच्छा खासा मुनाफा हो रहा हैं। मौसम के अनुसार सब्जी और फल उगाने पर अच्छी तदाद में मौसमी फसल होती हैं, जिससे आमदनी भी अच्छी होती है।
पहले ना तो सिंचाई के लिए कोई सुविधा थी और बाजार से खाद और बीज खरीदने पर अच्छी खासी रकम खर्च करनी पड़ती थी। कई बार तो किसानों के लिए लागत तक निकालना मुश्किल था, लेकिन अब जैविक खेती करने वाले किसानों का कहना है कि यहां करीब 250 लोग जैविक खेती करते हैं। सब्जी और फल बाजार में जाते ही बिक जाते हैं, लेकिन कभी -कभी थोड़ी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है। हमारी मांग है राज्य सरकार से की हमे वक्त पर बीज और बाकी जरुरत के साधन मुहैय्या कराएं ताकि हम और बेहतर तरीके से खेती कर पाएं और आमदनी के ज्यादा जरिए हमारे लिए खुले। वहीं कृषि प्रसार अधिकारी का कहना है कि हमारी कोशिश है डोर स्टेप पर जो सुविधाएं है वो किसानों को दी जाए। इसके लिए हमने हर पंचायत के हिसाब से सर्वे किया हैं और उसके बाद हमारी कोशिश किसानों को उनकी जरुरत के हिसाब से खेती के उपकरण, बीज और सिंचाई से संबंधित चीजें मुहैय्या करना है ताकि इस गांव के अलावा बाकी के 3 पंचायत के लोग भी जैविक खेती करें। वीडियो देखिये भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का हिस्सा सिर्फ़ 15 फ़ीसदी लेकिन यहां की करीब 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। रसायनिक युक्त खाद के इस्तमाल से खेती की लागत में कमी आ रही थी। वहीं जैविक खेती से जमीन की उपजाऊ क्षमता बढ़ रही हैं और सुंदरबनी के किसान जैविक खेती करके ये साबित कर रहे हैं कि अगर फसलों के उत्पादन को बढ़ाना है और जमीनों को बर्बाद होने से बचाना है तो उसके लिए कोशिशें खुद करनी होगी।
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