जेएनयू से काबुल: बल्खी की कहानी!
देश के प्रमुख विश्विद्यालयों में शामिल जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का नाम दुनियाभर में चर्चा में है। यहां से पढ़ाई कर छात्र दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में उच्च पदों पर कार्यरत हैं। भारत सरकार के दो मंत्री एस. जयशंकर और निर्मला सीतारमण ने भी जेएनयू से ही पढ़े हैं। यही नहीं अफ़ग़ानिस्तान के शिक्षा मंत्री मीरवाइस बल्खी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के ही छात्र रहे हैं।
डॉक्टर मोहम्मद मीरवाइस बल्खी ने साल 2007 में एमए की पढ़ाई के लिये जेएनयू में दाखिला लिया। उन्होंने जेएनयू से एमए के अलावा एम.फिल और पीएचडी तक की पढ़ाई की। उन्होंने इंटरनेशनल रिलेशन (पश्चिम एशियाई अध्ययन में विशेषज्ञता के साथ) पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यलय से राजनीतिक विज्ञान में बीए किया। डॉक्टर मीरवाइस बल्खी ने साल 2015-16 तक प्रथम राजनीतिक डिविज़न (भारत और दक्षिण एशिया) के उप महानिदेशक के रूप में भी काम किया। उन्होंने दिसंबर 2016 से मार्च 2018 तक भारत स्थित अफ़ग़ानिस्तान के दूतावास (एंबेसी) में काउंसलर मंत्रालय में उप प्रमुख के पद पर काम किया।
मीरवाइस बल्खी, मई 2013 में अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्रालय में शामिल हुए और सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक स्टडीज (सीएसएस) में अफ्रीका और मध्य पूर्व डेस्क के प्रमुख के रूप में काम किया। मीरवाइस बल्खी ने दारी (फारसी) शीर्षकों में दो किताबें लिखी हैं। जिसमें ‘सऊदी अरब फॉरेन पॉलिसी टुवार्ड्स अफ़ग़ानिस्तान’ और ‘अ क्रिटिक ऑन अफ़ग़ािस्तान रिजनल इंटिग्रेशन’ शामिल है। मीरवाइस बल्खी पर चर्चा क्यों? अफ़ग़ानिस्तान के दक्षिण-पूर्वी इलाके में एक स्कूल निर्माण को अफ़ग़ान शिक्षा मंत्रालय ने मंज़ूरी दी है। आस-पास कोई स्कूल नहीं होने के कारण एक 63 साल के व्यक्ति अपनी बेटी को रोज़ तक़रीबन 12 किलोमीटर तक का सफर कर स्कूल पहुंचाते हैं। बीते दिनों अफ़ग़ान शिक्षा मंत्री मीरवाइस बल्खी ने उन्हें सम्मानित किया है और एक स्कूल निर्माण का निर्देश दिया।
मीरवाइस बल्खी, मई 2013 में अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्रालय में शामिल हुए और सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक स्टडीज (सीएसएस) में अफ्रीका और मध्य पूर्व डेस्क के प्रमुख के रूप में काम किया। मीरवाइस बल्खी ने दारी (फारसी) शीर्षकों में दो किताबें लिखी हैं। जिसमें ‘सऊदी अरब फॉरेन पॉलिसी टुवार्ड्स अफ़ग़ानिस्तान’ और ‘अ क्रिटिक ऑन अफ़ग़ािस्तान रिजनल इंटिग्रेशन’ शामिल है। मीरवाइस बल्खी पर चर्चा क्यों? अफ़ग़ानिस्तान के दक्षिण-पूर्वी इलाके में एक स्कूल निर्माण को अफ़ग़ान शिक्षा मंत्रालय ने मंज़ूरी दी है। आस-पास कोई स्कूल नहीं होने के कारण एक 63 साल के व्यक्ति अपनी बेटी को रोज़ तक़रीबन 12 किलोमीटर तक का सफर कर स्कूल पहुंचाते हैं। बीते दिनों अफ़ग़ान शिक्षा मंत्री मीरवाइस बल्खी ने उन्हें सम्मानित किया है और एक स्कूल निर्माण का निर्देश दिया।
दरअसल, अफ़ग़ानिस्तान में लड़कियों के लिए शिक्षा प्राप्त करना एक बड़ा मसला है। युनाइटेड नेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक अफ़ग़ानिस्तान के 37 लाख बच्चे स्कूल नहीं जाते जिसमें 60 फीसदी केवल लड़कियां हैं। मीरवाइस बल्खी अफ़ग़ानिस्तान में लड़कियों की पढ़ाई पर ख़ास ध्यान दे रहे हैं।تقدیر رهبری وزارت معارف از وکیل شاه خان که زمینش را برای اعمار مکتب دخترانه هدیه داد
— Ministry of Education - Afghanistan (@MoEAfghanistan) December 24, 2019
پوهنې وزارت مشرتابه د وکیل شاه خان څخه چې خپله ځمکه یې د نجونو ښوونځي د جوړولو لپاره ورکړه، ستاینه وکړهhttps://t.co/blN0C8JdfY pic.twitter.com/YEkrNtYxvs
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