देश के प्रीमीयर इंस्टिट्यूट में नौकरियों का टोटा, हड़ताल पर बैठे छात्र
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी से इंजनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने वाले छात्रों का पहला बैच नौकरी के लिए तैयार है लेकिन प्रीमियर इंस्टीट्यूट होने के बावजूद सरकारी या निजी कंपनियां प्लेसमेंट के लिए नहीं पहुंच रही हैं. इससे नाराज़ हताश छात्रों ने अब केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के ख़िलाफ़ हड़ताल शुरू कर दी है. छात्रों का आरोप है कि मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उन्हें डिग्री और नौकरी एक साथ दिलाने का वादा किया था.
बेरोज़गारी का हाल ऐसा है कि देश के प्रीमियर इंस्टीट्यूट को स्टूडेंट्स को नौकरी पाने के लिए हड़ताल करनी पड़ रही है. हड़ताल का यह नज़ारा विशाखापट्टनम के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी का है जिसकी स्थापना केंद्र सरकार ने 2016-17 में बड़े धूमधाम से की थी. तब पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बच्चों से वादा किया था कि उन्हें डिग्री और नौकरी का ऑफर लेटर साथ-साथ मिल जाएगा लेकिन हुआ उलटा. लिहाज़ा बच्चों ने पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है.
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी की स्थापना केंद्र सरकार ने आंध्रप्रदेश रिऑर्गनाइज़ेशन एक्ट की शर्तों के तहत की थी. केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय महत्व वाले स्वायत्त संस्थान का दर्जा दिया और आईआईटी, आईआईएम के बराबर लाकर खड़ा कर दिया. यहां 2016-17 में बी. टेक के दो कोर्स शुरू हुए जहां दाख़िला आईआईटी जेईई के एडवांस स्कोर के आधार पर मिला. इसके बावजूद कोर्स पूरा करने वाले बच्चे आज ख़ुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. ऑयल एंड गैस के सार्वजनिक उपक्रम एचपीसीएल, ओनजीसी, गेल वग़ैरह के सीईओ इस इंस्टीट्यूट के बोर्ड के सदस्य हैं लेकिन प्लेसमेंट के लिए यहां नहीं पहुंचे. स्टूडेंट्स का आरोप है कि सरकारी कंपनियों ने निजी संस्थानों का दौरा किया लेकिन अपने ही संस्थान में प्लेसमेंट के लिए नहीं आए. बच्चे अपनी नौकरी के लिए उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू से भी गुहार लगा चुके हैं. वीडियो देखिये हड़ताली छात्रों को सबसे बड़ी शिक़ायत ये है कि वे पहले बैच के छात्र हैं जो अब नौकरी के लिए तैयार हैं. मगर इंस्टीट्यूट से जुड़ाव होने के बावजूद सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने उनकी तरफ देखना ज़रूरी नहीं समझा.
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी की स्थापना केंद्र सरकार ने आंध्रप्रदेश रिऑर्गनाइज़ेशन एक्ट की शर्तों के तहत की थी. केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय महत्व वाले स्वायत्त संस्थान का दर्जा दिया और आईआईटी, आईआईएम के बराबर लाकर खड़ा कर दिया. यहां 2016-17 में बी. टेक के दो कोर्स शुरू हुए जहां दाख़िला आईआईटी जेईई के एडवांस स्कोर के आधार पर मिला. इसके बावजूद कोर्स पूरा करने वाले बच्चे आज ख़ुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. ऑयल एंड गैस के सार्वजनिक उपक्रम एचपीसीएल, ओनजीसी, गेल वग़ैरह के सीईओ इस इंस्टीट्यूट के बोर्ड के सदस्य हैं लेकिन प्लेसमेंट के लिए यहां नहीं पहुंचे. स्टूडेंट्स का आरोप है कि सरकारी कंपनियों ने निजी संस्थानों का दौरा किया लेकिन अपने ही संस्थान में प्लेसमेंट के लिए नहीं आए. बच्चे अपनी नौकरी के लिए उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू से भी गुहार लगा चुके हैं. वीडियो देखिये हड़ताली छात्रों को सबसे बड़ी शिक़ायत ये है कि वे पहले बैच के छात्र हैं जो अब नौकरी के लिए तैयार हैं. मगर इंस्टीट्यूट से जुड़ाव होने के बावजूद सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने उनकी तरफ देखना ज़रूरी नहीं समझा.
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