महाराष्ट्र के झटके से हिला कर्नाटक, क्या सीएम येदियुरप्पा फिर देंगे इस्तीफ़ा?

by Shahnawaz Malik 4 years ago Views 2672

Karnataka shaken by Maharashtra shock, will CM Yed
कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार बचेगी या जाएगी, इसका फ़ैसला 9 दिसंबर को उपचुनाव के नतीजों में होना है। 15 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान 5 दिसंबर को होना है। इस चुनाव में अगर बीजेपी सात सीटों से कम पर जीत दर्ज करती है तो बीएस येदियुरप्पा को एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है।

महाराष्ट्र में सत्ता हाथ से फिसलने से न सिर्फ मोदी-शाह की जोड़ी को झटका लगा है बल्कि बीजेपी की छवि को भी नुकसान पहुंचा है। इस झटके का असर कर्नाटक विधानसभा के उपचुनाव में न पड़े, इसके लिए चीफ मिनिस्टर बीएस येदियुरप्पा और बीजेपी एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रही है। महाराष्ट्र में सत्ता हाथ से फिसलने के बाद येदियुरप्पा के लिए यहां सरकार बचा पाना चुनौती बन गई है।


बीएस येदियुरप्पा ने उपचुनाव में कम से कम 13 उन्हीं अयोग्य विधायकों को उम्मीदवार बनाया है जो कांग्रेस और जेडीएस के टिकट पर 2018 में चुनाव जीत चुके हैं. देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस जेडीएस से विश्वासघात करने वाले नेताओं पर जनता इस बार भरोसा जताती है या नहीं।

दूसरी ओर कांग्रेस और क्षेत्रिय दलों में आत्मविश्वास बढ़ा है कि किसी भी राज्य में एकजुटता दिखाने पर बीजेपी को पटखनी दी जा सकती है। पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता एस सिद्धारमैया ने कहा है कि उनकी पार्टी सभी सीटों पर जीत दर्ज कर जाए तो कोई ताज्जुब की बात नहीं।

17 विधायकों के अयोग्य घोषित होने के बाद कर्नाटक विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या 207 है यानी बहुमत का आंकड़ा 104 है। बीजेपी अपने 105 और एक निर्दलीय विधायक के समर्थन से सरकार चला रही है। उपचुनाव के बाद बहुमत का आंकड़ा 113 हो जाएगा तो बीजेपी को कम से कम सात विधायकों की और दरकार होगी।

बीएस येदियुरप्पा की गिनती ऐसे नेताओं में होती है जो कभी भी मुख्यमंत्री का पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। पहली बार उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ 12 नवंबर को ली लेकिन महज़ सात दिन में उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी। 

दूसरी बार उन्होंने 30 मई 2008 को सीएम पद की शपथ ली लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते तक़रीबन तीन साल दो महीने बाद उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा। तीसरी बार 2018 में येदियुरप्पा महज़ छह दिन के लिए मुख्यमंत्री बने लेकिन सदन के पटल पर बहुमत सिद्ध करने से पहले ही उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा। 

चौथी बार उन्होंने 26 जुलाई 2019 को शपथ ली और अब अपनी सरकार बचाने के लिए जूझ रहे हैं। महाराष्ट्र में झटका लगने के बाद उनका डर और बढ़ गया है।

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