7-8 लाख भारतीय कामगारों को वापिस भेज सकता है कुवैत, अरबों डॉलर के नुकसान की आशंका

by Rahul Gautam 3 years ago Views 5627

Kuwait may send back 7-8 lakh Indian workers, fear
कोरोनावायरस की महामारी के चलते दुनियाभर में नौकरियां जा रही हैं। अब आशंका है 43 लाख की आबादी वाला अमीर देश कुवैत से 7-8 लाख भारतीय बाहर हो सकते हैं। दरअसल, विदेशी कामगारों की संख्या कम करने के लिए कुवैती सरकार कानून बनाने पर विचार कर रही है। कुवैत की नेशनल असेंबली ने 'ड्राफ्ट एक्सपैट कोटा बिल' को मंजूरी दे दी है, जिसके अनुसार भारतीयों की आबादी 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।

अब इस बिल को संबंधित समिति में भेजा जाएगा ताकि एक व्यापक योजना बनाई जाए। बता दें, भारतीय समुदाय कुवैत में रहने वाला सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है, जिसकी कुल संख्या लगभग 15 लाख है।


कोरोना महामारी की शुरुआत से ही कुवैत में प्रवासी कामगारों की संख्या कम करने को लेकर आवाज़ उठती आ रही है। राजनेता और सरकारी कर्मचारी लगातार मांग कर रहे हैं कि प्रवासी कामगारों को उनके देश भेजकर कुवैती लोगों को नौकरी दी जाए।

43 लाख की आबादी वाले कुवैत में केवल 13 लाख लोग स्थानीय निवासी हैं और बाकी 30 लाख लोग प्रवासी कामगार। पिछले महीने ही कुवैत के प्रधानमंत्री शेख सबा अल खालिद अल सबाह ने भविष्य में आने वाली चुनोतियों के मद्देनज़र प्रवासी कामगारों की क्षमता 50 फीसदी तक घटाने का प्रस्ताव दिया था। कहा जा रहा है कि पाताल को चूमती तेल की कीमतों और कोरोना से आई भयंकर मंदी इसके पीछे की वजह है।

अगर कुवैत सरकार इस बिल को कानून बनाकर भारतीयों को वापिस भेजती है तो ये भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए तगड़ा झटका साबित होगा। यह फैसला अमल में आने के बाद जब प्रवासी कामगार कुवैत से वापस लौटेंगे तो भारत को हर साल मिलने वाली आमदनी गिरेगी। बता दें, 2018 में कुवैत में काम करने वालों ने 4.5 बिलियन डॉलर भारत भेजकर देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत किया था।

जानकारों की मानें तो अन्य खाड़ी देश भी कुवैत की तरह तेल पर ही निर्भर हैं और पूरी आशंका है कि वो भी कुवैत की राह पर चलें। ऐसा होता है तो भारतीय अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगेगा जो कंगाली में आटा गीला होने वाला साबित होगा।

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