लॉकडाउन से ग्रामीण इलाक़ों ने अपने खाने के ख़र्च में कटौती की: रिपोर्ट
लॉकडाउन का चौथा चरण ख़त्म होने वाला है लेकिन इससे ना कोरोना वायरस का संक्रमण रुका और ना ही अर्थव्यवस्था बची। इस लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था को जो नुकसान हुआ है, उसका असर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर ख़ासतौर से पड़ा है।
शोध संस्था डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्ज ने बुंदेलखंड के 30 गावों में सर्वे करके एक रिपोर्ट जारी की है. इसके मुताबिक सरकार के कल्याणकारी दावों से इतर ग्रामीण इलाक़ों में लोगों ने अपने खाने में बदलाव किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 25 फ़ीसदी लोग ग्रामीण क्षेत्रों में खाने की कमी से जूझ रहे हैं। पैसे की कमी के कारण 16 फ़ीसदी लोगों ने अपने खाने की आदतों में बदलाव कर दिया है या फिर उस पर होने वाला खर्चा कम कर दिया है।
वीडियो देखिये रिपोर्ट बताती है कि 70 फ़ीसदी लोग गांवों में अपना रोजगार या तो गवां चुके हैं या फिर इसमें कमी आई है। करीब 22 फ़ीसदी लोग ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी फसल ही नहीं काट पा रहे हैं क्योंकि दिहाड़ी मजदूर नहीं हैं और इसके अलावा 12 फ़ीसदी लोग ट्रांसपोर्ट साधन ना होने के कारण अपनी फसल मंडी में नहीं पहुंचा पा रहे हैं। यह रिपोर्ट बताती है की तकरीबन 50 फ़ीसदी गांव वाले अब शहर जाकर काम नहीं करना चाहते और करीब 33 फ़ीसदी लोग लॉकडाउन के खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं ताकि फिर शहर जाकर रोजी रोटी तलाश सकें। इस सर्वे के दौरान कोरोना महामारी से भी जुड़े सवाल पूछे गए। शोधकर्ताओं को पता चला कि हाथ धोना, सोशल डिस्टेंसिंग वग़ैरह के बारे में इक्का दुक्का लोगों को ही जानकारी है. ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को केवल मुंह ढ़कने के बारे में पता है। जिस आरोग्य सेतु ऐप पर सरकार इतना जोर डालती है, उसके बारे में गांव में किसी को भी जानकारी नहीं है।
वीडियो देखिये रिपोर्ट बताती है कि 70 फ़ीसदी लोग गांवों में अपना रोजगार या तो गवां चुके हैं या फिर इसमें कमी आई है। करीब 22 फ़ीसदी लोग ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी फसल ही नहीं काट पा रहे हैं क्योंकि दिहाड़ी मजदूर नहीं हैं और इसके अलावा 12 फ़ीसदी लोग ट्रांसपोर्ट साधन ना होने के कारण अपनी फसल मंडी में नहीं पहुंचा पा रहे हैं। यह रिपोर्ट बताती है की तकरीबन 50 फ़ीसदी गांव वाले अब शहर जाकर काम नहीं करना चाहते और करीब 33 फ़ीसदी लोग लॉकडाउन के खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं ताकि फिर शहर जाकर रोजी रोटी तलाश सकें। इस सर्वे के दौरान कोरोना महामारी से भी जुड़े सवाल पूछे गए। शोधकर्ताओं को पता चला कि हाथ धोना, सोशल डिस्टेंसिंग वग़ैरह के बारे में इक्का दुक्का लोगों को ही जानकारी है. ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को केवल मुंह ढ़कने के बारे में पता है। जिस आरोग्य सेतु ऐप पर सरकार इतना जोर डालती है, उसके बारे में गांव में किसी को भी जानकारी नहीं है।
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