महाराष्ट्र-हरियाणा चुनाव: बागी क्यों हो रहे हैं राहुल की पसंद?

by Ajay Jha 4 years ago Views 2201

Maharashtra-Haryana elections: Why are rebels gett
हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव है और कांग्रेस के अंदर एक-एक कर नेता बागी तेवर में नज़र आ रहे हैं। हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर के बाद अब मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। खास बात है कि, सभी नेता राहुल गांधी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते संगठन में अपने-अपने प्रदेश में अध्यक्ष पद पर रहे। अब सवाल राहुल गांधी पर उठने लगा है, क्योंकि राहुल गांधी की पसंद के सभी नेता बागी हो रहे हैं।

दो बड़े राज्यों महाराष्ट्र और हरियाणा में 17 दिनों बाद चुनाव हाने वाला है। इस चुनावी माहौल में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर दरार बढ़ती जा रही है। महाराष्ट्र से लेकर हरियाणा तक कांग्रेस को अपने ही कद्दावर नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। महाराष्ट्र में मुंबई के पूर्व अध्यक्ष संजय निरूपम ने पार्टी के लिए प्रचार करने से इनकार कर दिया है, वहीं हरियाणा के बड़े नेता अशोक तंवर ने चुनाव सिर पर आते ही टिकट बंटवारे से नाराज़ होकर पार्टी के सभी पदों से इस्तीफे की पेशकश कर दी, यही नहीं उन्होंने अपनी नाराज़गी दिल्ली तक ज़ाहिर कर दी।


महाराष्ट्र कांग्रेस में पार्टी के पूर्व प्रमुख संजय निरूपम ने टिकट बंटवारे के दौरान कुछ नाम सुझाए थे लेकिन पार्टी ने उसे खारिज कर दिया। इसके बाद संजय निरूपम ने चुनाव के लिए प्रचार अभियान में शामिल नहीं होने की घोषणा कर दी। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि, महाराष्ट्र में कुछ सीटों को छोड़ कर कांग्रेस के ज्यादातर सीटों पर पार्टी उम्मीदवार की जमानत जब्त होगी। निरुपम यही तक नही रुके, उन्होंने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के करीबियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि सोनिया गांधी के करीबी, राहुल गांधी के लोगों को टारगेट कर रहे हैं।

संजय निरुपम को हटाकर मिलिंद देवड़ा को बनाया गया था मुम्बई कांग्रेस का अध्यक्ष

पार्टी नेताओं के एक तबके की शिकायत के बाद संजय निरूपम को इस साल लोकसभा चुनाव से पहले मार्च में मुंबई कांग्रेस प्रमुख पद से हटा दिया गया था। उनके खिलाफ शिकायत की गई थी कि वो एकतरफा ढंग से काम करते हैं। निरूपम की जगह पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिन्द देवड़ा को मुंबई कांग्रेस का प्रमुख बनाया गया था। हालांकि, देवड़ा ने आम चुनाव में पार्टी की हार के बाद पिछले ही महीने पद से इस्तीफा दे दिया था।

यही हाल हरियाणा का भी है। यहां टिकट बंटवारे में अपने समर्थकों की अनदेखी से नाराज कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने विधानसभा चुनाव के लिए बनी विभिन्न समितियों से इस्तीफे की पेशकश कर दी। तंवर ने कहा कि, उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर समितियों से मुक्त किये का बात कही। पत्र में उन्होंने लिखा था कि वो सामान्य कार्यकर्ता की तरह पार्टी के लिए काम करते रहेंगे. तंवर, चुनाव के लिए बनी प्रदेश चुनाव समिति सहित कई समितियों में शामिल थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हरियाणा कांग्रेस अब 'हुड्डा कांग्रेस' बनती जा रही है। तंवर ने टिकट वितरण में मेहनती कार्यकर्ताओं की अनदेखी का सवाल उठाया कि, यह बताया जाए कि किन मापदंडों के आधार पर टिकट दिए गए हैं।

10 जनपथ के बाहर तंवर का शक्ति प्रदर्शन

दो दिन पहले नाराज़ तंवर ने अपने समर्थकों के साथ राजधानी दिल्ली में सोनिया गांधी के घर के बाहर शक्ति प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने हरियाणा के प्रभारी ग़ुलाम नबी आज़ाद, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी की। तंवर ने कहा कि यह राजनीतिक हत्या करने का प्रयास हो रहा है। सोनिया गांधी ने हमेशा न्याय किया है और मुझे उम्मीद है कि हमें भी न्याय मिलेगा।

कई जानकारों का ये भी मानना है कि निरुपम और तंवर के बागी तेवर एक सोची-समझी स्क्रिप्ट का हिस्सा है। जिसके तहत एक बार फिर राहुल गांधी के नेतृत्व को दोबारा से स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। तंवर और निरुपम के बेबाक इल्ज़ामों के बावजूद जिस तरह से इन दोनों के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नही की जा रही है, उससे ये स्पष्ठ है कि पार्टी नेतृत्व का कहीं न कहीं इन दोनों नेताओं को संगरक्षण मिला हुआ है।

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