महाराष्ट्र के मायने: आर्थिक ज्यादा, राजनैतिक कम

by GoNews Desk 4 years ago Views 2738

Maharashtra matters: more economic, less political
महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर भारतीयों द्वारा देखे गए राजनीतिक नाटक और विरोधाभास एक ऐसे देश में भी अभूतपूर्व है, जिसने 80 के दशक में हरियाणा में आया राम और गया राम और कर्नाटक और गोवा में विधायकों की थोक खरीद फरोख़्त को देखा हुआ है।

गठबंधनबाज़ी में तोड़ फोड़ करना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इतिहास में यह पहली बार हुआ था कि चुनावों के बाद नए साथी खोजने के लिए चुनाव से पहले का गठबंधन टूट गया हो।
एक कारण यह है कि महाराष्ट्र में राजनीतिक दांव पेंच विशेष रूप से कठिन हैं।


राज्य में अरबों डॉलर में चल रही परियोजनाओं की संख्या सबसे अधिक है। आबादी में महाराष्ट्र मेक्सिको जितना बड़ा है और एक भारत में किसी एक राज्य के लिए सबसे अधिक शहरी निवासी यहाँ हैं। यह ब्राजील की तुलना में अधिक दाल और इंडोनेशिया की तुलना में अधिक फल पैदा करता है।

यह भारत में आर्थिक माप दंडों पर नंबर 1 या नंबर 2 पर है, सबसे बड़ी संख्या में विदेशी कंपनियां मुंबई से संचालित होती हैं।

कुछ आंकड़ों से तथ्य सामने आते हैं।

(ये डेटानेट रिसर्च फर्म द्वारा 2018 तक के आंकड़े हैं)

महाराष्ट्र को चलाना एक मध्यम स्तर के देश का शासन चलाने जैसा है। मुंबई में सत्ता में होना दिल्ली के सिंघासन के बाद दूसरा स्थान है। यही कारण है कि शिवसेना ने भाजपा की तरह तीन दशक पुराने साथी को भी भगा दिया, क्योंकि उसे दूसरे कार्यकाल में पर्याप्त हिस्सा नहीं मिल रहा था।

NCP और कांग्रेस एक ऐसे दल का साथ दे रहे हैं जो अतीत में हमेशा उन्हें भला बुरा कहता आया है। साफ़ बात यह हैं की महाराष्ट्र भारत की अर्थव्यस्था का एक बड़ा हिस्सा है और हर एक दल इसमें अपना हिस्सा ढूंढ रहा हैं।

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