कमलेश तिवारी हत्याकांड: यूपी पुलिस ने तीन दिन में तीन बार बयान बदले
लखनऊ के कमलेश तिवारी हत्याकांड में चौथे दिन भी उत्तर प्रदेश पुलिस हमलावरों तक नहीं पहुंच पाई है. दोनों मुलज़िमों को सीसीटीवी में आख़िरी बार शाहजहांपुर में देखा गया. यूपी पुलिस की टीमें कई राज्यों में इनकी तलाश में छापेमारी कर रही हैं और सुराग़ देने पर ढाई-ढाई लाख रुपए के इनाम का ऐलान किया गया है. यूपी पुलिस ने लखनऊ के ख़ालसा इन होटल से भगवा रंग का कुर्ता भी बरामद कर लिया है जिसपर खून के धब्बे हैं. माना जा रहा है कि आरोपी वारदात के बाद खालसा इन होटल लौटे और दूसरे कपड़े पहनकर निकल गए.
यूपी के डीजीपी ओपी सिंह का मानना है कि कमलेश तिवारी की हत्या 2015 में दिए गए उनके एक भड़काऊ भाषण के चलते की गई लेकिन यूपी पुलिस बार-बार अपना बयान भी बदल रही है.
18 अक्टूबर को कमलेश तिवारी की हत्या के बाद लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथानी ने इस वारदात में आपसी रंजिश की आशंका ज़ाहिर की थी. उन्होंने कहा था कि हत्यारे कमलेश तिवारी को जानते थे और उनके किसी जानने वाले ने ही हत्या की है. 19 अक्टूबर को डीजीपी ओपी सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस की थी. तब उन्होंने कहा था कि इस केस में किसी आतंकवादी समूह के जुड़े होने के सबूत नहीं मिले हैं. उन्होंने ये भी कहा था कि मुख्य आरोपियों के पकड़े जाने पर तस्वीर बिल्कुल अलग भी हो सकती है. 21 अक्टूबर को डीजीपी ओपी सिंह ने जब इस केस में किसी आतंकवादी संगठन की भूमिका के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कई तरह के आतंकी मॉड्यूल होते हैं और सभी एंगल से जांच की जा रही है. बाकी आरोपियों को पकड़ने पर ही पूरा सच सामने आ पाएगा. यूपी पुलिस अभी तक इस केस में पांच संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. वहीं कमलेश तिवारी के बेटे सत्यम तिवारी और उनकी मांग यूपी पुलिस और योगी सरकार पर बार-बार सवाल खड़े कर रही हैं. कमलेश तिवारी की मां ने कहा कि उन्हें सीएम योगी आदित्यनाथ से पुलिस दबाव में मिलवाया गया जबकि धर्मशास्त्रों के मुताबिक मौत के 13 दिन बाद तक घर से बाहर निकलने की मनाही होती है.
18 अक्टूबर को कमलेश तिवारी की हत्या के बाद लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथानी ने इस वारदात में आपसी रंजिश की आशंका ज़ाहिर की थी. उन्होंने कहा था कि हत्यारे कमलेश तिवारी को जानते थे और उनके किसी जानने वाले ने ही हत्या की है. 19 अक्टूबर को डीजीपी ओपी सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस की थी. तब उन्होंने कहा था कि इस केस में किसी आतंकवादी समूह के जुड़े होने के सबूत नहीं मिले हैं. उन्होंने ये भी कहा था कि मुख्य आरोपियों के पकड़े जाने पर तस्वीर बिल्कुल अलग भी हो सकती है. 21 अक्टूबर को डीजीपी ओपी सिंह ने जब इस केस में किसी आतंकवादी संगठन की भूमिका के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कई तरह के आतंकी मॉड्यूल होते हैं और सभी एंगल से जांच की जा रही है. बाकी आरोपियों को पकड़ने पर ही पूरा सच सामने आ पाएगा. यूपी पुलिस अभी तक इस केस में पांच संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. वहीं कमलेश तिवारी के बेटे सत्यम तिवारी और उनकी मांग यूपी पुलिस और योगी सरकार पर बार-बार सवाल खड़े कर रही हैं. कमलेश तिवारी की मां ने कहा कि उन्हें सीएम योगी आदित्यनाथ से पुलिस दबाव में मिलवाया गया जबकि धर्मशास्त्रों के मुताबिक मौत के 13 दिन बाद तक घर से बाहर निकलने की मनाही होती है.
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