CAA पर मलेशियाई पीएम फिर भड़के, कहा- सच बोलने के लिए क़ीमत चुकाने को तैयार
धर्म के आधार पर नागरिकता देने वाले क़ानून को लेकर न सिर्फ देश में उथल पुथल मची हुई है बल्कि अन्य देशों के साथ रिश्तों में भी खटास आ रही है. पाम आयल के आयात में कटौती के बावजूद मलेशियाई पीएम महातिर मुहम्मद ने साफ़ किया है कि उन्हें चाहे जो कीमत चुकानी पड़ी लेकिन वो ग़लत चीज़ों के खिलाफ बोलते रहेंगे.
विवादित नागरिकता क़ानून के चलते भारत के रिश्ते उन देशों से बिगड़ रहे हैं जिनके साथ कड़वाहट का कोई इतिहास नहीं रहा है. इस लिस्ट में सबसे ऊपर मलेशिया का नाम है जिसके प्रधानमंत्री महातिर मुहम्मद ने नागरिकता क़ानून पर कड़ा रुख़ अपना रखा है. महातिर मुहम्मद के इस रुख़ के चलते भारतीय कंपनियों ने मलेशिया से होने वाले पाम ऑयल के आयात में कटौती कर दी है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक ऐसा केंद्र सरकार के दबाव में किया गया है.
वीडियो देखिये इसपर पलटवार करते हुए मलेशियाई पीएम महातिर मुहम्मद ने कहा, ‘बेशक़ हम चिंतित हैं क्योंकि मलेशिया बड़े पैमाने पर भारत को पाम ऑयल बेचता है. मगर हमें मुद्दों को लेकर स्पष्ट रहना चाहिए और अगर कुछ ग़लत होता है, हमें उसका विरोध करना चाहिए. अगर हम ऐसा होने देते हैं और सिर्फ पैसों के बारे में सोचते हैं तो मुझे लगता है कि हम और अन्य लोग बहुत कुछ ग़लत कर बैठेंगे.’ पाम ऑयल के आयात में कटौती से मलेशिया के रिफाइनर्स को बड़े नुकसान की आशंका है लेकिन पीएम महातिर मुहम्मद ने उम्मीद जताई है कि वो इस संकट का हल निकाल लेंगे. इंडोनेशिया के बाद मलेशिया दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पाम आयल उत्पादक देश है और भारत उसका सबसे बड़ा ग्राहक है। साल 2019 में भारत ने 4.4 मिलियन टन पाम आयल मलेशिया से ख़रीदा था लेकिन अगर दोनों देशों के रिश्तों में सुधार नहीं हुआ तो साल 2020 में यह आयात घटकर 1 मिलियन टन तक आ सकता है और इसका नुकसान भारत को भी होगा. वहीं भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाम ऑयल के आयात में कटौती किसी एक ख़ास देश से नहीं जुड़ी है. हालांकि किसी भी कारोबारी लेनदेन के लिए दो देशों के बीच रिश्ता महत्वपूर्ण होता है. मलेशियाई पीएम महातिर मुहम्मद पहले भी नागरिकता क़ानून को लेकर सख़्त तेवर दिखा चुके हैं. इससे पहले उन्होंने कहा था कि मलेशिया ने उन भारतीयों को भी नागरिकता दी है जो पात्रता पूरी नहीं करते थे. मगर भारत एक सेकुलर देश है और वहां नागरिकता क़ानून की वजह से अल्पसंख्यक मर रहे हैं. अगर ऐसा मलेशिया में हुआ तो अस्थिरता बढ़ेगी और लोग प्रभावित होंगे.
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वीडियो देखिये इसपर पलटवार करते हुए मलेशियाई पीएम महातिर मुहम्मद ने कहा, ‘बेशक़ हम चिंतित हैं क्योंकि मलेशिया बड़े पैमाने पर भारत को पाम ऑयल बेचता है. मगर हमें मुद्दों को लेकर स्पष्ट रहना चाहिए और अगर कुछ ग़लत होता है, हमें उसका विरोध करना चाहिए. अगर हम ऐसा होने देते हैं और सिर्फ पैसों के बारे में सोचते हैं तो मुझे लगता है कि हम और अन्य लोग बहुत कुछ ग़लत कर बैठेंगे.’ पाम ऑयल के आयात में कटौती से मलेशिया के रिफाइनर्स को बड़े नुकसान की आशंका है लेकिन पीएम महातिर मुहम्मद ने उम्मीद जताई है कि वो इस संकट का हल निकाल लेंगे. इंडोनेशिया के बाद मलेशिया दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पाम आयल उत्पादक देश है और भारत उसका सबसे बड़ा ग्राहक है। साल 2019 में भारत ने 4.4 मिलियन टन पाम आयल मलेशिया से ख़रीदा था लेकिन अगर दोनों देशों के रिश्तों में सुधार नहीं हुआ तो साल 2020 में यह आयात घटकर 1 मिलियन टन तक आ सकता है और इसका नुकसान भारत को भी होगा. वहीं भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाम ऑयल के आयात में कटौती किसी एक ख़ास देश से नहीं जुड़ी है. हालांकि किसी भी कारोबारी लेनदेन के लिए दो देशों के बीच रिश्ता महत्वपूर्ण होता है. मलेशियाई पीएम महातिर मुहम्मद पहले भी नागरिकता क़ानून को लेकर सख़्त तेवर दिखा चुके हैं. इससे पहले उन्होंने कहा था कि मलेशिया ने उन भारतीयों को भी नागरिकता दी है जो पात्रता पूरी नहीं करते थे. मगर भारत एक सेकुलर देश है और वहां नागरिकता क़ानून की वजह से अल्पसंख्यक मर रहे हैं. अगर ऐसा मलेशिया में हुआ तो अस्थिरता बढ़ेगी और लोग प्रभावित होंगे.
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