बीएसपी के छह विधायकों के टूटने पर मायावती का पलटवार, कहा- कांग्रेस ने विश्वासघात किया
1. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार ने एक बार फिर बीएसपी के विधायकों को तोड़कर गैर-भरोसेमन्द व धोखेबाज़ पार्टी होने का प्रमाण दिया है। यह बीएसपी मूवमेन्ट के साथ विश्वासघात है जो दोबारा तब किया गया है जब बीएसपी वहाँ कांग्रेस सरकार को बाहर से बिना शर्त समर्थन दे रही थी।
— Mayawati (@Mayawati) September 17, 2019
अपने दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि ‘कांग्रेस अपनी कटु विरोधी पार्टी/संगठनों से लड़ने के बजाए हर जगह उन पार्टियों को ही सदा आघात पहुंचाने का काम करती है जो उन्हें सहयोग/समर्थन देते हैं. कांग्रेस इस प्रकार एससी, एसटी,ओबीसी विरोधी पार्टी है तथा इन वर्गों के आरक्षण के हक के प्रति कभी गंभीर व ईमानदार नहीं रही है.’
मायावती ने भीमराव आंबेडकर की मिसाल देते हुए ये भी बताने की कोशिश की कि कांग्रेस पार्टी का चरित्र दलित विरोधी है. उन्होंने अपने तीसरे ट्वीट में लिखा, ‘कांग्रेस हमेशा ही बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर व उनकी मानवतावादी विचारधारा की विरोधी रही. इसी कारण डॉ अम्बेडकर को देश के पहले कानून मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. कांग्रेस ने उन्हें न तो कभी लोकसभा में चुनकर जाने दिया और न ही भारतरत्न से सम्मानित किया. अति-दुःखद व शर्मनाक.’2. कांग्रेस अपनी कटु विरोधी पार्टी/संगठनों से लड़ने के बजाए हर जगह उन पार्टियों को ही सदा आघात पहुंचाने का काम करती है जो उन्हें सहयोग/समर्थन देते हैं। कांग्रेस इस प्रकार एससी, एसटी,ओबीसी विरोधी पार्टी है तथा इन वर्गों के आरक्षण के हक के प्रति कभी गंभीर व ईमानदार नहीं रही है।
— Mayawati (@Mayawati) September 17, 2019
राजस्थान की तरह मध्यप्रदेश में भी बीएसपी ने कांग्रेस पार्टी को समर्थन दिया था. मध्यप्रदेश में विधायकों की संख्या में कांग्रेस बीजेपी के बीच ज़्यादा फर्क़ नहीं है. ऐसे में बीएसपी विधायक रमाबाई अगर कांग्रेस पार्टी से अलग होती हैं तो कमलनाथ सरकार पर थोड़ा दबाव बढ़ सकता है. राजस्थान में जिन छह विधायकों ने बीएसपी का साथ छोड़ा है, उनमें राजेंद्र सिंह गुढ़ा, जोगेंद्र सिंह अवाना, वाजिब अली, लखन सिंह मीणा, संदीप यादव और दीपचंद शामिल हैं.3.कांग्रेस हमेशा ही बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेडकर व उनकी मानवतावादी विचारधारा की विरोधी रही। इसी कारण डा अम्बेडकर को देश के पहले कानून मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। कांग्रेस ने उन्हें न तो कभी लोकसभा में चुनकर जाने दिया और न ही भारतरत्न से सम्मानित किया। अति-दुःखद व शर्मनाक।
— Mayawati (@Mayawati) September 17, 2019
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