मध्यप्रदेश: 192 गांव डूबने की कगार पर, भूख हड़ताल पर बैठीं मेधा पाटकर की तबियत बिगड़ी
गुजरात के सरदार सरोवर बांध में पानी 134 मीटर की ऊंचाई पर बह रही है और आशंका है कि कुछ दिनों बाद इसका जलस्तर 139 मीटर तक पहुंच जायेगा। मगर सरदार सरोवर बांध का जलस्तर मध्यप्रदेश के सैकड़ों गांवों के लिए विनाशकारी साबित हो रहा है। यहां कई गांव टापू में तब्दील हो चुके हैं और तक़रीबन 192 गांव डूबने की कगार पर हैं। कई गांवों में लोगों को अपना घर छोड़कर भागना पड़ा है।
सामजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर इन गांवों को डूबने से बचाने के लिए संघर्षरत हैं और बड़वानी ज़िले में आठ दिन से भूख हड़ताल कर रही हैं। उनकी मांग है कि गुजरात सरकार सरदार सरोवर बांध को खोले ताकि मध्यप्रदेश के गांवों को बचाया जा सके।
उन्होंने आरोप लगाया है कि केंद्र और गुजरात सरकार 192 गांवों के साथ-साथ एक कस्बे को डुबाने की साज़िश रच रहे हैं, जहाँ आज भी 32,000 परिवार रहते हैं। मेधा पाटकर की मांग है कि जब तक 32 हजार परिवारों का पूरी तरह पुनर्वास नहीं होता, तब तक बांध के गेट खुले रखे जाएं और जलस्तरर 122 मीटर पर स्थिर रखा जाएं।
उन्होंने आरोप लगाया है कि केंद्र और गुजरात सरकार 192 गांवों के साथ-साथ एक कस्बे को डुबाने की साज़िश रच रहे हैं, जहाँ आज भी 32,000 परिवार रहते हैं। मेधा पाटकर की मांग है कि जब तक 32 हजार परिवारों का पूरी तरह पुनर्वास नहीं होता, तब तक बांध के गेट खुले रखे जाएं और जलस्तरर 122 मीटर पर स्थिर रखा जाएं।
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मेधा पाटकर बीते 34 वर्षों से नर्मदा बचाओ आंदोलन के बैनर तले सरदार सरोवर बांध की वजह से विस्थापित हुए लोगों के अधिकारों के लिए लड़ रही हैं। तमाम संगठन उनके आंदोलन में भागीदार बन चुके हैं लेकिन सरकारें उनकी मांगों के आगे झुकने को तैयार नहीं हैं। मेधा पाटकर का कहना है कि मांगें पूरी नहीं होने तक वो अपनी भूख हड़ताल ख़त्म नहीं करेंगी, वहीं आठ दिनों से भूख हड़ताल के कारण उनकी तबितयत बिगड़ने लगी है।Latest Videos