आर्थिक और कोरोना संकट के बीच प्रवासी संकट की गिरफ्त में देश

by GoNews Desk 3 years ago Views 6531

Migrants Crisis: An Economic And Emotional Disaste
कोरोना महामारी ने पहले से ही डूब रही देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है। बड़ी संख्या में लोग बेरोजगारी के शिकार हो रहे हैं। शहरों से प्रवासी मज़दूरों का पलायन थमने का नाम नहीं ले रहा है और सरकार इन्हें घर तक पहुंचाने में विफल साबित हो रही है। इसके साथ ही देश में भयंकर ग़रीबी आने की आशंका है।

केन्द्र की मोदी सरकार ने “20 लाख करोड़” के आर्थिक पैकेज की घोषणा की और दावा किया कि ये जीडीपी का दस फीसदी है। जबकि इन घोषणाओं को लेकर सरकार की चौतरफा आलोचना हो रही है। पूर्व वित्त मंत्री का दावा है कि घोषित आर्थिक पैकेज में की गई घोषणाएं 2020-21 के आम बजट में की जा चुकी है। उन्होंने दावा किया है कि सरकार ने कोरोना काल में सिर्फ 1.86 लाख करोड़ की घोषणा की है जो जीडीपी का 0.9 फीसदी है।


गोल्डमैन सैक्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ वित्त वर्ष 2021 में भारत की अर्थव्यवस्था पांच फीसदी तक गिरने वाली है। वहीं कई रिपोर्ट्स में जीडीपी ग्रोथ शून्य रहने का अनुमान लगाया गया है।

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विश्व श्रमिक संगठन के साल 2013 के आंकड़े बताते हैं कि देश के 25 फीसदी लोग भयंकर ग़रीबी में जी रहे थे और इनके दिन की कमाई 72-116 रूपये थी। वहीं 37.4 फीसदी लोग ग़रीबों की श्रेणी में थे और इनके एक दिन की कमाई 72.50-116 रूपये था। जबकि देश के सिर्फ 7.9 फीसदी लोग मिडिल क्लास की श्रेणी थे और इनकी दिन की कमाई 232-754 रूपये था और 0.7 फीसदी लोगों के दिन की कमाई 754 रूपये था यानि ये लोग विकसित मिडिल क्लास की श्रेणी में शामिल थे।

यदि बात करें देश के प्रति व्यक्ति आय और जीडीपी विकास दर की तो इसके हालात में लगातार गिरावट देखी गई है। साल 2014-15 में जहां प्रति व्यक्ति आय 6.1 फीसदी थी वही अब 2019-20 में सिकुड़ कर 3.9 फीसदी पर पहुंच गई है। यही नहीं 2014-15 में देश की जीडीपी 7.4 फीसदी थी जिसमें 2015-16 में बढ़ोत्तरी देखी गई और विकास दर 8.2 फीसदी आंकी गई। वहीं 2019-20 में देश की जीडीपी विकास दर नीचे गिर कर पांच फीसदी पर पहुंच चुकी है।

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