लाखों बौद्ध और हिन्दू शरणार्थी नागरिकता विधेयक के दायरे से बाहर

by Rahul Gautam 4 years ago Views 2041

भारत में रह रहे श्री लंका और तिब्बत से भागकर आये लाखो बौद्ध और हिन्दू शरणार्थी को नए नागरिकता कानून में जगह नहीं दी गयी है। इसका सीधा मतलब है की न ये लोग वापिस जाना चाहते है ना ही भारत इन्हे अपनाना चाहता है।

होम मिनिस्ट्री की साल 2018-2019 की रिपोर्ट के मुताबिक करीब 304,269 तमिल जुलाई 1983 से अगस्त 2012 के बीच श्री लंका में चल रहे गृह युद्ध से भागकर भारत आये। इनमे से करीब 60,674 शरणार्थी तमिलनाडु के करीब 107 रिफ्यूजी कैंपो में रह रहे है। इसके अलावा भी करीब 35,155 लोग कैंपो के बाहर रह रहे है। इसके अलावा तिब्बती समुदाय के करीब एक लाख से अधिक लोग भी भारत में रह रहे है। इन दोनों समुदाय को नए नागरिकता कानून से बाहर रखा गया है।


आपको बता दे नए नागरिकता विधेयक में बांग्लादेश, अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से ताल्लुक़ रखने वाले लोगों को ही भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है.

वही विपक्ष का सरकार पर शुरू से आरोप रहा है की नया नागरिकता कानून का उद्देश्य केवल हिन्दू मुस्लिम की राजनीती को बढ़ावा देना है नाकि लोगो की मदद करना।

दूसरी तरफ, तमिल हिन्दुओ को नागरिकता देने के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। तमिलनाडु के मुख्य विपक्षी दल डीएमके ने मांग की है की तमिल शरणार्थी को इस विधेयक में शामिल किया जाये। इसके अलावा धार्मिक गुरु श्री श्री रवि शंकर ने भी इस मांग का समर्थन किया है।

विधेयक लोकसभा में पारित हो गया है और इस बात पर सवाल उठाये जा रहे है की सरकार तमिल और तिब्बती लोगो की अनदेखी कर रही है या नए कानून का मक़सद सिर्फ मुस्लिम लोगो को निशाना बनाना है।

Latest Videos

Latest Videos

Facebook Feed