देशभर में सरकारी बैंकों के लाखों कर्मचारी सड़कों पर उतरे, बैंकिंग सेवा ठप हुई

by Shahnawaz Malik 4 years ago Views 1585

Millions of employees of state-run banks took to t
सैलरी में इज़ाफ़ा समेत कई मांगों को लेकर लाखों बैंक कर्मचारी दो दिनों की हड़ताल पर चले गए हैं. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस की इस हड़ताल में देश की नौ बैंक यूनियनें भी शामिल हैं. बैंक यूनियनों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे 1 अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे. 

तनख़्वाह में इज़ाफ़ा समेत तमाम मांगों को लेकर सरकारी बैंकों के कर्मचारी दो दिनों की देशव्यापी हड़ताल पर हैं. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस की इस हड़ताल में ऑल इंडिया बैंकर्स ऑफिसर्स कन्फेडरेशन, ऑल इंडिया बैंक एंप्लॉयीज़ असोसिएशन और नेशनल ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ बैंक वर्कर्स समेत नौ यूनियनें शामिल हैं. एक अनुमान के मुताबिक हड़ताल के पहले दिन तक़रीबन 10 लाख बैंक कर्मचारियों ने इसमें हिस्सा लिया और एक फरवरी यानी शनिवार को भी बड़ी संख्या में कर्मचारी शामिल होंगे. 2 फरवरी को रविवार होने के नाते भी बैंक बंद रहेंगे, इसलिए बैंकिंग सेवा के लिए अब ग्राहकों को 3 फरवरी तक इंतज़ार करना पड़ेगा. इस देशव्यापी हड़ताल की वजह से सरकारी बैंकों में कामकाज ख़ासा प्रभावित हुआ. बैंकों में सामान्य कामकाज के अलावा कैश जमा करने, कैश निकालने, चेक क्लियरेंस और कर्ज़ की रक़म जारी करने का काम भी ठप रहा. 


हड़ताल पर जाने से पहले बैंक यूनियनों के नुमाइंदों की प्रबंधन से बातचीत बेनतीजा रही थी. बैंक यूनियनों की मांग है कि कर्मचारियों की तनख़्वाह में कम से कम 20 फीसदी की बढ़ोतरी की जाए. इसके अलावा बैंकों में कामकाज पांच दिन, बेसिक पे में स्पेशल भत्ते का विलय, परिवार को मिलने वाली पेंशन में सुधार, रिटायरमेंट पर मिलने वाले लाभ को आयकर के दायरे से बाहर रखना, कांट्रैक्ट और बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट के लिए समान वेतन जैसी कई मांगें शामिल हैं.

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बैंक यूनियनों ने यह हड़ताल उस दिन शुरू की जब संसद में बजट सत्र शुरू हुआ और आर्थिक सर्वे पेश किया गया. बैंक संगठनों ने साफ किया है कि अगर उनकी मांगों पर कोई फैसला नहीं आया तो 11, 12 और 13 मार्च को फिर हड़ताल की जाएगी और 1 अप्रैल से सभी बैंक कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे.

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