पीने के साफ़ पानी से जूझ रहे करोड़ों लोग साफ़ सफ़ाई कैसे करें ?
कोरोना महामारी से बचने के सबसे कारगर उपायों में है ख़ुद को साफ सुथरा रखना. ख़ुद को साफ रखने के लिए बार-बार धोने, बाहर से लौटने पर नहाने और पहले हुए कपड़े धुलने के लिए डाल देना शामिल है. मगर भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है जहां पानी की क़िल्लत बढ़ती जा रही है. जब लोगों के पीने के लिए पानी मयस्सर नहीं है तो फिर खुद की साफ सफाई के लिए पानी कहां से आएगा. देश की बड़ी आबादी को आज भी पीने का साफ पानी नहीं मिल पाता है.
वॉटर एड इंडिया की साल 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में 60 करोड़ लोग जल संकट से जूझ रहे हैं. इसका मतलब है कि देश की तक़रीबन आधी आबादी के पास पीने और बाक़ी ज़रूरतों के लिए पर्याप्त पानी नहीं है. पीने का साफ पानी नहीं मिलने से हर साल तकरीबन 2 लाख लोगों की बीमारियों की चपेट में आकर मौत हो जाती है.
वीडियो देखिए गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में पीने के पानी के लिए लोगों को कई-कई किलोमीटर दूर तक पैदल जाना पड़ता है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि साल 2018 में 92 लोगों की ज़िंदगी पानी को लेकर हुए झगड़े की भेंट चढ़ गई. सवाल उठता है कि पानी से वंचित इतनी बड़ी आबादी अपनी साफ सफाई के लिए पानी कहां से लाएगी. वॉटर एड की रिपोर्ट ये भी बताती है कि भारत में 70 फीसदी पीने वाला पानी दूषित है और यह पानी भी 10 साल बाद यानी 2030 में 40 फीसदी लोगों की पहुंच से बाहर हो जाएगा. इसी तरह वॉटर क्वालिटी इंडेक्स में 122 देशों की लिस्ट में भारत का नंबर 120 है। ग्रामीण क्षेत्रों में 84 फीसदी परिवारों तक पाइप के ज़रिए पानी नहीं पहुंच पाता.
वीडियो देखिए गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में पीने के पानी के लिए लोगों को कई-कई किलोमीटर दूर तक पैदल जाना पड़ता है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि साल 2018 में 92 लोगों की ज़िंदगी पानी को लेकर हुए झगड़े की भेंट चढ़ गई. सवाल उठता है कि पानी से वंचित इतनी बड़ी आबादी अपनी साफ सफाई के लिए पानी कहां से लाएगी. वॉटर एड की रिपोर्ट ये भी बताती है कि भारत में 70 फीसदी पीने वाला पानी दूषित है और यह पानी भी 10 साल बाद यानी 2030 में 40 फीसदी लोगों की पहुंच से बाहर हो जाएगा. इसी तरह वॉटर क्वालिटी इंडेक्स में 122 देशों की लिस्ट में भारत का नंबर 120 है। ग्रामीण क्षेत्रों में 84 फीसदी परिवारों तक पाइप के ज़रिए पानी नहीं पहुंच पाता.
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