मोदी 2.0 बनाम भानु गुप्ता का सुसाइड नोट
एक ख़बर ये है कि सरकार मोदी-2.0 के एक साल पूरे होना का जश्न मना रही है। एक ख़बर ये है कि भानु गुप्ता नाम के एक शख़्स ने श्रमिक ट्रेन के आगे कूदकर अपनी जान दे दी। दूसरी ख़बर पहले सुनिये क्योंकि सरकार के जश्न की ख़बर अब तक दूर-दूर तक फैल चुकी है।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में एक शख़्स भानु गुप्ता ने श्रमिक ट्रेन के आगे कूदकर ख़ुदकुशी कर ली। भानू की जेब से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है जिसपर लिखा है, ‘मैं यह सुसाइड ग़रीबी और बेरोज़गारी की वजह से कर रहा हूं। गेंहू, चावल सरकारी कोटे पर मिलता है पर चीनी, पत्ती, दूध, दाल, सब्ज़ी, मिर्च-मसाले परचून वाला अब उधार भी नहीं देता। उनके घर में पत्नी, तीन बेटे और दो बेटियां हैं। मां विधवा है और सबकी ज़िम्मेदारी भानू के कंधों पर थी।'
इसके अलावा भानु अपनी बीमारी से भी जूझ रहे थे। सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा, ‘मुझे खांसी, जोड़ों में दर्द, बेहद कमज़ोरी, चलने पर सांस फूलना और चक्कर आने की शिक़ायत है। ऐसे ही मेरी विधवा मां दो साल से खांसी बुखार से पीड़ित है। तड़प-तड़प कर जी रहे हैं। लॉकडाउन बढ़ता जा रहा और नौकरी कहीं मिल नहीं रही है।’ भानू ने लिखा कि वो घर का ख़र्च चलाने और इलाज कराने को लेकर परेशान थे और यूपी सरकार से उन्हें कोई मदद नहीं मिली थी। उसने लिखा कि घर के हालात ऐसे हैं की मरने के बाद क्रिया कर्म के भी पैसे नहीं हैं लखीमपुर के डीएम शैलेंद्र कुमार सिंह के मुताबिक भानू और उसकी मां के पास अन्त्योदय राशन कार्ड बने थे और उन्हें राशन भी मिला था। अब आइए दूसरी ख़बर पर। प्रधानमंत्री ने देशवासियों को लेटर लिखा है। जिसमें उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियों का बखान किया और जनता से एक बार फिर अपील की कि कोरोना संकट में जिस तरह से जनता ने सरकार का साथ दिया है वैसे ही साथ देती रहे। साउंड क्लाउड पर प्रधानमंत्री जी ने अपनी आवाज़ में इस लेटर को अपलोड भी किया है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा जी ने मीडिया को बताया कि सरकार की उपलब्धियाँ क्या-क्या रहीं। मोदी जी के किन-किन फ़ैसलों से देश को फ़ायदा हुआ है। इसमें आर्टिकल-370, तीम तलाक और एनआरसी का नाम लिया गया। नड्डा जी ने ये भी बताया की कोरोना बीमारी को लेकर हालात को संभाल लिया गया है। ये तो हो गई भाषण की बात। सरकार के एक साल पूरे होने के जश्न की बात। धरातल पर आज सच्चाई क्या है? सच्चाई ये है कि रेल में सफ़र कर रहे मज़दूर भूख से प्यास से और बीमार होने के कारण मर रहे हैं। रेलवे प्रटेक्शन फ़ोर्स की रिपोर्ट के अनुसार क़रीब बीस दिन में 80 मज़दूरों की रेल से यात्रा के दौरान मौत हो गई है। कई रेल गाड़ियां रास्ता भूलकर कहीं से कहीं पहुँच गई। रेल मंत्री के उस बयान पर भी बवाल हुआ जिसमें उन्होंने कहा कि बीमार लोग रेल से ना जाएँ और बहुत ज़रूरी हो तभी सफ़र करें। भारतीय रेल दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क है। दुनिया का आठवाँ सबसे बड़ा एम्प्लॉयर है। भारतीय आर्म्ड फोर्स का नम्बर भी इसके बाद आता है। इतनी बड़ी संख्या में रेल के कर्मचारी हैं इतना बड़ा नेचवर्क है। इसमें 14 लाख लोग काम करते हैं। भारतीय रेल की क्षमता का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि आम दिनों में लगभग दो करोड़ 30 लाख लोग इसमें हर दिन सफ़र करते हैं। इतना बड़ा नेटवर्क, इतने सारे कर्मचारी। इतना सारा पैसा। लेकिन मज़दूरों की मौत। सच्चाई ये है कि भारत सरकार की हेल्थ मिनिस्ट्री ने बताया है कि कोरोना से मौत का आंकड़ा पांच हज़ार के क़रीब पहुंच चुका है पिछले 24 घंटों में क़रीब आठ हज़ार नए मामले सामने आए हैं और 265 लोगों की मौत हो गई है। इन मौतों की भीड़ में टीबी, हैज़ा, कैन्सर, कोलरा, मलेरिया, डिप्थीरिया, स्वाइन फ़्लू, इत्यादि बीमारीयों से मरने वालों की गिनती कहीं गुम हो चुकी है। साथ ही गुम हो चुकी है सैकड़ों भानू गुप्ता की चिट्ठी। गुम हो चुका है भानू गुप्ता का सुसाइड नोट।
इसके अलावा भानु अपनी बीमारी से भी जूझ रहे थे। सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा, ‘मुझे खांसी, जोड़ों में दर्द, बेहद कमज़ोरी, चलने पर सांस फूलना और चक्कर आने की शिक़ायत है। ऐसे ही मेरी विधवा मां दो साल से खांसी बुखार से पीड़ित है। तड़प-तड़प कर जी रहे हैं। लॉकडाउन बढ़ता जा रहा और नौकरी कहीं मिल नहीं रही है।’ भानू ने लिखा कि वो घर का ख़र्च चलाने और इलाज कराने को लेकर परेशान थे और यूपी सरकार से उन्हें कोई मदद नहीं मिली थी। उसने लिखा कि घर के हालात ऐसे हैं की मरने के बाद क्रिया कर्म के भी पैसे नहीं हैं लखीमपुर के डीएम शैलेंद्र कुमार सिंह के मुताबिक भानू और उसकी मां के पास अन्त्योदय राशन कार्ड बने थे और उन्हें राशन भी मिला था। अब आइए दूसरी ख़बर पर। प्रधानमंत्री ने देशवासियों को लेटर लिखा है। जिसमें उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियों का बखान किया और जनता से एक बार फिर अपील की कि कोरोना संकट में जिस तरह से जनता ने सरकार का साथ दिया है वैसे ही साथ देती रहे। साउंड क्लाउड पर प्रधानमंत्री जी ने अपनी आवाज़ में इस लेटर को अपलोड भी किया है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा जी ने मीडिया को बताया कि सरकार की उपलब्धियाँ क्या-क्या रहीं। मोदी जी के किन-किन फ़ैसलों से देश को फ़ायदा हुआ है। इसमें आर्टिकल-370, तीम तलाक और एनआरसी का नाम लिया गया। नड्डा जी ने ये भी बताया की कोरोना बीमारी को लेकर हालात को संभाल लिया गया है। ये तो हो गई भाषण की बात। सरकार के एक साल पूरे होने के जश्न की बात। धरातल पर आज सच्चाई क्या है? सच्चाई ये है कि रेल में सफ़र कर रहे मज़दूर भूख से प्यास से और बीमार होने के कारण मर रहे हैं। रेलवे प्रटेक्शन फ़ोर्स की रिपोर्ट के अनुसार क़रीब बीस दिन में 80 मज़दूरों की रेल से यात्रा के दौरान मौत हो गई है। कई रेल गाड़ियां रास्ता भूलकर कहीं से कहीं पहुँच गई। रेल मंत्री के उस बयान पर भी बवाल हुआ जिसमें उन्होंने कहा कि बीमार लोग रेल से ना जाएँ और बहुत ज़रूरी हो तभी सफ़र करें। भारतीय रेल दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क है। दुनिया का आठवाँ सबसे बड़ा एम्प्लॉयर है। भारतीय आर्म्ड फोर्स का नम्बर भी इसके बाद आता है। इतनी बड़ी संख्या में रेल के कर्मचारी हैं इतना बड़ा नेचवर्क है। इसमें 14 लाख लोग काम करते हैं। भारतीय रेल की क्षमता का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि आम दिनों में लगभग दो करोड़ 30 लाख लोग इसमें हर दिन सफ़र करते हैं। इतना बड़ा नेटवर्क, इतने सारे कर्मचारी। इतना सारा पैसा। लेकिन मज़दूरों की मौत। सच्चाई ये है कि भारत सरकार की हेल्थ मिनिस्ट्री ने बताया है कि कोरोना से मौत का आंकड़ा पांच हज़ार के क़रीब पहुंच चुका है पिछले 24 घंटों में क़रीब आठ हज़ार नए मामले सामने आए हैं और 265 लोगों की मौत हो गई है। इन मौतों की भीड़ में टीबी, हैज़ा, कैन्सर, कोलरा, मलेरिया, डिप्थीरिया, स्वाइन फ़्लू, इत्यादि बीमारीयों से मरने वालों की गिनती कहीं गुम हो चुकी है। साथ ही गुम हो चुकी है सैकड़ों भानू गुप्ता की चिट्ठी। गुम हो चुका है भानू गुप्ता का सुसाइड नोट।
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