मनरेगा के सहारे अर्थव्यवस्था को सुधारने में जुटी मोदी सरकार
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण योजना यानी कि मनरेगा को नाकामयाबी का स्मारक बता चुकी मोदी सरकार अब इसे आगे बढ़ाने में लग गई है. सरकार ने फैसला किया है कि वो मनरेगा के लिए तय बजट के अलावा इस मद में 40 हज़ार करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करेगी. इसकी वजह है शहरों से गांव लौट रहे दिहाड़ी मज़दूरों को रोज़गार देना और ग्रामीण अर्थव्यस्था को मज़बूत करना.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए मनरेगा के बजट में 13 फ़ीसदी की कटौती कर दी थी. तब उन्होंने मनरेगा के लिए 61 हज़ार 500 करोड़ रुपए का ऐलान किया था जबकि वित्त वर्ष 2019-20 में यह बजट 71 हज़ार करोड़ रुपए से ज़्यादा था.
मनरेगा के तहत देश के मज़दूरों को 100 दिन का रोज़गार पाने का क़ानूनी हक़ है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मांग की है कि इनके रोज़गार के दिन 100 से बढ़ाकर 200 किए जाएं. मगर कई राज्य ऐसे हैं जहां मज़दूरों को 50 दिन भी कम दिनों का काम मिल रहा है और मजदूरी भी न्यूनतम दिहाड़ी से कम दी जा रही है. वीडियो देखिए आकड़ों के मुताबिक साल 2018-19 में यूपी और बिहार में औसतन 42 दिन का रोज़गार मिला. वहीं मध्यप्रदेश में 52, राजस्थान में 57 और पश्चिम बंगाल में 77 दिनों का औसतन रोज़गार मज़दूरों को दिया गया. एक दिन की सबसे कम मज़दरी 171 रुपए बिहार में दी गई. वहीं मध्य प्रदेश में 176, उत्तर प्रदेश में 182, पश्चिम बंगाल में 191 और राजस्थान में 199 रुपए की दिहाड़ी मिली. अनूप सत्पथी समिति की रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी कि मज़दूरों को न्यूनतम वेतन 375 रुपये दिया जाना चाहिए. जिन राज्यों में मनरेगा के तहत सबसे ज़्यादा मज़दूरी दी गई, उनमें हरियाणा और केरल शामिल हैं. हरियाणा में एक दिन की मज़दूरी 284 रुपए और केरल में 271 रुपए दी गई.
मनरेगा के तहत देश के मज़दूरों को 100 दिन का रोज़गार पाने का क़ानूनी हक़ है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मांग की है कि इनके रोज़गार के दिन 100 से बढ़ाकर 200 किए जाएं. मगर कई राज्य ऐसे हैं जहां मज़दूरों को 50 दिन भी कम दिनों का काम मिल रहा है और मजदूरी भी न्यूनतम दिहाड़ी से कम दी जा रही है. वीडियो देखिए आकड़ों के मुताबिक साल 2018-19 में यूपी और बिहार में औसतन 42 दिन का रोज़गार मिला. वहीं मध्यप्रदेश में 52, राजस्थान में 57 और पश्चिम बंगाल में 77 दिनों का औसतन रोज़गार मज़दूरों को दिया गया. एक दिन की सबसे कम मज़दरी 171 रुपए बिहार में दी गई. वहीं मध्य प्रदेश में 176, उत्तर प्रदेश में 182, पश्चिम बंगाल में 191 और राजस्थान में 199 रुपए की दिहाड़ी मिली. अनूप सत्पथी समिति की रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी कि मज़दूरों को न्यूनतम वेतन 375 रुपये दिया जाना चाहिए. जिन राज्यों में मनरेगा के तहत सबसे ज़्यादा मज़दूरी दी गई, उनमें हरियाणा और केरल शामिल हैं. हरियाणा में एक दिन की मज़दूरी 284 रुपए और केरल में 271 रुपए दी गई.
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