JNU पर केंद्र सरकार फेक न्यूज़ की शिकार
गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर समेत केंद्र सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री बार-बार जेएनयू स्टूडेंट्स को टुकड़े-टुकड़े गैंग बताकर कार्रवाई की मांग करते हैं. हालांकि तक़रीबन चार साल होने के बावजूद यह साबित नहीं हो सका है कि जेएनयू में देशविरोधी नारे लगे भी थे या नहीं.
जेएनयू में 50 से ज़्यादा हथियारबंद नक़ाबपोश 5 जनवरी को कैंपस में घुसे. इन हमलावरों ने सिर पर रॉड मारकर स्टूडेंट्स को लहूलुहान कर दिया. तमाम वीडियो और तस्वीरें मौजूद होने के बावजूद दिल्ली पुलिस अभी तक हमलावरों की न पहचान कर सकी है और न ही किसी की गिरफ़्तारी हुई है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर जेएनयू से ही पढ़े हैं. उन्होंने इस हमले की निंदा की लेकिन साथ में यह भी कहा कि उनके वक़्त में कैंपस में कोई टुकड़े-टुकड़े गैंग नहीं था. उन्होंने कहा, ‘मैं पक्के तौर पर कह सकता हूं कि जब मैं जेएनयू में पढ़ता था, तब वहां मैंने किसी 'टुकड़े-टुकड़े' गैंग को नहीं देखा। सवाल यह है कि विदेश मंत्री एस जयंशकर टुकड़े टुकड़े गैंग किसे कह रहे हैं. अगर उनका इशारा 9 फरवरी 2016 को जेएनयू कैंपस में हुई कथित नारेबाज़ी को लेकर है तो विदेश मंत्री को यह समझना चाहिए कि अभी तक इस केस में न दोष साबित हुआ है और न ही दोषियों की पहचान हो पाई है. उलटा दिल्ली सरकार ने इस मामले से जुड़े 7 वीडियोज़ की फॉरेंसिक जांच करवाई जिसमें से दो फर्ज़ी मिले. दिल्ली सरकार का जांच आयोग यह भी साबित कर चुका है कि कुछ वीडियो में भारत विरोधी नारों को जान बूझकर जोड़ा गया ताकि पूरे मामले को दूसरा रंग दिया जा सके. यही वीडियोज़ कुछ न्यूज़ चैनलों को भी भेजे गए जिन्होंने इनका प्रसारण किया। जेएनयू में 2016 में कथित नारेबाज़ी की घटना का तार तत्कालीन गृह मंत्री रहे राजनाथ सिंह ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तोएबा के चीफ हाफिज़ सईद से जोड़ दिया था. बाद में पता चला कि उन्होंने यह दावा एक फ़र्ज़ी ट्विटर अकाउंट के आधार पर किया था. नए गृह मंत्री अमित शाह भी जगह जगह अपने भाषणों में टुकड़े-टुकड़े गैंग का इस्तेमाल करते है। वीडियो देखिये मार्च 2016 में दिल्ली हाईकोर्ट ने कन्हैया कुमार को ज़मानत दी थी. उस वक़्त जस्टिस प्रतिभा रानी ने भी कार्यवाही में नोट करवाया था कि देशविरोधी नारेबाज़ी की रिकॉर्डिंग में कन्हैया कुमार कहीं नहीं दिख रहे हैं. अभी तक इसका कोई सबूत नहीं मिला है कि जेएनयू के तत्कालीन अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने भारत विरोधी नारे लगाए. इसके बावजूद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक ग़ैरज़िम्मेदार बयान दे दिया. देश के विदेश मंत्री द्वारा एक नारो को सही समझना और गृह मंत्री द्वारा इन्हे दोहराना इसका प्रमाण है की सरकार फेक न्यूज़ का शिकार हो चुकी है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर जेएनयू से ही पढ़े हैं. उन्होंने इस हमले की निंदा की लेकिन साथ में यह भी कहा कि उनके वक़्त में कैंपस में कोई टुकड़े-टुकड़े गैंग नहीं था. उन्होंने कहा, ‘मैं पक्के तौर पर कह सकता हूं कि जब मैं जेएनयू में पढ़ता था, तब वहां मैंने किसी 'टुकड़े-टुकड़े' गैंग को नहीं देखा। सवाल यह है कि विदेश मंत्री एस जयंशकर टुकड़े टुकड़े गैंग किसे कह रहे हैं. अगर उनका इशारा 9 फरवरी 2016 को जेएनयू कैंपस में हुई कथित नारेबाज़ी को लेकर है तो विदेश मंत्री को यह समझना चाहिए कि अभी तक इस केस में न दोष साबित हुआ है और न ही दोषियों की पहचान हो पाई है. उलटा दिल्ली सरकार ने इस मामले से जुड़े 7 वीडियोज़ की फॉरेंसिक जांच करवाई जिसमें से दो फर्ज़ी मिले. दिल्ली सरकार का जांच आयोग यह भी साबित कर चुका है कि कुछ वीडियो में भारत विरोधी नारों को जान बूझकर जोड़ा गया ताकि पूरे मामले को दूसरा रंग दिया जा सके. यही वीडियोज़ कुछ न्यूज़ चैनलों को भी भेजे गए जिन्होंने इनका प्रसारण किया। जेएनयू में 2016 में कथित नारेबाज़ी की घटना का तार तत्कालीन गृह मंत्री रहे राजनाथ सिंह ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तोएबा के चीफ हाफिज़ सईद से जोड़ दिया था. बाद में पता चला कि उन्होंने यह दावा एक फ़र्ज़ी ट्विटर अकाउंट के आधार पर किया था. नए गृह मंत्री अमित शाह भी जगह जगह अपने भाषणों में टुकड़े-टुकड़े गैंग का इस्तेमाल करते है। वीडियो देखिये मार्च 2016 में दिल्ली हाईकोर्ट ने कन्हैया कुमार को ज़मानत दी थी. उस वक़्त जस्टिस प्रतिभा रानी ने भी कार्यवाही में नोट करवाया था कि देशविरोधी नारेबाज़ी की रिकॉर्डिंग में कन्हैया कुमार कहीं नहीं दिख रहे हैं. अभी तक इसका कोई सबूत नहीं मिला है कि जेएनयू के तत्कालीन अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने भारत विरोधी नारे लगाए. इसके बावजूद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक ग़ैरज़िम्मेदार बयान दे दिया. देश के विदेश मंत्री द्वारा एक नारो को सही समझना और गृह मंत्री द्वारा इन्हे दोहराना इसका प्रमाण है की सरकार फेक न्यूज़ का शिकार हो चुकी है।
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