एक नज़र 2019 के राजनीतिक हालात पर
राजनीति के लिहाज से साल 2019 भारत के लिए बेहद खास रहा। इस साल लोकसभा चुनाव के साथ ही 6 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए। सबसे पहले बात करते हैं लोकसभा चुनाव की। लोकसभा चुनाव अप्रैल से मई महीने के बीच सात चरणों में हुए। लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवाद का मुद्दा सबसे ऊपर था।
राष्ट्रवाद के साथ ही बालाकोट एयर स्ट्राइक, पुलवामा, नोटबंदी, ईवीएम, जीएसटी, राफेल समेत कई मुद्दे भी खूब उछले। लोकसभा चुनाव से ठीक दो महीने पहले फरवरी महीने में सेना ने पुलवामा में आतंकी हमले का हवाला देते हुए बालाकोट में एयरस्ट्राइक कर दी। बालाकोट में हुई एयरस्ट्राइक का श्रेय लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी नेताओं ने चुनावी मंचों से इसे खूब भुनाया।
वैसे ये लोकसभा चुनाव बीजेपी बनाम विपक्ष का था। बीजेपी की ओर से जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही स्टार प्रचारक थे, वहीं विपक्ष की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर राहुल गांधी ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी से लोहा लेते नजर आए। लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी और कांग्रेस की ओर से चौकीदार चोर हैं का नारा भी देशभर में खूब गूंजा। हालांकि बाद में चौकीदार चोर हैं के नारे के चलते राहुल गांधी के खिलाफ कई जगहों पर मानहानि का केस दर्ज हुआ। कांग्रेस की ओर से अकेले राहुल गांधी ने ही सबसे ज्यादा रैलियां की। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों के नेताओं की बीजेपी में एंट्री हुई। करीब-करीब हर राज्य से दूसरी पार्टियों के नेता बीजेपी में शामिल हुए। लोकसभा चुनाव में एक बार फिर एनडीए की जीत हुई और बीजेपी ने अकेले ही 303 सीटें जीती और नरेंद्र मोदी एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री बने। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की फिर करारी हार हुई और पार्टी महज 52 सीटें ही जीतने में कामयाब हो पाई। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी लोकसभा सीट हार गए, लेकिन वो केरल की वायनाड सीट जीतने में कामयाब रहे। लोकसभा चुनाव में एक बार फिर उत्तर भारत के कई राज्यों में बीजेपी ने बंपर सीटें जीतीं और यूपी में फिर 2014 वाला प्रदर्शन दोहराया। इसके अलावा बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में भी शानदार प्रदर्शन किया और राज्य में पहली बार टीएमसी के बाद दूसरे नंबर की पार्टी बनीं। लोकसभा चुनाव के साथ आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में विधानसभा चुनाव हुए। आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने अकेले अपने दम में बहुमत हासिल किया और जगन मोहन रेड्डी पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। वहीं ओडिशा में बीजू जनता दल का जलवा एक बार फिर कायम रहा और नवीन पटनायक लगातार पांचवीं बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। उधर पूर्वोत्तर के राज्य अरुणाचल प्रदेश में जहां बीजेपी ने अकेले अपने दम पर चुनाव जीता और पेमा खांडू एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बने, वहीं सिक्किम में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा की सरकार बनी और प्रेम सिंह तमांग राज्य के मुख्यमंत्री बने। नवंबर महीने में महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा हुए। दोनों ही राज्यों में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, लेकिन दोनों राज्यों में बीजेपी ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। हरियाणा में जहां बीजेपी ने दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई, वहीं महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर महीनेभर तक नाटक चलता रहा। महाराष्ट्र में जहां मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना का सालों पुराना रिश्ता टूट गया, वहीं राज्य में एक अलग ही गठबंधन बना और शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की पहली बार गठबंधन सरकार बनी। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे राज्य के 19वें मुख्यमंत्री बने। ठाकरे परिवार से उद्धव ठाकरे पहले ऐसे शख्स हैं, जो पहली बार मुख्यमंत्री बने हैं। वीडियो देखिये इसके अलावा 2019 में कर्नाटक और गोवा में सत्ता का नाटक भी चला। कर्नाटक में जुलाई महीने में जेडीएस और कांग्रेस के 17 विधायकों ने कुमारस्वामी सरकार से बगावत कर सरकार गिरा दी। बाद में बीजेपी ने विधानसभा में बहुमत साबित कर बीएस येदुरप्पा ने नेतृत्व में सरकार बनाई। उधर गोवा में कांग्रेस के 15 में से 10 विधायकों ने पार्टी छोड़ते हुए बीजेपी में शामिल हो गए। दिसंबर में कर्नाटक में 15 सीटों पर उपचुनाव हुए और इन उपचुनावों में बीजेपी ने 15 में से 12 सीटें जीतकर मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की कुर्सी बचा ली। साल का सबसा आखिरी चुनाव झारखंड में हुआ और नतीजों में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। झारखंड में जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन को बहुमत से ज्यादा सीटें मिलीं और हेमंत सोरेन दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। एक तरफ़ जहां लोकसभा में बीजेपी केंद्र में लौटी वहीं पिछले डेढ़ साल में राज्यों में बीजेपी का जनाधार खिसकता चला गया।
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वैसे ये लोकसभा चुनाव बीजेपी बनाम विपक्ष का था। बीजेपी की ओर से जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही स्टार प्रचारक थे, वहीं विपक्ष की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर राहुल गांधी ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी से लोहा लेते नजर आए। लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी और कांग्रेस की ओर से चौकीदार चोर हैं का नारा भी देशभर में खूब गूंजा। हालांकि बाद में चौकीदार चोर हैं के नारे के चलते राहुल गांधी के खिलाफ कई जगहों पर मानहानि का केस दर्ज हुआ। कांग्रेस की ओर से अकेले राहुल गांधी ने ही सबसे ज्यादा रैलियां की। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों के नेताओं की बीजेपी में एंट्री हुई। करीब-करीब हर राज्य से दूसरी पार्टियों के नेता बीजेपी में शामिल हुए। लोकसभा चुनाव में एक बार फिर एनडीए की जीत हुई और बीजेपी ने अकेले ही 303 सीटें जीती और नरेंद्र मोदी एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री बने। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की फिर करारी हार हुई और पार्टी महज 52 सीटें ही जीतने में कामयाब हो पाई। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी लोकसभा सीट हार गए, लेकिन वो केरल की वायनाड सीट जीतने में कामयाब रहे। लोकसभा चुनाव में एक बार फिर उत्तर भारत के कई राज्यों में बीजेपी ने बंपर सीटें जीतीं और यूपी में फिर 2014 वाला प्रदर्शन दोहराया। इसके अलावा बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में भी शानदार प्रदर्शन किया और राज्य में पहली बार टीएमसी के बाद दूसरे नंबर की पार्टी बनीं। लोकसभा चुनाव के साथ आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में विधानसभा चुनाव हुए। आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने अकेले अपने दम में बहुमत हासिल किया और जगन मोहन रेड्डी पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। वहीं ओडिशा में बीजू जनता दल का जलवा एक बार फिर कायम रहा और नवीन पटनायक लगातार पांचवीं बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। उधर पूर्वोत्तर के राज्य अरुणाचल प्रदेश में जहां बीजेपी ने अकेले अपने दम पर चुनाव जीता और पेमा खांडू एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बने, वहीं सिक्किम में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा की सरकार बनी और प्रेम सिंह तमांग राज्य के मुख्यमंत्री बने। नवंबर महीने में महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा हुए। दोनों ही राज्यों में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, लेकिन दोनों राज्यों में बीजेपी ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। हरियाणा में जहां बीजेपी ने दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई, वहीं महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर महीनेभर तक नाटक चलता रहा। महाराष्ट्र में जहां मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना का सालों पुराना रिश्ता टूट गया, वहीं राज्य में एक अलग ही गठबंधन बना और शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की पहली बार गठबंधन सरकार बनी। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे राज्य के 19वें मुख्यमंत्री बने। ठाकरे परिवार से उद्धव ठाकरे पहले ऐसे शख्स हैं, जो पहली बार मुख्यमंत्री बने हैं। वीडियो देखिये इसके अलावा 2019 में कर्नाटक और गोवा में सत्ता का नाटक भी चला। कर्नाटक में जुलाई महीने में जेडीएस और कांग्रेस के 17 विधायकों ने कुमारस्वामी सरकार से बगावत कर सरकार गिरा दी। बाद में बीजेपी ने विधानसभा में बहुमत साबित कर बीएस येदुरप्पा ने नेतृत्व में सरकार बनाई। उधर गोवा में कांग्रेस के 15 में से 10 विधायकों ने पार्टी छोड़ते हुए बीजेपी में शामिल हो गए। दिसंबर में कर्नाटक में 15 सीटों पर उपचुनाव हुए और इन उपचुनावों में बीजेपी ने 15 में से 12 सीटें जीतकर मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की कुर्सी बचा ली। साल का सबसा आखिरी चुनाव झारखंड में हुआ और नतीजों में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। झारखंड में जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन को बहुमत से ज्यादा सीटें मिलीं और हेमंत सोरेन दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। एक तरफ़ जहां लोकसभा में बीजेपी केंद्र में लौटी वहीं पिछले डेढ़ साल में राज्यों में बीजेपी का जनाधार खिसकता चला गया।
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