NCRB 2018 के आंकड़े आए, अपराधियों के अच्छे दिन लौटे

by Shahnawaz Malik 4 years ago Views 4077

Criminals 'good days'
 


मोदी जी के राज में बढ़ोत्तरी है अपराध में। 

ये मैं नहीं कह रहा हूँ ये सरकारी आँकड़ा कह रहा है। 

भ्रष्टाचार, बलात्कार, हत्या, किड्नैपिंग, जालसाज़ी, नक़ली नोटों का धंधा और हर तरह के अपराध का सरकारी आँकड़ा आ गया है। NCRB यानी देशभर में अपराध की तस्वीर बताने वाली सरकारी संस्था नेशनल क्राइम रिकॉर्डस बयूरो ने पिछले से पिछले साल की रिपोर्ट जारी कर दी है.

और चौंकाने वाली ख़बर ये है कि देश में अपराध बढ़ रहे हैं. 

इससे पहले कि मैं आपको विस्तार से बताऊँ कि NCRB की रिपोर्ट देश में बढ़ते हुए अपराध पर क्या कहती है मैं आपको कुछ याद दिलाना चाहता हूँ। याद कीजिए 2014 लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान लगाए गए बड़े बड़े नारे। बहुत हुआ नारी पर वार अबकी बार मोदी सरकार 

बहुत हुई महँगाई की मार। अबकी बार मोदी सरकार। बहुत हुआ भ्रष्टाचार अब की बार मोदी सरकार 

अच्छे दिन आने वाले हैं हम मोदी जी को लाने वाले हैं। 

अब सुनिए अच्छे दिन का लेखा जोखा, जो gonews नहीं बल्कि सरकारी आँकंडे बता रहे हैं। 

साल 2018 में 50 लाख 74 हज़ार 634 पर पहुंच गया है. यानी 17 के मुक़ाबले 18 में अपराध में 2.3 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 

18 में देश में हर दिन औसतन 80 हत्याएं, 91 बलात्कार और do sau nawasi किडनैपिंग के मामले दर्ज किए गए. 

2017 ke mukaable 18 में हत्यारे और ज़्यादा बुलंद हौसले के साथ मैदान में उतरे। 

केंद्र सरकार और राज्य सरकारें हत्यारों पर लगाम लगाने में फेल रही हैं. आँकड़े देखिए।

साल 2017 में हत्या के 28,653 मामले दर्ज हुए थे जो 2018 में बढ़कर 29 हज़ार 17 हो गए. 

अब याद कीजिए निर्भया बलात्कार और हत्या कांड। तब कांग्रेस की सरकार थी और कांग्रेस की बड़ी थू थू हुई थी। लेकिन सरकारी आँकड़े बता रहे हैं  साल 2017 में बलात्कार के 32,559 मामले दर्ज हुए थे लेकिन 2018 में यह बढ़कर 33,356 पर पहुंच गए. शायद इसलिए आज देशभर में बलात्कार के बढ़ते मामलों को लेकर महिलाएं सड़कों पर हैं.

हत्यारों और बलात्कारियों के हौसले बुलंद हैं ही kidnappers भी पीछे नहीं हैं। अपहरण करने वालों ने 2017 ke mukaable 2018 mein aur zyada khul ke किड्नैपिंग की। आँकड़े देखिए। 

किडनैपिंग के मामलों में 10 फ़ीसदी से भी ज़्यादा। 2017 में देशभर में 95,983 किडनैपिंग हुई थी लेकिन 2018 में 1 लाख 5 हज़ार 734 मामले किडनैपिंग के आए. इनमें 80,871 लड़कियां और औरतें शामिल थीं जिन्हें किडनैप किया गया. 

अब याद कीजिए नोटबंदी। क्या कहा गया था? भ्रष्टाचार ख़त्म होगा। काला धन आएगा। और नक़ली नोटों का धंधा बंद हो जाएगा। आपको पता है कि सरकारी आँकड़े क्या कहते हैं? 

2018 में, 17 करोड़ 95 लाख 36 हज़ार 992 रुपए की क़ीमत वाले नकली नोट ज़ब्त किए गए. और तो और  

नकली नोटों के सबसे ज़्यादा रैकेट कहाँ पकड़े गए? गुजरात में …. यानी नक़ली नोटों के मामले में गुजरात मॉडल टॉप पर रहा।    

सड़क हादसों में मरने वालों की तादाद भी बढ़ गई है. 2017 में सड़क हादसों में 1 लाख 34 हज़ार 803 लोग मारे गए थे जबकि 2018 में सड़क हादसों में मरने वालों की तादाद 1 लाख 35 हज़ार 51 हो गई है. 

hit and run cases भी बढ़ गए हैं. 2017 में हिट एंड रन के 43 हज़ार 7 सौ 27 मामले थे जो 2018 में बढ़कर 47 हज़ार 28 हो गए. 

पब्लिक सर्वेंट पर हमले के मामले बढ़ रहे हैं जो बेहद चिंता की बात है. 2017 में देशभर में पब्लिक सर्वेंट पर हमले के 16 सौ सतासी  मामले दर्ज किए गए थे जो 2018 में बढ़कर 18 सौ उनचास हो गए. 

अलग-अलग समुदायों के बीच नफ़रत फैलाने के मामले भी बढ़ रहे हैं. आप चाहें तो इसे धर्म की राजनीति से भी जोड़ कर देख सकते हैं। 2017 में दो समुदायों के बीच मनमुटाव पैदा करने वाले 958 मामले थे जो 2018 में बढ़कर 11 सौ 14 मामले हो गए. 

2017 और 18 के बीच चोरों का बोलबाला रहा। पहले 5 लाख नवासी हज़ार 58 चोरियां हुईं थी 

लेकिन 18 में 6 लाख 25 हज़ार 441 मामले दर्ज किए गए. 

देश में जालसाज़ी, धोखाधड़ी और ठगी बढ़ रही है. 

2017 में देश में 1 लाख 27 हज़ार 430 इस तरह के दर्ज हुए थे जो 2018 में बढ़कर  जालसाज़ी धोखाधड़ी और ठगी के मामले 1 लाख 34 हज़ार 546 हो गए. 

दहेज के नाम पर हत्या के मामले में मामूली कमी आई है. दहेज के नाम पर 2017 में 74,66 हत्याएं की गई थीं जबकि 2018 में यह संख्या घटकर 71,66 हो गई है.   

कई साल के छोड़ देने के बाद इस बार किसानों की आत्महत्या को भी रिपोर्ट में शामिल किया गया है। 2018 में कुल 10 हज़ार तीन सौ उनचास लोगों ने आत्महत्या कर ली जो ऐग्रिकल्चर सेक्टर से जुड़े हुए थे। सत्र में ये 9.9 percent से बढ़ कर अब 10.2% हो गया। 

अपराध के आंकड़ों की यह तस्वीर पूरे देश की है लेकिन अगर बड़े शहरों और छोटे शहरों की तुलना करें तो बड़े शहरों का हाल काफ़ी बुरा है. 

दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता समेत देश की मेट्रो सिटीज़ में अपराध के 8 लाख 2 हज़ार 67 मामले दर्ज हुए जबकि 2017 में यह आंकड़ा 7 लाख 29 हज़ार 174 था. 

मेट्रो सिटीज़ में महज़ एक साल में अपराध के मामलों में दस फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है.  

राजधानी दिल्ली का हाल सबसे बुरा है. 416 मर्डर, 1080 बलात्कार और 5124 अपहरण के साथ दिल्ली आज भी अपराध की राजधानी बनी हुई है. यहाँ एक छोटी सी बात बात दें कि दिल्ली की पुलिस केंद्र सरकार के पास है। होम मिनिस्ट्री को रिपोर्ट करती है।

यहाँ एक बात और याद दिला दूँ शायद आप भूल गए होंगे। 2014 चुनाव से पहले एक और बात बड़े ज़ोर शोर से कही जाती थी। इस देश को अपराध से मुक्त करना है तो उसके लिए 56 इंच की छाती चाहिए। 56 inch वाली ये बात अब कहीं सुनायी नहीं देती। न tv पर न रेडीओ पर  न भाषणो में न चुनावी रैलियों में । नमस्कार    

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