नेपाल के उच्च सदन में भी नए नक्शे को मंज़ूरी मिली
नेपाल ने अपनी संसद के उच्च सदन में भी देश का नया राजनीतिक नक्शा मंज़ूर कर लिया गया है. इस बिल के समर्थन में सभी 57 सदस्यों ने अपनी मंज़ूरी दी और किसी ने इसका विरोध नहीं किया. इससे पहले नेपाली संसद के निचले सदन में नेपाल का नया राजनीतिक नक्शा और नए प्रतीक चिन्ह को पारित किया जा चुका है. इस नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाल का हिस्सा बताया गया है जो फिलहाल भारतीय क्षेत्र में है. नेपाल का नया नक्शा जारी करना भारत की विदेश नीति के मोर्चे पर तगड़ा झटका माना जा रहा है.
अगर यह क़ानून की शक्ल अख़्तियार कर लेता है भारत और नेपाल के रिश्तों में कड़ुवाहट आना तय है. भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद उस वक्त भड़का जब कैलाश मानसरोवर को जोड़ने के लिए लिपुलेख में एक सड़क का निर्माण हुआ. नेपाल ने इसपर ऐतराज़ ज़ाहिर करते हुए 20 मई को अपने देश का नक्शा जारी कर दिया था. तभी से दोनों देशों के बीच रिश्ते में खटास है.
अब इस विधेयक पर नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी का दस्तख़त होना बाक़ी है जिसके बाद नया नक्शा कानूनी शक्ल ले लेगा और नेपाल का प्रतीक चिन्ह बदल जायेगा. नए नक्शे में नेपाल ने 1816 की सुगौली संधि के तहत लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपना हिस्सा बताया है.Nepal: The New Map Amendment Bill (Coat of Arms) proposes change in the map of Nepal to include parts of Indian territory. https://t.co/lFhn6BW2DW
— ANI (@ANI) June 18, 2020
अगर यह क़ानून की शक्ल अख़्तियार कर लेता है भारत और नेपाल के रिश्तों में कड़ुवाहट आना तय है. भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद उस वक्त भड़का जब कैलाश मानसरोवर को जोड़ने के लिए लिपुलेख में एक सड़क का निर्माण हुआ. नेपाल ने इसपर ऐतराज़ ज़ाहिर करते हुए 20 मई को अपने देश का नक्शा जारी कर दिया था. तभी से दोनों देशों के बीच रिश्ते में खटास है.
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