उत्तर-पूर्वी दिल्ली: सांप्रदायिक दंगों के बाद निकली भाईचारे की कई कहानियां
दिल्ली का उत्तर पूर्वी ज़िला तीन दिन तक हिंसा की आग में जलने के बाद अब शांत है. सांप्रदायिक हिंसा, आगज़नी और लूटपाट के बाद अब इन इलाक़ों से सांप्रदायिक सौहार्द की कहानियां बाहर आ रही हैं. ऐसी ही एक कहानी मुस्लिम बहुल चांद बाग़ इलाक़े का है जहां ह्यूमन चेन बनाकर मुस्लिम समुदाय ने एक दुर्गा मंदिर की सुरक्षा की.
दिल्ली का उत्तर पूर्वी इलाक़ा हिंसा की आग में बेशक झुलस गया लेकिन क़ौमी एकता और भाईचारे की मिसालें भी यहां भरी पड़ी हैं. यहां तमाम मुहल्लों में दंगाइयों की लूटपाट, आगज़नी में नाकाम की वजह हिंदू-मुस्लिम एकता रही. कई मुहल्लों में हिंदू और मुसलमान अपने घरों से निकल आए और दंगाइयों को कॉलोनी में घुसने से रोक दिया. मुस्लिम बहुल चांद बाग़ इलाक़े में जब हिंसा भड़की तो वहां मौजूद दुर्गा मंदिर को बचाने के लिए मुसलमान ढाल बनकर खड़े हो गए.
पुजारी ओम प्रकाश तीन दिन तक मंदिर में अंदर रहकर पूजा अर्चना और आरती करते रहे. उन्होंने कहा कि बाहर निकलने पर मुसलमानों ने उन्हें ढांढस बंधाया. हिंसा प्रभावित इलाक़ों के अलावा सबसे ज़्यादा ग़मग़ीन माहौल जीटीबी हस्पताल के बाहर है. हिंसा में मारे गए लोगों के घरवाले डेडबॉडी के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं. वीडियो देखिये सीमापुरी इलाक़े के दो दोस्त विकास कुमार और मूसा अल्वी सभी के लिए यहां खाना लेकर पहुंचे हैं. हालांकि यह कहानी सिर्फ एक मुहल्ले की नहीं है. उत्तर पूर्वी ज़िले के ज़्यादातर हिस्सों में हिंदू और मुसलमानों के घर सटे हैं. ज़्यादातर चश्मदीदों का कहना है कि उनके बीच के भाईचारे में खलल डालने के लिए ज़्यादातर दंगाई बाहरी इलाक़ों से आए थे
दिल्ली का उत्तर पूर्वी इलाक़ा हिंसा की आग में बेशक झुलस गया लेकिन क़ौमी एकता और भाईचारे की मिसालें भी यहां भरी पड़ी हैं. यहां तमाम मुहल्लों में दंगाइयों की लूटपाट, आगज़नी में नाकाम की वजह हिंदू-मुस्लिम एकता रही. कई मुहल्लों में हिंदू और मुसलमान अपने घरों से निकल आए और दंगाइयों को कॉलोनी में घुसने से रोक दिया. मुस्लिम बहुल चांद बाग़ इलाक़े में जब हिंसा भड़की तो वहां मौजूद दुर्गा मंदिर को बचाने के लिए मुसलमान ढाल बनकर खड़े हो गए.
पुजारी ओम प्रकाश तीन दिन तक मंदिर में अंदर रहकर पूजा अर्चना और आरती करते रहे. उन्होंने कहा कि बाहर निकलने पर मुसलमानों ने उन्हें ढांढस बंधाया. हिंसा प्रभावित इलाक़ों के अलावा सबसे ज़्यादा ग़मग़ीन माहौल जीटीबी हस्पताल के बाहर है. हिंसा में मारे गए लोगों के घरवाले डेडबॉडी के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं. वीडियो देखिये सीमापुरी इलाक़े के दो दोस्त विकास कुमार और मूसा अल्वी सभी के लिए यहां खाना लेकर पहुंचे हैं. हालांकि यह कहानी सिर्फ एक मुहल्ले की नहीं है. उत्तर पूर्वी ज़िले के ज़्यादातर हिस्सों में हिंदू और मुसलमानों के घर सटे हैं. ज़्यादातर चश्मदीदों का कहना है कि उनके बीच के भाईचारे में खलल डालने के लिए ज़्यादातर दंगाई बाहरी इलाक़ों से आए थे
Latest Videos