NRC के देश में जन्म प्रमाणपत्रों का टोटा, स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े
पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने आंदोलनों के दबाव में देशभर में एनआरसी लागू करना का इरादा फिलहाल बदल दिया है लेकिन बीजेपी के घोषणा पत्र में शामिल है. माना जा रहा है कि देर सवेर बीजेपी इसे लागू करने की पूरी कोशिश करेगी. मगर स्वास्थ मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि देश में हर साल लाखों बच्चों का रजिस्ट्रेशन ही नहीं हो पाता और उनके पास जन्म प्रमाण पत्र जैसा दस्तावेज़ नहीं है.
पांच साल से कम उम्र के तकरीबन 20 फीसदी बच्चों के पास उनका जन्म प्रमाण पत्र नहीं होता. साल 2015-16 में जारी हुई स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर साल करीब 2 करोड़ 70 लाख बच्चे पैदा होते हैं लेकिन इनमें से 20 फीसदी यानि 50 लाख से ज्यादा बच्चों के पास अपने जन्म की तारीख़ और स्थान का कोई प्रमाण नहीं है।
2015-16 में जारी हुई स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि देश में नवजात शिशु के जन्म प्रमाण पत्र लेने की राष्ट्रीय औसत 80 फीसदी है। इसका सीधा मतलब है कि 20 फ़ीसदी बच्चे अपने जन्म से जुड़ा महत्वपूर्ण दस्तावेज़ पाने से महरूम रह जाते हैं. इस रिपोर्ट से यह अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं कि जिन बच्चों के पास जन्म का प्रणाम पत्र नहीं है, उनमे से कितनों के माँ बाप के पास ये कागज़ होगा। प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो 20 दिसंबर को एक प्रेस रिलीज़ जारी करके कह चुका है कि एनआरसी में अपनी नागरिकता साबित करने के लिए जिन कागज़ों को आधार बनाने की संभावना है, उसमे बर्थ सर्टिफिकेट भी शामिल है। अगर लोगों के पास उनका बर्थ सर्टिफिकेट नहीं है, तो वे अपने मां और पिता का सर्टिफिकेट भी दिखा सकते हैं. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी एनआरसी लागू करने का ऐलान कर चुके हैं लेकिन बर्थ सर्टिफिकेट के मामले में यूपी का हाल सबसे ख़राब है. यहां लगभग 40 फीसदी बच्चों के जन्म की तारीख़ और स्थान का सरकारी सर्टिफिकेट नहीं है। 20 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले राज्य में 40 फीसदी बच्चों का रजिस्ट्रेशन ना होना बताता है कि यूपी में कितने लोगों के पास यह प्रमाण पत्र होगा। वहीं बिहार में 61 फीसदी बच्चों का रजिस्ट्रेशन होता है लेकिन नीतीश कुमार एनआरसी लागू करने की बात ख़ारिज कर चुके हैं। मगर गठबंधन की मजबूरियों के चलते उन्हें अपना स्टैंड कब बदलना पड़ जाए, यह कहा नहीं जा सकता. वीडियो देखिये इसी तरह अरुणाचल प्रदेश में 63, मणिपुर में 65, झारखण्ड में 65, राजस्थान में 67, नागालैंड में 69, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर में 77 और मध्य प्रदेश में 82 फीसदी पांच साल से कम उम्र के बच्चों के पास जन्म प्रमाण पत्र है। सवाल यह है कि दस्तावेज़ जुटाने की होड़ में करोड़ों की संख्या में ऐसे बच्चे अपना जन्म प्रमाण पत्र कहां से जुटाएंगे. इस प्रमाण पत्र को सरकारी सेवाओं से जोड़ना लोगो को मूलभूत सुविधाओं से दूर करना साबित होगा।
2015-16 में जारी हुई स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि देश में नवजात शिशु के जन्म प्रमाण पत्र लेने की राष्ट्रीय औसत 80 फीसदी है। इसका सीधा मतलब है कि 20 फ़ीसदी बच्चे अपने जन्म से जुड़ा महत्वपूर्ण दस्तावेज़ पाने से महरूम रह जाते हैं. इस रिपोर्ट से यह अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं कि जिन बच्चों के पास जन्म का प्रणाम पत्र नहीं है, उनमे से कितनों के माँ बाप के पास ये कागज़ होगा। प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो 20 दिसंबर को एक प्रेस रिलीज़ जारी करके कह चुका है कि एनआरसी में अपनी नागरिकता साबित करने के लिए जिन कागज़ों को आधार बनाने की संभावना है, उसमे बर्थ सर्टिफिकेट भी शामिल है। अगर लोगों के पास उनका बर्थ सर्टिफिकेट नहीं है, तो वे अपने मां और पिता का सर्टिफिकेट भी दिखा सकते हैं. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी एनआरसी लागू करने का ऐलान कर चुके हैं लेकिन बर्थ सर्टिफिकेट के मामले में यूपी का हाल सबसे ख़राब है. यहां लगभग 40 फीसदी बच्चों के जन्म की तारीख़ और स्थान का सरकारी सर्टिफिकेट नहीं है। 20 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले राज्य में 40 फीसदी बच्चों का रजिस्ट्रेशन ना होना बताता है कि यूपी में कितने लोगों के पास यह प्रमाण पत्र होगा। वहीं बिहार में 61 फीसदी बच्चों का रजिस्ट्रेशन होता है लेकिन नीतीश कुमार एनआरसी लागू करने की बात ख़ारिज कर चुके हैं। मगर गठबंधन की मजबूरियों के चलते उन्हें अपना स्टैंड कब बदलना पड़ जाए, यह कहा नहीं जा सकता. वीडियो देखिये इसी तरह अरुणाचल प्रदेश में 63, मणिपुर में 65, झारखण्ड में 65, राजस्थान में 67, नागालैंड में 69, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर में 77 और मध्य प्रदेश में 82 फीसदी पांच साल से कम उम्र के बच्चों के पास जन्म प्रमाण पत्र है। सवाल यह है कि दस्तावेज़ जुटाने की होड़ में करोड़ों की संख्या में ऐसे बच्चे अपना जन्म प्रमाण पत्र कहां से जुटाएंगे. इस प्रमाण पत्र को सरकारी सेवाओं से जोड़ना लोगो को मूलभूत सुविधाओं से दूर करना साबित होगा।
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