राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए रूस में रायशुमारी, 2036 तक बढ़ सकता है कार्यकाल
दुनिया के सबसे ताक़तवर राजनेताओं में शुमार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 2036 तक अपने पद पर बने रह सकते हैं. रूस में संविधान संशोधन के ज़रिए व्लादिमीर पुतिन का कार्यकाल दो बार और बढ़ाने की प्रक्रिया चल रही है. संविधान संशोधन संसद में पारित हो चुका है जिसपर पुतिन दस्तख़त भी कर चुके हैं. हालांकि इसके बावजूद आम लोगो से वोटिंग कराई जा रही है ताकि सब लोकतांत्रिक तरीके से हो. 67 वर्षीय पुतिन का कार्यकाल 2024 में समाप्त होना था लेकिन 2 और टर्म मिलने के बाद, वो 2036 तक राष्ट्रपति के पद पर बने रह सकते है.
इस रायशुमारी में व्लादिमीर पुतिन की जीत सुनिश्चित करने के लिए लोगों को तरह तरह के लुभावने ऑफर दिए जा रहे हैं. मॉस्को, सेंट पीटर्सबर्ग, कज़ान, समारा समेत तमाम शहरों में होर्डिंग लगाए गए हैं जिनपर व्लादिमीर पुतिन के पक्ष में मतदान की अपील की जा रही है. अपील करने वालों में तमाम रूसी सेलिब्रिटी भी शामिल हैं.
दूसरी ओर गुरुवार को मतदान शुरू होते ही देश का विभाजित विपक्ष किसी भी तरह का विरोध जुटाने में नाकाम दिख रहा है. क्रेमलिन के पूर्व भाषण-राजनीतिक विश्लेषक अब्बास गालमोव ने कहा, क्रेमलिन को अपनी जरूरत के मुताबिक औपचारिक परिणाम प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकेगा. लवाडा इंडीपेंडेंट पोलिंग केंद्र के मुताबिक मई के आख़िर तक 44 फ़ीसदी रूसियों ने कहा था कि पुतिन के पक्ष में मतदान करेंगे लेकिन 32 फ़ीसदी उनके साथ नहीं थे. हालांकि पुतिन के साथ नहीं देने वालों में सिर्फ 25 फीसदी ने कहा था कि वो पोलिंग बूथ पर जाकर वोट करेंगे. विपक्षी नेताओं का भी मानना है कि उनमें एकजुटता की कमी के चलते इस रायशुमारी के नतीजे तय हैं. विपक्ष की सबसे जानी-मानी शख्सियत अलेक्सी नवालनी ने इस प्रक्रिया को नाजायज़ बताते हुए खारिज कर दिया. उन्होंने दलील दी कि संशोधन के खिलाफ वोट करने का कोई मतलब नहीं है. वहीं पुतिन ने कहा है कि वोटिंग प्रक्रिया 1 जुलाई तक पूरी हो जाएगी क्योंकि रूस में कोरोना का संक्रमण अपने उच्चतम स्तर पर पहुंचकर अब ढलान पर है. हालांकि अब भी रूस में नए संक्रमण की संख्या 9,000 प्रतिदिन है.
दूसरी ओर गुरुवार को मतदान शुरू होते ही देश का विभाजित विपक्ष किसी भी तरह का विरोध जुटाने में नाकाम दिख रहा है. क्रेमलिन के पूर्व भाषण-राजनीतिक विश्लेषक अब्बास गालमोव ने कहा, क्रेमलिन को अपनी जरूरत के मुताबिक औपचारिक परिणाम प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकेगा. लवाडा इंडीपेंडेंट पोलिंग केंद्र के मुताबिक मई के आख़िर तक 44 फ़ीसदी रूसियों ने कहा था कि पुतिन के पक्ष में मतदान करेंगे लेकिन 32 फ़ीसदी उनके साथ नहीं थे. हालांकि पुतिन के साथ नहीं देने वालों में सिर्फ 25 फीसदी ने कहा था कि वो पोलिंग बूथ पर जाकर वोट करेंगे. विपक्षी नेताओं का भी मानना है कि उनमें एकजुटता की कमी के चलते इस रायशुमारी के नतीजे तय हैं. विपक्ष की सबसे जानी-मानी शख्सियत अलेक्सी नवालनी ने इस प्रक्रिया को नाजायज़ बताते हुए खारिज कर दिया. उन्होंने दलील दी कि संशोधन के खिलाफ वोट करने का कोई मतलब नहीं है. वहीं पुतिन ने कहा है कि वोटिंग प्रक्रिया 1 जुलाई तक पूरी हो जाएगी क्योंकि रूस में कोरोना का संक्रमण अपने उच्चतम स्तर पर पहुंचकर अब ढलान पर है. हालांकि अब भी रूस में नए संक्रमण की संख्या 9,000 प्रतिदिन है.
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