दार्जिलिंग में संतरा कारोबार सिर्फ 5 फीसदी बचा, व्यापारियों की मुश्किल बढ़ी
कभी संतरे की खेती का सबसे बड़ा उत्पादन करने वाले सिलीगुड़ी पर इस वक्त संकट के बादल छाए हुए हैं।बीते कई सालों से यहां संतरे की खेती का दायरा लगातार कम होता जा रहा है। उत्पादन में कमी और मंडी में संतरे के ठीक दाम ना मिलने से किसान परेशान है।
यहां के संतरे विदेशों में भी आयात किए जाते थे। लेकिन साल 2015 से एक्सपोर्ट बंद हो गया है। जिसकी वजह से किसान अपनी खेती का खर्चा तक भी ठीक से नहीं निकाल पा रहे हैं। एक तरफ तो खेती का उत्पादन कम हुआ है।
वीडियो देखें: वहीं दूसरी तरफ जो संतरे की फसल आती हैं उनमें कीड़े लगने से फसल को और नुकसान हो रहा है। जिससे संतरे की गुणवत्ता और स्वाद में भी कमी देखने को मिल रही है। व्यापारियों का कहना है कि सरकार इस तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है। कई बार लेटर लिखने के बाद भी कोई तवज्जो नहीं दे रहा। आने वाले दिनों मे सिर्फ दर्जालिंग संतरे का नाम ही रह जाएगा. पहले जहां दर्जालिंग में संतरे का उत्पादन व्यापक पैमाने पर होता था। वहीं अब ये सिमट के महज 5 फीसदी रह गया है। जिसकी वजह से दार्जिलिंग के किसानों को वर्तमान समय में कठिन समस्या से जूझना पड़ रहा है।
वीडियो देखें: वहीं दूसरी तरफ जो संतरे की फसल आती हैं उनमें कीड़े लगने से फसल को और नुकसान हो रहा है। जिससे संतरे की गुणवत्ता और स्वाद में भी कमी देखने को मिल रही है। व्यापारियों का कहना है कि सरकार इस तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है। कई बार लेटर लिखने के बाद भी कोई तवज्जो नहीं दे रहा। आने वाले दिनों मे सिर्फ दर्जालिंग संतरे का नाम ही रह जाएगा. पहले जहां दर्जालिंग में संतरे का उत्पादन व्यापक पैमाने पर होता था। वहीं अब ये सिमट के महज 5 फीसदी रह गया है। जिसकी वजह से दार्जिलिंग के किसानों को वर्तमान समय में कठिन समस्या से जूझना पड़ रहा है।
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