ग्रामीण इलाक़ों में ख़र्च करने से डर रहे लोग, सारा ज़ोर पैसा बचाने पर

by Rahul Gautam 3 years ago Views 4389

People are afraid to spend in rural areas, the emp
चौपट हो चुकी अर्थव्यवस्था का ख़ौफ़ इतना है कि देश के ग्रामीण इलाक़ों में लोग पैसा ख़र्च करने में डर रहे हैं. आरबीआई के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक गांवों और कस्बों में लोग बैंको में जमा पूंजी निकालने की बजाय और जमा कर रहे हैं. आमदनी नहीं बढ़ने के बावजूद बैंकों में रकम जमा करने का मतलब है कि ग्रामीण इलाक़े के लोग अपने ख़र्च में कटौती कर रहे हैं. दरअसल, अर्थव्यवस्था को लेकर अविश्वास की खाई इतनी गहरी हो चुकी है कि लोग अपने बुरे वक़्त के लिए पैसा बचाकर रख रहे हैं.

हालांकि शहरी इलाक़ों में हालात इसके उलट हैं. शहरी इलाक़ों में अब लोग बैंकों में कम रकम जमा करवा रहे हैं. माना जा रहा है कि शहरी इलाक़ों में आमदनी घटने से खर्च पूरा करना मुश्किल हो रहा है जिसका सीधा असर बचत पर पड़ रहा है.


आरबीआई के बीती तिमाही के आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2019 में ग्रामीण इलाक़ों के बैंको में जमा राशि की वार्षिक वृद्धि दर 12.8 फीसदी थी जो मार्च 2020 में बढ़कर 15.5 फीसदी हो गई. कस्बो के बैंकों में भी ये आंकड़ा 11.4 फीसदी से बढ़कर 12.3 फीसदी हो गया. इसका मतलब है कि ग्रामीण और कस्बाई इलाक़ों के बैंको में कुल जमा राशि के बढ़ने की रफ़्तार बढ़ी है।

अब इसका मिलान अगर शहरों और महानगरों से करें तो तस्वीर बदल जाती है. शहरों में दिसंबर 2019 में बैंक में जमा राशि सालाना 11.2 फीसदी की रफ़्तार से बढ़ रही थी जो मार्च 2020 में घटकर 10.5 रह गई है. देश के महानगरों में भी कमोबेश यही हालात हैं. मेट्रो में दिसंबर 2019 में यह आंकड़ा 8.5 था जो मार्च 2020 में घटकर 6.9 फीसदी रह गया.

आरबीआई के बीती तिमाही के आंकड़े यह भी बताते है कि दिसंबर 2019 में बैंको में जमा राशि सालाना 10 फीसदी की रफ़्तार से बढ़ रही थी जो मार्च 2020 में घटकर 9.5 फीसदी रह गई.

शहरी और ग्रामीण इलाक़ों में इन विपरीत हालात की सीधी वजह भयानक मंदी है. शहरों में लोगों के पास बचत नहीं है और गांव में डर के मारे बचत को और बढ़ाया जा रहा है.

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