तमिलनाडु के इस गांव में पक्षियों की सुरक्षा के लिये लोग नहीं जलाते हैं पटाखे
दीवाली पर पटाखों से होने वाले धुएं और प्रदूषण से पहले भले ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर में पटाखों को बेचने पर पाबंदी लगाते हुए. कुछ ही दुकानदारों को लाइसेंस दिया हो. लेकिन तमिलनाडु में कई ऐसे भी गांव है. जो आपसी सहमती से दीवाली पर पक्षियों की रक्षा के लिए पटाखे नहीं जलाते.
तमिलनाडु के ईरोड़ के वेल्लोड सेंचुरी में नजर आ रहे हैं. इनको सुरक्षित रखने के लिए गांववालों ने पिछले 14 सालों से दीवाली नहीं मनाई है. अक्टूबर से जनवरी तक कई प्रजातियों के पक्षी प्रवास करते हैं. पटाखे की आवाज से पक्षी डरते हैं. और पक्षियों को बचाने के लिए आसपास के गांव के लोग दीवाली पर पटाखे नहीं जलाते है. ताकि पक्षियों को सुरक्षित रख सकें.
वीडियो देखिये क्योकि पक्षी पटाखों की आवाज से डर जाते हैं. बढ़ते प्रदूषण और खतरनाक स्मॉग का असर इंसानों के साथ परिंदो पर भी नजर आता है. इंसानों को भी पटाखों से होने वाले धुएं सें सांस लेने में दिक्कत होती है. और ऐसे में पक्षियों को बचाने की गांववालों की पहल काबिले तारीफ हैं.
वीडियो देखिये क्योकि पक्षी पटाखों की आवाज से डर जाते हैं. बढ़ते प्रदूषण और खतरनाक स्मॉग का असर इंसानों के साथ परिंदो पर भी नजर आता है. इंसानों को भी पटाखों से होने वाले धुएं सें सांस लेने में दिक्कत होती है. और ऐसे में पक्षियों को बचाने की गांववालों की पहल काबिले तारीफ हैं.
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