यूरोपीयन संसद में CAA के खिलाफ प्रस्ताव पेश, भारत बोला- ये हमारा आंतरिक मामला
देशभर में नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों और धरने के बीच रविवार को यूरोपीयन संसद में CAA के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया। प्रस्ताव लाने पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे अपना आंतरिक मामला बताया है।
नागरिकता कानून को लेकर देशभर में पिछले करीब डेढ़ महीने से विरोध-प्रदर्शन और धरने हो रहे हैं। इस बीच ये मामला अब यूरोपीयन यूनियन की संसद में पहुंच गया है। रविवार को यूरोपीयन संसद के 751 सांसदों में से 626 सांसद नागरिकता कानून और जम्मू-कश्मीर के संबंध में कुल 6 प्रस्ताव लेकर आए।
वीडियो देखिये नागरिकता कानून को लेकर लाए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि CAA भारत में नागरिकता तय करने के तरीके में खतरनाक बदलाव करेगा और इससे विश्व में बड़ा संकट पैदा हो सकता है। प्रस्ताव में आरोप लगाया कि ये कानून धार्मिकता के आधार पर भेदभाव करता है और ये कानून अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। साथ ही सांसदों ने कहा कि नागरिकता क़ानून से मुस्लिमों की नागरिकता छीनी जाएगी और उनका कोई देश नहीं रह जाएगा। उधर नागरिकता कानून को लेकर प्रस्ताव लाने पर भारत ने आपत्ति जताई है। भारत ने कहा कि ये हमारा आंतरिक मामला है और उसे इससे दूर रहना चाहिए। प्रस्ताव पर यूरोपियन संसद में 29 जनवरी को बहस और 30 जनवरी को वोटिंग होगी। नागरिकता कानून भारत में पिछले साल दिसंबर में लागू किया गया था और उसके बाद से ही देशभर के अलग-अलग शहरो में धरने और विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। नागरिकता कानून पर भारत सरकार का कहना है कि ये कानून किसी की नागरिकता नहीं छीनता है बल्कि इसे पड़ोसी देशों में उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों की रक्षा करने और उन्हें नागरिकता देने के लिए लाया गया है।
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वीडियो देखिये नागरिकता कानून को लेकर लाए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि CAA भारत में नागरिकता तय करने के तरीके में खतरनाक बदलाव करेगा और इससे विश्व में बड़ा संकट पैदा हो सकता है। प्रस्ताव में आरोप लगाया कि ये कानून धार्मिकता के आधार पर भेदभाव करता है और ये कानून अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। साथ ही सांसदों ने कहा कि नागरिकता क़ानून से मुस्लिमों की नागरिकता छीनी जाएगी और उनका कोई देश नहीं रह जाएगा। उधर नागरिकता कानून को लेकर प्रस्ताव लाने पर भारत ने आपत्ति जताई है। भारत ने कहा कि ये हमारा आंतरिक मामला है और उसे इससे दूर रहना चाहिए। प्रस्ताव पर यूरोपियन संसद में 29 जनवरी को बहस और 30 जनवरी को वोटिंग होगी। नागरिकता कानून भारत में पिछले साल दिसंबर में लागू किया गया था और उसके बाद से ही देशभर के अलग-अलग शहरो में धरने और विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। नागरिकता कानून पर भारत सरकार का कहना है कि ये कानून किसी की नागरिकता नहीं छीनता है बल्कि इसे पड़ोसी देशों में उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों की रक्षा करने और उन्हें नागरिकता देने के लिए लाया गया है।
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