भारत पेट्रोलियम कंपनी को बेचने के ख़िलाफ़ संसद से सड़क तक विरोध प्रदर्शन
केंद्र सरकार, सरकारी तेल रिफ़ाइनरी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन समेत पांच सरकारी कंपनियों को बेचने का फैसला कर चुकी है लेकिन संसद से सड़क तक इस फैसले के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गया है. बीपीसीएल के कर्मचारियों ने सड़क पर, तो सीपीआईएम सांसदों ने संसद में, केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध किया है.
पिछले हफ्ते केंद्र सरकार पांच सरकारी कंपनियों को बेचने के फ़ैसले पर सैद्धांतिक मंज़ूरी दे चुकी है. इनमें भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉरपोरेशन, टेहरी हाइड्रोइलेक्ट्रिक डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन और नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड शामिल हैं.
यह फ़ैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की समिति ने किया है लेकिन इसके ख़िलाफ़ विरोध भी तेज़ हो गया है. भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के कर्मचारी सड़कों पर उतर आए हैं. इनके समर्थन में सीपीआईएम सांसदों ने संसद परिसर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मूर्ति के नीचे खड़े होकर प्रदर्शन किया और जनवरी में ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया. वीडियो देखें: आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने राज्यसभा में सवाल उठाया कि मुनाफा देने वाली कंपनियों को सरकार क्यों बेच रही है? कहा जा रहा है कि सरकारी कंपनियों को बेचना का सिलसिला सिर्फ इन पांच कंपनियों तक सीमित नहीं है. केंद्र सरकार साल 22 तक 30 अन्य कंपनियों को भी बेच सकती है.
यह फ़ैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की समिति ने किया है लेकिन इसके ख़िलाफ़ विरोध भी तेज़ हो गया है. भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के कर्मचारी सड़कों पर उतर आए हैं. इनके समर्थन में सीपीआईएम सांसदों ने संसद परिसर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मूर्ति के नीचे खड़े होकर प्रदर्शन किया और जनवरी में ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया. वीडियो देखें: आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने राज्यसभा में सवाल उठाया कि मुनाफा देने वाली कंपनियों को सरकार क्यों बेच रही है? कहा जा रहा है कि सरकारी कंपनियों को बेचना का सिलसिला सिर्फ इन पांच कंपनियों तक सीमित नहीं है. केंद्र सरकार साल 22 तक 30 अन्य कंपनियों को भी बेच सकती है.
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