नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ चेन्नई में जनसैलाब उमड़ा, राज्य सचिवालय का किया घेराव
नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ तमिलनाडु के चेन्नई समेत कई शहरों में हज़ारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया. चेन्नई में प्रदर्शनकारी राज्य का सचिवालय घेरने की कोशिश कर रहे थे लेकिन सुरक्षाबलों ने उन्हें कुछ किलोमीटर पहले ही रोककर चेपक क्रिकेट स्टेडियम की तरफ मोड़ दिया. प्रदर्शनकारियों ने इस क़ानून के लिए केंद्र के साथ-साथ तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी एआईएडीएमके को भी ज़िम्मेदार ठहराया.
विवादित नागरिकता संशोधन क़ानून, एनआरसी और एनपीआर के ख़िलाफ़ राजधानी चेन्नई समेत तमिलनाडु के ज़िलों में प्रदर्शन हुआ. फेडरेशन ऑफ तमिलनाडु इस्लामिक एंड पॉलेटिकल ऑर्गनाइज़ेशन की अपील पर बुलाए गए इस मार्च में तक़रीबन एक लाख प्रदर्शनकारी चेन्नई पहुंचे. प्रदर्शनकारी राज्य का सचिवालय घेरने के लिए आगे बढ़ रहे थे लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने कुछ किलोमीटर पहले ही चेपक क्रिकेट स्टेडियम के पास उन्हें रोक दिया.
तमिलनाडु मुस्लिम मुन्नेत्र कषगम के प्रमुख एमएच जवाहरुल्लाह ने कहा कि अगर नागरिकता क़ानून पहले आया होता तो इसकी मार से पूर्व मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन भी नहीं बच पाते क्योंकि उनकी पैदाइश श्रीलंका के कैंडी की है. सलेम ज़िले में हज़ारों प्रदर्शनकारियों के साथ कांग्रेस, डीएमके, सीपीआई और अन्य दलों के नेता भी शामिल हुए. सलेम से सांसद एसआर पार्थिभान ने कहा कि अगर राज्य की सत्ताधारी पार्टी एआईएडीएमके के सांसदों और पीएमके सांसद अंबुमनी रामादास ने वोट नहीं किया होता तो यह बिल संसद में पास नहीं होता. उन्होंने कहा कि बीजेपी को लगता है कि लोकसभा में बहुमत होने के चलते वह देश में कोई भी क़ानून ला सकती है लेकिन ऐसा नहीं हो सकता. वीडियो देखिये पार्थीभान ने कहा कि क़ानून वापस नहीं होने तक यह विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा. इसी तरह त्रिपुर में पांच हज़ार से ज़्यादा प्रदर्शनकारियों ने रैली निकाली और ज़िलाधिकारी के दफ्तर के बाहर पहुंचकर प्रदर्शन किया. यहां पांच सौ से ज़्यादा पुलिसकर्मी लगाए गए थे. चेन्नई समेत सभी ज़िलों में दोपहर एक बजे विरोध प्रदर्शन राष्ट्रगान के साथ थम गया.
तमिलनाडु मुस्लिम मुन्नेत्र कषगम के प्रमुख एमएच जवाहरुल्लाह ने कहा कि अगर नागरिकता क़ानून पहले आया होता तो इसकी मार से पूर्व मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन भी नहीं बच पाते क्योंकि उनकी पैदाइश श्रीलंका के कैंडी की है. सलेम ज़िले में हज़ारों प्रदर्शनकारियों के साथ कांग्रेस, डीएमके, सीपीआई और अन्य दलों के नेता भी शामिल हुए. सलेम से सांसद एसआर पार्थिभान ने कहा कि अगर राज्य की सत्ताधारी पार्टी एआईएडीएमके के सांसदों और पीएमके सांसद अंबुमनी रामादास ने वोट नहीं किया होता तो यह बिल संसद में पास नहीं होता. उन्होंने कहा कि बीजेपी को लगता है कि लोकसभा में बहुमत होने के चलते वह देश में कोई भी क़ानून ला सकती है लेकिन ऐसा नहीं हो सकता. वीडियो देखिये पार्थीभान ने कहा कि क़ानून वापस नहीं होने तक यह विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा. इसी तरह त्रिपुर में पांच हज़ार से ज़्यादा प्रदर्शनकारियों ने रैली निकाली और ज़िलाधिकारी के दफ्तर के बाहर पहुंचकर प्रदर्शन किया. यहां पांच सौ से ज़्यादा पुलिसकर्मी लगाए गए थे. चेन्नई समेत सभी ज़िलों में दोपहर एक बजे विरोध प्रदर्शन राष्ट्रगान के साथ थम गया.
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