चाय में टी बैग डालते हैं? तो साथ में पी रहे हैं 11.6 बिलियन ख़तरनाक माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े
चाय में टी बैग डालकर पीते हैं? तो आप 11.6 बिलियन माइक्रोप्लास्टिक पी रहे हैं
अगर आप चाय पीने के शौकिन है तो ये खबर आपको थोडा निराश कर सकती है. हाल ही में कनाडा की मैकगिल यूर्निवर्सिटी में हुई एक रिसर्च से पता चला है कि, टी बैग चाय के अंदर अरबों प्लाटिक के छोटे-छोटे कण छोड़ते हैं. जो मानव शरीर के लिए नुकसानदायक है. सोचने में तो यहीं आता आमतौर पर टी बैग पेपर के बने होते है. तो ये नुकसान कैसे पहुंचा सकते हैं. आप को बता दे कि इन टी बैगों को पैक करने के लिए पॉलीप्रोपेलीन का इस्तमाल होता है. जो एक तरह की प्लास्टिक होती है.
भारत ही नही बल्कि दुनिया के हर कोने में कई चाय ब्रांड प्लास्टिक से बने टी बैग का इस्तमाल करते है. दरअसल शोधकर्ता ये पता लगाना चाहते थे कि गर्म होने पर चाय के अंदर टी बैग कितना माइक्रोप्लास्टिक छोड़ते है.और इसके लिए उन्होने अलग अलग कंपनी के टी पैक खरीदे..
टी बैग को 95 डिग्री सेल्सियस पानी को एक खास तरह के कंटेनरों में गर्म किया. उसके बाद जब विशेष इलेक्ट्रानिक माइक्रोस्कोप से देखा तो 11.6 बिलियन माइक्रोप्लास्टिक के टुकडे और करीब 300 करोड़ नैनो प्लास्टिक के कण निकले. Wwf की रिपोर्ट में सामने आया है कि हर साल एक आम इंसान 1 मिलीमीटर के छोटे प्लासा्टिक के टुकडे निगल रहा है. यानी 1 लाख 20 हजार दुनियाभर में लोग एक हफ्ते में प्लास्टिक के एक लाख 7 सौ से ज्यादा कण पानी के जरिए, 1 लाख 82 हजार शैल फिश के जरिए, 11 नमक और 10 बीयर के जरिए निगल रहा है. माइक्रोप्लास्टिक हवाओ के जरिए भी शरीर के अंदर जाते हैं. लंबे समय तक प्लास्टिक के शरीर के अंदर जाने से क्या दुष्प्रभाव होते हैं. अभी तक शोधकर्ताओं के पास इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं है.
टी बैग को 95 डिग्री सेल्सियस पानी को एक खास तरह के कंटेनरों में गर्म किया. उसके बाद जब विशेष इलेक्ट्रानिक माइक्रोस्कोप से देखा तो 11.6 बिलियन माइक्रोप्लास्टिक के टुकडे और करीब 300 करोड़ नैनो प्लास्टिक के कण निकले. Wwf की रिपोर्ट में सामने आया है कि हर साल एक आम इंसान 1 मिलीमीटर के छोटे प्लासा्टिक के टुकडे निगल रहा है. यानी 1 लाख 20 हजार दुनियाभर में लोग एक हफ्ते में प्लास्टिक के एक लाख 7 सौ से ज्यादा कण पानी के जरिए, 1 लाख 82 हजार शैल फिश के जरिए, 11 नमक और 10 बीयर के जरिए निगल रहा है. माइक्रोप्लास्टिक हवाओ के जरिए भी शरीर के अंदर जाते हैं. लंबे समय तक प्लास्टिक के शरीर के अंदर जाने से क्या दुष्प्रभाव होते हैं. अभी तक शोधकर्ताओं के पास इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं है.
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