स्वास्थ में राजस्थान फिसड्डी, लेकिन नीति आयोग को भरोसा
राजस्थान में कोटा के जेके लोन अस्पताल में 100 से ज्यादा बच्चो की मौत के बाद राजनैतिक गर्मागर्मी शुरू होगई है। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान गोन्यूज़ ने राज्य की स्वास्थ सेवाओं पड़ताल के बाद रिपोर्ट किया था कि राजस्थान के स्वास्थ सूचकांक देश के औसत से भी कम है।
राजस्थान पिछले दशक में बीमारू राज्यों की श्रेणी से बहार तो आ गया है लेकिन स्वस्थ के मामले में पिछड़ा हुआ है। इन सबके बीच स्वास्थ्य और स्वास्थ्य से जुड़े बुनियादी ढांचे के आंकड़ों पर नज़र डालें तो निराशा पैदा होती है. ताज़ा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक़.
मातृत्व मृत्यु दर के मामले में राज्य की हालत शर्मनाक है. यहां एक लाख शिशुओं के जन्म के दौरान 294 माओं की मौत हो जाती है जबिक राष्ट्रीय स्तर पर मौतों की दर 192 है. यानी राजस्थान में राष्ट्रीय औसत से 102 ज्यादा माओं की मौत हो जाती है. यहां जन्म के दौरान प्रति एक हज़ार शिशुओं में से 53 की मौत हो जाती है जबकि शिशु मृत्यु दर का राष्ट्रीय औसत 47 है. यानी राज्य में 04 शिशु राष्ट्रीय औसत से ज़्यादा मरते हैं. अंडरवेट बच्चों के मामले में राज्य का आंकड़ा राष्ट्रीय औसत के आसपास है. यहां 2006 से 2016 तक 5 साल से कम उम्र के अंडरवेट यानी कुपोषित बच्चों का औसत 38.30 है जबकि इसका राष्ट्रीय औसत 39.10 फ़ीसदी है. लिंग अनुपात का आंकड़ा देखें तो यहां प्रति 1000 पुरुष पर 965 महिलाएं हैं लेकिन इसका राष्ट्रीय औसत 996 है. यानी यहां राष्ट्रीय औसत से पुरुषों के मुकाबले 31 महिलाएं कम हैं. हालांकि स्वास्थ्य सेवाओं पर राज्य सरकार का ख़र्च राष्ट्रीय औसत से ज़्यादा है. वित्त वर्ष 2012 - 2013 और 2015 - 2016 में राजस्थान सरकार ने अपनी जीडीपी का 1.15 प्रतिशत स्वाथ्य सेवाओं पर खर्च किया जबकि इसी दौरान स्वास्थ्य पर ख़र्च का राष्ट्रीय औसत 1.05 प्रतिशत रहा. राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े आधारभूत ढांचे की हालत भी अच्छी नहीं है. साल 2010 में राजस्थान में कुल 1528 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र थे जो साल 2017 में बढ़कर 2079 हो गए. मगर साल 2010 में पूरे देश में 23,673 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र थे, जो साल 2017 में बढ़कर 25,650 हो गये. वीडियो देखिये राज्य में साल 2010 में कुल 368 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थे जबकि साल 2017 तक इनकी संख्या बढ़कर 579 हो गई थी. साल 2010 में राष्ट्रीय स्तर पर 4,535 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थे. साल 2017 में इन केंद्रों की संख्या 5,624 रहा. हालाँकि जून 2019 में निति आयोग द्वारा जारी की गई हेल्थ इंडेक्स रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक अगर देशभर के राज्यों की स्वास्थ सेवाओं की रैंकिंग में 2015-16 के मुकाबले साल 2017-2018 में राजस्थान 20वें पायदान से छलांग लगाकर 16वें स्थान पर आ गया है। लेकिन ये आकंड़े साल 2017-2018 के हैं जबकि साल 2019 के आंकड़े अभी तक जारी नहीं किये गए हैं।
मातृत्व मृत्यु दर के मामले में राज्य की हालत शर्मनाक है. यहां एक लाख शिशुओं के जन्म के दौरान 294 माओं की मौत हो जाती है जबिक राष्ट्रीय स्तर पर मौतों की दर 192 है. यानी राजस्थान में राष्ट्रीय औसत से 102 ज्यादा माओं की मौत हो जाती है. यहां जन्म के दौरान प्रति एक हज़ार शिशुओं में से 53 की मौत हो जाती है जबकि शिशु मृत्यु दर का राष्ट्रीय औसत 47 है. यानी राज्य में 04 शिशु राष्ट्रीय औसत से ज़्यादा मरते हैं. अंडरवेट बच्चों के मामले में राज्य का आंकड़ा राष्ट्रीय औसत के आसपास है. यहां 2006 से 2016 तक 5 साल से कम उम्र के अंडरवेट यानी कुपोषित बच्चों का औसत 38.30 है जबकि इसका राष्ट्रीय औसत 39.10 फ़ीसदी है. लिंग अनुपात का आंकड़ा देखें तो यहां प्रति 1000 पुरुष पर 965 महिलाएं हैं लेकिन इसका राष्ट्रीय औसत 996 है. यानी यहां राष्ट्रीय औसत से पुरुषों के मुकाबले 31 महिलाएं कम हैं. हालांकि स्वास्थ्य सेवाओं पर राज्य सरकार का ख़र्च राष्ट्रीय औसत से ज़्यादा है. वित्त वर्ष 2012 - 2013 और 2015 - 2016 में राजस्थान सरकार ने अपनी जीडीपी का 1.15 प्रतिशत स्वाथ्य सेवाओं पर खर्च किया जबकि इसी दौरान स्वास्थ्य पर ख़र्च का राष्ट्रीय औसत 1.05 प्रतिशत रहा. राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े आधारभूत ढांचे की हालत भी अच्छी नहीं है. साल 2010 में राजस्थान में कुल 1528 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र थे जो साल 2017 में बढ़कर 2079 हो गए. मगर साल 2010 में पूरे देश में 23,673 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र थे, जो साल 2017 में बढ़कर 25,650 हो गये. वीडियो देखिये राज्य में साल 2010 में कुल 368 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थे जबकि साल 2017 तक इनकी संख्या बढ़कर 579 हो गई थी. साल 2010 में राष्ट्रीय स्तर पर 4,535 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थे. साल 2017 में इन केंद्रों की संख्या 5,624 रहा. हालाँकि जून 2019 में निति आयोग द्वारा जारी की गई हेल्थ इंडेक्स रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक अगर देशभर के राज्यों की स्वास्थ सेवाओं की रैंकिंग में 2015-16 के मुकाबले साल 2017-2018 में राजस्थान 20वें पायदान से छलांग लगाकर 16वें स्थान पर आ गया है। लेकिन ये आकंड़े साल 2017-2018 के हैं जबकि साल 2019 के आंकड़े अभी तक जारी नहीं किये गए हैं।
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