नागरिकता बिल पर जेडीयू में बग़ावत जारी, प्रशांत किशोर ने फिर हमला बोला
नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में बग़ावत के सुर नहीं थम रहे हैं. जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी के मुखिया और चीफ मिनिस्टर नीतीश कुमार पर एक बार फिर इशारे में हमला बोला है.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘संसद में बहुमत साबित हो चुका है. अब न्यायपालिका से इतर देश की आत्मा को बचाने की ज़िम्मेदारी 16 ग़ैर बीजेपी मुख्यमंत्रियों पर है. इन राज्यों को नागरिकता क़ानून को अपने यहां लागू करना है. पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री नागरिकता संशोधन बिल और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिज़न को मना कर चुके हैं. अब बारी अन्य मुख्यमंत्रियों की है कि वे अपना पक्ष साफ़ करें.’
प्रशांत किशोर ने अपने ट्वीट में सीएम नीतीश कुमार का ज़िक्र तो नहीं किया लेकिन उनका इशारा अपनी पार्टी के मुखिया नीतीश कुमार की ओर स्पष्ट है. इससे पहले उन्होंने एक और ट्वीट में लिखा, 'हमें बताया गया है कि नागरिकता संशोधन बिल नागरिकता देने के लिए है नाकि नागरिकता लेने के लिए. मगर सच यह है कि नागरिकता क़ानून और एनआरसी साथ मिलकर व्यवस्थित तरीक़े से धर्म के आधार पर भेदभाव करने के साथ-साथ मुकदमा चलाने का एक ख़तरनाक सरकारी हथियार साबित होगा.
The majority prevailed in Parliament. Now beyond judiciary, the task of saving the soul of India is on 16 Non-BJP CMs as it is the states who have to operationalise these acts.
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) December 13, 2019
3 CMs (Punjab/Kerala/WB) have said NO to #CAB and #NRC. Time for others to make their stand clear.
प्रशांत किशोर ने अपने ट्वीट में सीएम नीतीश कुमार का ज़िक्र तो नहीं किया लेकिन उनका इशारा अपनी पार्टी के मुखिया नीतीश कुमार की ओर स्पष्ट है. इससे पहले उन्होंने एक और ट्वीट में लिखा, 'हमें बताया गया है कि नागरिकता संशोधन बिल नागरिकता देने के लिए है नाकि नागरिकता लेने के लिए. मगर सच यह है कि नागरिकता क़ानून और एनआरसी साथ मिलकर व्यवस्थित तरीक़े से धर्म के आधार पर भेदभाव करने के साथ-साथ मुकदमा चलाने का एक ख़तरनाक सरकारी हथियार साबित होगा.
प्रशांत किशोर के अलावा जेडीयू महासचिव पवन कुमार वर्मा भी इस मुद्दे पर नीतीश कुमार से असहमति जता चुके हैं. उन्होंने कहा था कि नागरिकता बिल संविधान के धर्मनिरपेक्ष ढांचे की मूल भावना के ख़िलाफ़ है और सीएम नीतीश कुमार को इसपर विचार करना चाहिए.The majority prevailed in Parliament. Now beyond judiciary, the task of saving the soul of India is on 16 Non-BJP CMs as it is the states who have to operationalise these acts.
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) December 13, 2019
3 CMs (Punjab/Kerala/WB) have said NO to #CAB and #NRC. Time for others to make their stand clear.
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