गृह मंत्रालय से हरी झंडी के बावजूद घरेलु सहायकों को परेशान कर रहे RWAs
लॉकडाउन 4.0 में गृह मंत्रालय ने डोमेस्टिक हेल्पर को काम करने की इजाज़त दी थी. गाइडलाइंस में कहा गया था कि रेड, ग्रीन और ऑरेंज ज़ोन में भी घरेलु सहायकों को घर में काम करने की मंज़ूरी दे दी है. इसके बावजूद दिल्ली-एनसीआर की तमाम सोसाइटी में घरेलु सहायकों को एंट्री नहीं मिल रही है.
सोसायटी को चलाने वाली रेज़िडेंट वेलफेयर असोसिएशन ने मनमाने नियम बनाकर घरेलु सहायकों की प्रताड़ना शुरू कर दी है. एक वायरल वीडियो में दावा किया जा रहा है कि घरेलु सहायकों को लिफ्ट के इस्तेमाल की इजाज़त नहीं है और उन्हें हाइराइज़ इमारतों में सीढ़ी से चढ़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
वीडियो देखिये एनएसएसओ के आंकड़े बताते हैं कि साल 2011-12 में देश में 39 लाख घरों में लोग काम कर रहे थे. इनमें 26 लाख महिलाएं और 13 लाख पुरुष शामिल थे. हाल के वर्षों में इनकी तादाद और बढ़ी है. कई घरेलु सहायकों ने आरोप लगाए हैं कि 60 दिन के लॉकडाउन में उन्हें तनख़्वाह नहीं मिली और अब लॉकडाउन में रियायत मिलने के बाद रेज़िडेंट वेलफेयर असोसिएशंस रोड़ा अटका रही है. इनसे मेडिकल रिपोर्ट्स मांगी जा रही हैं और आरोग्य सेतु मोबाइल ऐप डाउनलोड करने को कहा जा रहा है. मगर ज़्यादातर घरेलु सहायकों के पास स्मार्ट फोन होता तक नहीं. आरडब्ल्यूए की इस मनमानी से सबसे ज्यादा दिक्कत बुजुर्गों और बीमार लोगों को हो रही है.
वीडियो देखिये एनएसएसओ के आंकड़े बताते हैं कि साल 2011-12 में देश में 39 लाख घरों में लोग काम कर रहे थे. इनमें 26 लाख महिलाएं और 13 लाख पुरुष शामिल थे. हाल के वर्षों में इनकी तादाद और बढ़ी है. कई घरेलु सहायकों ने आरोप लगाए हैं कि 60 दिन के लॉकडाउन में उन्हें तनख़्वाह नहीं मिली और अब लॉकडाउन में रियायत मिलने के बाद रेज़िडेंट वेलफेयर असोसिएशंस रोड़ा अटका रही है. इनसे मेडिकल रिपोर्ट्स मांगी जा रही हैं और आरोग्य सेतु मोबाइल ऐप डाउनलोड करने को कहा जा रहा है. मगर ज़्यादातर घरेलु सहायकों के पास स्मार्ट फोन होता तक नहीं. आरडब्ल्यूए की इस मनमानी से सबसे ज्यादा दिक्कत बुजुर्गों और बीमार लोगों को हो रही है.
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