सुप्रीम कोर्ट ने फंसे प्रवासी मज़दूरों को 15 दिनों के भीतर उनके घर पहुंचाने का आदेश दिया
लॉकडाउन के तक़रीबन ढाई महीने बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मज़दूरों को उनके गृह राज्य भेजने पर फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को आदेश दिया है कि महानगरों में फंसे प्रवासी मज़दूरों को 15 दिनों के भीतर उनके गृह राज्य भेजा जाए. रेल मंत्रालय से कहा गया है कि अगर प्रवासी मज़दूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए राज्य सरकारें श्रमिक ट्रेन की मांग करती हैं तो 24 घंटे के भीतर ट्रेन मुहैया कराई जाए.
गृह मंत्री अमित शाह का दावा है कि लॉकडाउन के दौरान एक करोड़ से ज़्यादा प्रवासी मज़दूरों को उनके गृह राज्य पहुंचाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से कहा है कि अपने-अपने घर पहुंचे मज़दूरों की पहचान करे और उनके गुज़र-बसर का इंतज़ाम करे.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से यह भी कहा कि जो मज़दूर वापस महानगरों में काम के लिए लौटना चाहते हैं, उनकी लिस्ट तैयार की जाए. साथ ही, उनकी काउंसिलिंग की जाए ताकि वे अपने काम पर लौट सकें. वीडियो देखिए सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इस मायने में अहम कि मज़दूरों पर दर्ज मुक़दमे वापस होंगे. राज्य सरकारों को आदेश दिया गया है कि प्रवासी मज़दूरों पर दर्ज लॉकडाउन उल्लंघन के मामले ख़त्म किए जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने मई के आख़िरी हफ्ते में स्वत: संज्ञान लेकर लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मज़दूरों के मुद्दे पर सुनवाई की थी। पिछले हफ्ते की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. हालांकि कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेने में काफी देर कर दी है क्योंकि ज़्यादातर मज़दूर किसी ना किसी तरह अपने घर पहुंच गए हैं. राज्य सरकारों की उदासीनता के चलते लाखों मज़दूरों ने सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घरों की दूरी पैदल तय की थी.
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से यह भी कहा कि जो मज़दूर वापस महानगरों में काम के लिए लौटना चाहते हैं, उनकी लिस्ट तैयार की जाए. साथ ही, उनकी काउंसिलिंग की जाए ताकि वे अपने काम पर लौट सकें. वीडियो देखिए सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इस मायने में अहम कि मज़दूरों पर दर्ज मुक़दमे वापस होंगे. राज्य सरकारों को आदेश दिया गया है कि प्रवासी मज़दूरों पर दर्ज लॉकडाउन उल्लंघन के मामले ख़त्म किए जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने मई के आख़िरी हफ्ते में स्वत: संज्ञान लेकर लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मज़दूरों के मुद्दे पर सुनवाई की थी। पिछले हफ्ते की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. हालांकि कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेने में काफी देर कर दी है क्योंकि ज़्यादातर मज़दूर किसी ना किसी तरह अपने घर पहुंच गए हैं. राज्य सरकारों की उदासीनता के चलते लाखों मज़दूरों ने सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घरों की दूरी पैदल तय की थी.
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