1 लाख की आबादी की सुरक्षा महज़ 198 पुलिसवालों के कंधों पर: गृह मंत्रालय रिपोर्ट

by Rahul Gautam 4 years ago Views 1578

Security of 1 lakh population on the shoulders of
गृह मंत्रालय के नए आंकड़े बताते हैं कि देशभर में 5 लाख 28 हज़ार से ज़्यादा पुलिसवालों के पद ख़ाली पड़े हैं. पुलिस विभाग के लिए मंजूर 25 लाख 95 हज़ार 435 पुलिसवालों के मुक़ाबले सिर्फ 20 लाख 67 हज़ार 270 पुलिसवाले ही ड्यूटी कर रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक 1 लाख की आबादी की सुरक्षा महज़ 198 पुलिसवालों के कंधे पर है. 


गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले ब्यूरो ऑफ़ पुलिस एंड रिसर्च डेवलपमेंट ने 1 जनवरी, 2019 तक के देश में पुलिस से जुड़े आंकड़े जारी किए हैं. इसके मुताबिक देशभर 5 लाख 28 हज़ार 165 पुलिसवालों के पद खाली पड़े हैं। देश में कुल 25 लाख 95 हज़ार 435 पुलिस वालों की ज़रूरत है लेकिन 20 लाख 67 हज़ार 270 पुलिसवाले ही ड्यूटी कर रहे हैं. 


क़ानून व्यवस्था के मामले में बदनाम उत्तर प्रदेश का हाल सबसे बुरा है. यहां क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 4 लाख 14 हज़ार 492 पुलिसवालों की ज़रूरत है लेकिन सिर्फ 2 लाख 94 हज़ार 495 पुलिसवाले ही यहां तैनात हैं. अभी भी यहां 1 लाख 19 हज़ार 997 पुलिसवालों के पद ख़ाली पड़े हैं. एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि साल 2018 में उत्तर प्रदेश में 5 लाख 85 हज़ार 157 मुक़दमे दर्ज़ हुए थे। इन आंकड़ों से समझा जा सकता है कि राज्य में कानून व्यवस्था की हालत क्या है. 

पश्चिम बंगाल में 1 लाख 51 हज़ार 211 पुलिसवालों के पद हैं लेकिन क़ानून व्यवस्था की ज़िम्मेदारी 96 हज़ार 187 पुलिसवालों के कंधे पर है. यहां 55,024 पुलिस वालों के पद ख़ाली पड़े हैं. राज्य में साल 2018 में कुल 1 लाख 88 हज़ार 063 मुक़दमे दर्ज हुए थे। पश्चिम बंगाल भी क़ानून व्यवस्था के मोर्चे पर बेहद पिछड़ा राज्य है. 

बिहार में हालात बेहद ख़राब हैं जहां 1 लाख 40 हज़ार 674 पुलिसवालों के पद मंज़ूर हैं लेकिन भर्ती सिर्फ 86 हज़ार 639 पोलिसवालों की हो सकी है. यहां 54 हज़ार पदों पर अभी भी पुलिसवालों की भर्ती होना बाक़ी है. राज्य में क़ानून व्यवस्था भी रसातल में है जहां साल 2018 में 2 लाख 62 हज़ार 815 केस दर्ज़ हुए थे.   

तेलंगाना में 81,647 स्वीकृत पदों के मुक़ाबले 53 हज़ार 115 पोलिसवाले ही नौकरी कर रहे हैं. यहां 28,532 पुलिसवालो की भर्ती रुकी पड़ी है। यहां साल 2018 में 1 लाख 26 हज़ार 858 आईपीसी और राज्य कानूनों के उल्लघन के लिए मुकदमे दर्ज़ हुए थे.  

महाराष्ट्र में 28 हज़ार 431 पोलिसवाले की भर्ती रुकी हुई है. यहां स्वीकृत 2 लाख 41 हज़ार 813 पुलिस वालों के मुक़ाबले 2 लाख 13 हज़ार 382 पद ही भरे जा सके हैं. आंकड़े बताते हैं कि राज्य में 2018 में 5 लाख 15 हज़ार 674 मुकदमे दर्ज़ हुए थे और क़ानून व्यवस्था बदतर हालात में है.   

देश के तमाम राज्य जब पुलिसवालों की कमी से जूझ रहे हैं तब पूर्वोत्तर के राज्य नागालैंड में पुलिसवाले स्वीकृत पदों से ज़्यादा हैं. यहां पुलिसवालों के कुल पद 31 हज़ार 248 हैं और भर्ती 32 हज़ार 356 पुलिसवालों की हुई है. क़ानून व्यवस्था के लिहाज़ से भी नागालैंड बेहद शांत है. यहां 2018 में सिर्फ 1775 केस दर्ज़ हुए थे।   

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